क्या गाय, बिल्ली और लंगूर वाकई पक्षी हैं, पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट तो यही कहती है
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क्या गाय, बिल्ली और लंगूर वाकई पक्षी हैं, पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट तो यही कहती है

पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट के मुताबिक गाय, बिल्ली, चूहा और कुत्ता, ये सभी पक्षियों के नाम हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. नर्सरी की कक्षाओं में बच्चों को पक्षियों, पशुओं और दूसरी चीजों के नाम याद कराए जाते हैं. थोड़ा बड़े होने पर हम सभी ने 'चिड़िया उड़' नाम का खेल खेला होगा. इस खेल से पक्षियों के नाम और दूसरे नामों में अंतर सीखने में मदद मिलती है. लेकिन भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट कुछ और ही कहती है. पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट के मुताबिक गाय, बिल्ली, चूहा और कुत्ता, ये सभी पक्षियों के नाम हैं.

ऐसा नई दिल्ली के नौरोजी नगर में आवासीय परिसर के रिडेवलपमेंट के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस रिपोर्ट में कहा गया है और इसे पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर आसानी से देखा जा सकता है. इस रिपोर्ट को नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) ने जमा किया है और इसे तैयार किया है चेन्नई की हबर्ट एनविरो केयर सिस्टम ने. 

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लापरवाही का जिम्मेदार कौन? 
एनबीसीसी की एनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट (ईआईए) रिपोर्ट के पेज नंबर 78 पर एक टेबल दी गई है. इस टेबल का नंबर है 3-21 और इसका शीर्षक है 'क्षेत्र में पाए जाने वाले कॉमन पक्षियों की सूची.' अब इस सूची में जो नाम हैं, उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. सबसे पहला नाम है - गाय, फिर बिल्ली, चूहा, कुत्ता और लंगूर के नाम भी पक्षियों की सूची में दिए गए हैं.  

किसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को कैसे पूरा किया जाएगा, पर्यावरण पर उसका क्या असर होगा और उस असर को कैसे सीमित किया जाएगा, इस बारे में पूरी जानकारी देने वाला कानूनी दस्तावेज ईआईए है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही पर्यावरण मंत्रालय प्रोजेक्ट को मंजूरी देता है. ऐसे में एनबीसीसी पर भी सवाल उठते हैं और पर्यावरण मंत्रालय पर भी. ऐसा लगता है कि रिपोर्ट जल्दबाजी में तैयार की गई है. 

पर्यावरण के लिहाज से ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज को तैयार करने में हुई लापरवाही हैरान करने वाली है और उससे भी हैरान करने वाला है पर्यावरण मंत्रालय का रवैया, जिसने ऐसी रिपोर्ट के आधार पर प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी दे दी. ये प्रोजेक्ट इससे पहले भी विवादों में आ चुका है, जब ये बात सामने आई थी कि इसे पूरा करने के लिए 11,000 पेड़ काटे जाएंगे. हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल इस पर रोक लगा दी गई है.

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