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नई दिल्ली: देश में COVID-19 मामले बढ़ने से कोविड परीक्षण का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. लैब और परीक्षण केंद्रों पर खासी भीड़ है. RT-PCR रिपोर्ट आने में सामान्य से ज्यादा समय लग रहा है. ऐसे में उन लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है, जो रिपोर्ट आने के इंतजार में सही इलाज शुरू नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही वे लोग जो संक्रमण के बाद क्वारंटीन में हैं और रिपोर्ट न आने से सामान्य जीवन में नहीं लौट पा रहे हैं. विशेषज्ञों ने कहा है कि हल्के और मध्यम संक्रमण वाले मरीजों को 14 दिनों के बाद कोरोना निगेटिव होने की पुष्टि करने के लिए फिर से RT-PCR टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है.
कल्याण की फोर्टिस हॉस्पिटल (Fortis Hospital) के चीफ इंटेंसिविस्ट डॉ. संदीप पाटिल कहते हैं, 'ज्यादातर लोगों का तर्क है कि जब से महामारी का प्रकोप हुआ है, तब से कोविड रोगियों को तब तक डिस्चार्ज नहीं किया जाता है जब तक कि उनका चेस्ट रेडियोग्राफ क्लियर न हो जाए और उनका RT-PCR टेस्ट निगेटिव न आ जाए. पिछले साल तक यह ठीक था क्योंकि वायरस नया था और हमारे वैज्ञानिक इंसानों पर इस वायरस के प्रभाव को समझ रहे थे. वैसे तो वायरस का म्युटेशन हुआ है, लेकिन इसकी संक्रामकता और प्रभाव के बारे में अब जानकारियां मिल चुकी हैं. ऐसे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) ने नए मानदंड बनाए हैं. इसके तहत-
- हल्के संक्रमण वाले मरीज को 3 दिनों तक लगातार बुखार न आने पर उसे लक्षण शुरू होने के दिन से 10 दिन बाद छुट्टी दी जा सकती है.
- डिस्चार्ज के समय फिर से टेस्ट की जरूरत नहीं है
- मरीज को सलाह दी जाए कि वह 7 दिन तक खुद को घर पर आइसोलेट करके अपनी सेहत पर नजर रखे.
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- मरीज को लक्षण शुरू होने के 10 दिन बाद यदि 3 दिन तक लक्षण न आएं तो उसे डिस्चार्ज किया जा सकता है.
- डिस्चार्ज करने से पहले टेस्ट की जरूरत नहीं है
- मरीज को सलाह दी जाए कि वह 7 दिन तक खुद को घर पर आइसोलेट करके अपनी सेहत पर नजर रखे.
इस स्थिति में मरीज में सारे लक्षण खत्म होने के बाद उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट कराएं. रिपोर्ट निगेटिव आने और मरीज के क्लीनिकली रिकवर होने के बाद ही उसे डिस्चार्ज किया जा सकता है.
डॉ. संदीप पाटिल ने आगे कहा, 'अधिकांश हल्के और बिना लक्षण वाले COVID-19 मामलों में वायरस 7 वें या 8 वें दिन के बाद मर जाता है. ऐसे में यह किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल पाता है. लेकिन मृत वायरस या उसके कण RT-PCR टेस्ट में पकड़ में आ जाते हैं, जिससे टेस्ट पॉजिटिव आ जाता है. जबकि वह व्यक्ति संक्रमण मुक्त हो चुका होता है. ऐसे में मरीज को डरने की जरूरत नहीं है.'