प्रशासन ने श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर काजीगुंड-नाशरी पर नागरिक यातायात के चलने पर दो घंटों का प्रतिबंध लगा दिया है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक के मुताबिक प्रशासन का यह फैसला यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए लिया गया है.
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श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर काजीगुंड-नाशरी पर नागरिक यातायात के चलने पर दो घंटों का प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं उन जगहों पर उस वक्त प्रतिबन्ध रहेगा, जब यात्रियों का काफिला गुज़रेगा. प्रशासन के मुताबिक यह सब इसलिए किया गया हैं, ताकि अमरनाथ यात्रियों की यात्रा सुरक्षित रहे.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर नागरिकों और निजी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रशासन के फैसले को गलत बताया हैं. नेताओं ने आरोप लगाया है कि अमरनाथ यात्रियों के लिए प्रशासन की सख्त व्यवस्था के कारण नागरिकों को कष्टों का सामना करना पड़ रहा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेताओं के मुताबिक यात्रा और आम कश्मीरियों का दशकों पुराना रिश्ता है. ऐसे फैसले यात्रियों और कश्मीरियों के रिश्तों में दरार का काम करेंगे. इनके मुताबिक 30 वर्षों में पहली बार प्रशासन ने ऐसा फैसला लिया है.
पीडीपी नेता रफ़ी मीर ने कहा "अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा हमेशा होती आई है, लेकिन यह भी देखा गया है कि जहां जहां से यात्रियों का काफिला गुज़रता है, वहां लोग उनके लिए तैयार रहते हैं. हम नहीं चाहते कि अमरनाथ यात्रा सुरक्षा के लिए को कमी हो, लेकिन उसके साथ आम लोग हैं जिनको सड़कों पर चलना है उनको कष्ट हो रहा है. सुरक्षा एजेंसियों को दोनों तरफ का ध्यान रखना चाहिए. इस माहौल को थोड़ा नरम किया जाए, लोगों का ख्याल रखना ज़रूरी है. इसमें सियासत हो रही है."
एनसी ने भी फैसले को गलत बताया, उमर ने ट्वीट कर राज्यपाल के उस बयान पर जिसमें उन्होंने लोगों से प्रतिबंधों को बर्दाश्त करने की बात की थी, पर कहा कि यह सरकार की इंकम्पटेन्सी दर्शाती है.
वहीं पार्टी के युवा नेता खालिद राठौर ने कहा "आम लोग यात्रा को सफल बनाते हैं. अब जो गवर्नर का रुख है वो यात्रियों और कश्मीरियों के बीच में आता है. कश्मीरी लोगों ने हमेशा यात्रा का स्वागत किया है. यह सरकार लोगों और यात्रियों के बीच दीवार है. आप ऐसे कश्मीरी लोगों के दिल नहीं जीत सकते हैं."
स्थानीय लोग भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. वह कहते हैं कि ऐसे प्रतिबन्ध लगाना कश्मीरियत के खिलाफ है इसे दूरी बढ़ेगी. अमरनाथ यात्रिओं की इस फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया है. कुछ इसके विरोध में बात करते हैं लेकिन ज्यादातर ने इसे यात्रा की सुरक्षा के लिए सही कदम बताया है.
एक और यात्री अवध नयारण इसे अच्छा कदम मानते हैं. वह कहते हैं कि "यह कदम यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है. मैं काफी सालों से आ रहा हूँ. अक्सर यहां पर पत्थरबाज़ी होती थी. आम जनता को परेशानी तो होती है मगर जो हज़ारों किलोमीटर से आते हैं उनको थोड़ी राहत महसूस हो रही है." वही इस फैसले पर राज्यपाल ने कहा, "प्रतिबंधों को सहन करना चाहिए क्योंकि यह अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा का मामला था."
दरअसल, अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी आतंकी हमले से बचने के लिए प्रशासन ने हाईवे पर दो घंटों के लिए आम वाहनों की आवाजाही को बंद कर दिया है. यही नहीं, संपर्क मार्गों से भी हाईवे पर तब तक कोई वाहन नहीं आ सकेगा. जब तक यात्रा के वाहन नहीं गुजर जाते. इसके अलावा बनिहाल से क़ाज़ीगुंड रेल सेवा भी सुबह दस बजे से दोपहर तीन बजे तक बंद कर दी. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 1 जुलाई को वार्षिक अमरनाथ यात्रा शुरू हुई. अब तक, एक लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने बाबा बर्फ़ानी के दर्शन किया है. 45 दिनों तक चलने वाली तीर्थयात्रा 15 अगस्त को समाप्त होगी.