डब्ल्यूएचओ की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2018 बताती है कि वहां तकरीबन एक करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित हैं, जबकि 2017 में मच्छरों के काटने से लगभग साढ़े 14 हजार लोगों की जान चली गई.
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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बीमा भुगतान से संबंधित एक मामले पर मंगलवार (26 मार्च) को फैसला सुनाते हुए कहा कि मोजाम्बिक में मलेरिया के कारण मौत को दुर्घटना नहीं माना जा सकता है. विश्व स्तर पर मलेरिया के कारण होने वाली मौत के पांच प्रतिशत मामले मोजाम्बिक से आते हैं.
मोजाम्बिक में मच्छर के काटने से हुई मौत क्या दुर्घटना है. इस सवाल पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि पॉलिसी के तहत दावा इस परिकल्पना पर आधारित है कि इसमें अनिश्चितता का तत्व है कि व्यक्ति मच्छर के काटने का क्या या कब शिकार होगा.
न्यायालय ने कहा कि दलील यह है कि मच्छर द्वारा काटे जाने की घटना एक अप्रत्याशित घटना है और इसे दुर्घटना माना जाना चाहिए. हम इस दलील से सहमत नहीं हैं.
न्यायालय ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील पर यह फैसला सुनाया. इसमें राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसने उस व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को बीमा दावा का भुगतान करने का आदेश दिया था, जिसकी मोजाम्बिक में मलेरिया काटने से मौत हो गई थी.
आपको बता दें कि मोजाम्बिक में मलेरिया से होने वाली मृत्यु आम हैं. डब्ल्यूएचओ की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2018 बताती है कि वहां तकरीबन एक करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित हैं, जबकि 2017 में मच्छरों के काटने से लगभग साढ़े 14 हजार लोगों की जान चली गई.