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All India rain Update 26 June: मौसम विभाग ने आज, 26 जून से कई राज्यों में झमाझम बारिश के आसार जताए हैं. पश्चिम बंगाल, सिक्किम मेघालय आदि जैसे राज्यों में अगले पांच दिनों तक बारिश की संभावना है. आपको बता दें कि केरल, कर्नाटक जैसे दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. वहीं, दिल्ली और यूपी समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में मानसून (Monsoon) का इंतजार बस खत्म होने वाला है.
इन राज्यों में झमाझम बारिश
मौसम विभाग का अनुमान है कि 27 जून को मॉनसून राजधानी में दस्तक दे देगा. यहां 27 जून से ही बारिश की संभावना है. IMD ने 5 दिन के भीतर कई राज्यों में बारिश के आसार जताए हैं और गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, केरल व गुजरात के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है. 29 जून तक ओडिशा, बिहार, झारखंड में भी भारी बारिश के आसार हैं. उत्तराखंड में 27-29 जून तक और यूपी में 28-29 जून को भारी बारिश का अनुमान है.
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पूरे देश को कब कवर करेगा मानसून?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने गुरुवार को कहा कि खरीफ फसल के लिए महत्वपूर्ण दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 6 जुलाई तक पूरे देश में पहुंचने की संभावना है, जबकि सामान्य तिथि 8 जुलाई है. एक जल्द शुरूआत के बाद, दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और बाद में मध्य भारत में अनुकूल प्रणालियों के अभाव में दक्षिण पश्चिम मानसून देर से आगे बढ़ रहा है. IMD ने कहा कि आज की तारीख में, मॉनसून की उत्तरी सीमा (NLM) पोरबंदर, वडोदरा (दोनों गुजरात), शिवपुरी, रीवा (दोनों MP) और चुर्क (UP) से होकर गुजर रही है.
IMD का कहना है कि दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य रूप से 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है. हालांकि, गुरुवार शाम को जारी विस्तारित रेंज पूवार्नुमान (ERF) में कहा गया है: 'दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 30 जून से 6 जुलाई तक पूरे देश में आने की संभावना है.'
निश्चित तारीख पर क्या बोला मौसम विभाग
सटीक तारीख के बारे में पूछे जाने पर, IMD के एक वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने कहा कि कोई तारीख नहीं है, और ERF सिर्फ एक रास्ता दिखाता है. राष्ट्रीय राजधानी के साथ मानसून की तारीख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'फिलहाल, हम विभिन्न विशेषताओं की निगरानी कर रहे हैं और ऐसी कोई निश्चित तारीख नहीं दी जा सकती है.' इस बीच, ERF ने उल्लेख किया कि बुधवार को समाप्त हुए मौसम पूवार्नुमान सप्ताह के दौरान पूरे देश में अधिक वर्षा हुई.
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साप्ताहिक संचयी अखिल भारतीय वर्षा अपने दीर्घावधि औसत (LPA) से 45% थी, जिसमें उत्तर पश्चिम भारत में साप्ताहिक संचयी 120%, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में 77% और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में 29% थी. हालांकि, मध्य भारत के लिए यह माइनस 2 फीसदी था.
(एजेंसी इनपुट के साथ)