अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि उनका देश चाहता है कि शांति के सभी प्रयासों में भारत साथ रहे और अन्य देशों से अलग रहकर अपने दम पर भी बहुत कुछ करे.
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नई दिल्ली: अमेरिका और रूस की ओर से अफगानिस्तान में सुलह प्रक्रिया के लिये तालिबान से संपर्क करने के बीच अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने गुरुवार को कहा कि उनका देश चाहता है कि शांति के सभी प्रयासों में भारत साथ रहे और अन्य देशों से अलग रहकर अपने दम पर भी बहुत कुछ करे.
'रायसीना डायलॉग' में यहां करजई ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति लाने में पाकिस्तान को ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका’ निभानी है. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान ‘‘शानदार और रोमांटिक संबंध’ साझा करते हैं, जो उम्मीदों को अवास्तविक स्तर तक बढ़ाता है.
उन्होंने कहा,‘हम चाहते हैं कि भारत अफगानिस्तान में काफी कुछ करे. अन्य सभी देशों से अलग होकर पूरी तरह से अपने दम पर काम करे. हमारे संबंध काफी अच्छे हैं और इसी वजह से उम्मीदें काफी अधिक हैं.’उन्होंने कहा,‘इसलिए हम चाहते हैं कि सभी शांति प्रक्रिया में भारत साथ रहे ताकि अफगानिस्तान में स्थिरता लाई जा सके, संस्थाओं का निर्माण और विकास किया जा सके.’
'भारत अफगानिस्तान में सर्वाधिक योगदान देने वालों में से एक है'
करजई ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में सर्वाधिक योगदान देने वालों में से एक है और उसने पहले ही संसद, पावर लाइन, बांध और सड़क बनाए हैं तथा हजारों लोगों को छात्रवृत्ति दी है.
ट्रंप के बयान पर क्या बोले करजई?
अफगानिस्तान में भारत की भूमिका का मजाक बनाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर करजई ने कहा कि इसे मीडिया ने ‘प्रचारित’ किया और उनका यह आशय नहीं था, जैसा बताया जा रहा है.
करजई ने कहा,‘वह अफगानिस्तान में भारत की बड़ी भूमिका और शांति और पुनर्निर्माण में समर्थन चाहते थे. यही अफगानिस्तान के लोग चाहते हैं. निस्संदेह, उन्होंने अलग शब्दों में बयां किया.’
ट्रंप ने अफगानिस्तान में एक ‘‘पुस्तकालय’’ के लिये धन मुहैया कराने को लेकर हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि युद्ध प्रभावित देश में इसका कोई फायदा नहीं है.
(इनपुट - भाषा)