पश्चिम बंगाल के अस्पताल में 24 घंटों में 9 नवजात शिशुओं की मौत, जांच के आदेश
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पश्चिम बंगाल के अस्पताल में 24 घंटों में 9 नवजात शिशुओं की मौत, जांच के आदेश

West Bengal News:  मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दो साल के एक बच्चे की भी मौत हुई है. अस्पताल के अधिकारी ने कहा कि कि प्रारंभिक जानकारी से पता चलता है कि इनमें से अधिकतर बच्चे कुपोषित थे और उनमें से एक को गंभीर जन्मजात हृदय रोग था.

पश्चिम बंगाल के अस्पताल में 24 घंटों में 9 नवजात शिशुओं की मौत, जांच के आदेश

Newborn Babies Death In Hospital: पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में 24 घंटे में नौ नवजात शिशुओं और दो साल के एक बच्चे की मौत हो गई. एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में शिशुओं की मौत के कारण की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है.

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल के अधिकारी ने कहा कि कि प्रारंभिक जानकारी से पता चलता है कि इनमें से अधिकतर बच्चे कुपोषित थे और उनमें से एक को गंभीर जन्मजात हृदय रोग था.

रिपोर्ट के मुताबिक  मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सह उप प्राचार्य अमित कुमार दाह ने कहा, ‘हम कुछ बच्चों को बचाने में सक्षम नहीं थे क्योंकि उनमें से अधिकांश कुपोषित थे, उन्हें जन्मजात बीमारिया थीं और वे कम वजन के पैदा हुए थे, जिनका वजन लगभग 500 ग्राम या 600 ग्राम था.’

'हमारे पास समय नहीं था'
डॉ दाह ने कहा, ‘ऐसे मामलों में उपचार टाइमबाउंड होता है और हमारे पास वह समय नहीं था.’ उन्होंने कहा कि जंगीपुर उप-मंडल अस्पताल का नवीनीकरण चल रहा है और वहां से उनके सभी मामलों को मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भेजा जा रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक डॉ दाह ने बताया, ‘मरीजों को पहले जंगीपुर ले जाया गया और फिर हमारे पास आए, जिसमें पांच घंटे से ज्यादा का समय लगा.’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप पहले चार से पांच घंटों में ऐसे मरीजों का इलाज नहीं करते हैं तो उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है.’

डॉ दाह ने कहा, ‘800 ग्राम या 1 किलोग्राम वजन वाले बच्चों को अभी भी बचाया जा सकता है, लेकिन 500 ग्राम वजन वाले बच्चे को बचाना एक बड़ी चुनौती है.’ उन्होंने कहा कि 300 मरीजों का वे इलाज कर रहे हैं लेकिन उनके लिए उनके पास सिर्फ 130 बिस्तर हैं क्योंकि वे अन्य जिलों के मरीजों को भी भर्ती कर रहे हैं.

डॉ दाह ने कहा, ‘हमें मानवीय आधार पर सभी मरीजों को भर्ती करना होगा.’  उन्होंने दावा किया कि गभग 900 बच्चों को बचाया भी गया है.

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