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नई दिल्ली: भारत (India) के खिलाफ चीन (China) की साजिश का खुलासा करने वाली अमेरिकी कंपनी ने विस्तार से बताया है कि आखिर ड्रैगन ने मुंबई में ब्लैक आउट (Blackout) को कैसे अंजाम दिया. मैसाचुसेट्स स्थित साइबर सिक्योरिटी फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर (Recorded Future) ने वेबिनार के माध्यम से चीनी साजिश की परतें उधेड़ने का प्रयास किया है. कंपनी ने बताया कि बीजिंग ने सोची-समझी रणनीति के तहत मुंबई में ब्लैक आउट को अंजाम दिया था. हालांकि, इसके लिए जिस तकनीक का उसने इस्तेमाल किया, वह नई नहीं है. चीन पहले भी उसे दूसरे देशों के खिलाफ इस्तेमाल कर चुका है.
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डॉ. क्रिस्टोफर अहलबर्ग (Dr Christopher Ahlberg) और उसके नेशन रिसर्च के हेड जॉन कोंड्रा (Jon Condra) ने अपने अध्ययन, उसकी कार्यप्रणाली, विश्लेषण और जोखिम मूल्यांकन के बारे में बात की. इस दौरान डॉ. क्रिस्टोफर ने कहा कि रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपने नेटवर्क इंटेलिजेंस के माध्यम भारतीय पावर सेक्टर एसेट्स के नेटवर्क ट्रैफिक और चीन से जुड़े ग्रुप के सर्वरों का अध्ययन किया. उन्होंने बताया कि चीनी फर्म ने उसी मोडस ऑपरेंडी (Modus Operandi) का इस्तेमाल किया, जिसका पहले APT41 और टोंटो टीम जैसे अन्य चीनी समूहों ने किया था.
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डॉ. क्रिस्टोफर ने बताया कि भारत के पावर सेट-अप (Indian power Set-Up) पर हमला करने वाला चीनी ग्रुप अभी भी सक्रिय है और भविष्य में ऐसे दूसरे हमलों को अंजाम दे सकता है. उनके अनुसार, चीनी हैकरों (Chinese Hackers) ने दो पावर ग्रिड और दो पोर्ट सहित कुल 12 संगठनों को निशाना बनाया था. इसमें पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड; एनटीपीसी लिमिटेड; एनटीपीसी कुड़गी एसटीपीपी; वेस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर, साउथर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर, नार्थ ईस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर, ईस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर, तेलंगाना स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर, दिल्ली स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर; DTL टिकरी कलां (मुंडका), दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड; वीओ चिदंबरनार पोर्ट; और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट शामिल हैं.
डॉ. क्रिस्टोफर ने कहा कि जहां तक कार्यप्रणाली का सवाल है, रिकॉर्डेड फ्यूचर ने एक नेटवर्क विश्लेषण किया और विशेषज्ञ विश्लेषण के साथ ‘लार्ज-स्केल ऑटोमेटेड एनालिटिक्स’ के माध्यम से गतिविधि की पहचान की. उन्होंने आगे कहा कि हमने सर्वर फिंगरप्रिंटिंग का उपयोग करके शत्रु द्वारा तैयार बुनियादी ढांचे की पहचान की, जिसे बाद में नेटवर्क ट्रैफिक विश्लेषण के साथ जोड़ा गया, ताकि पीड़ितों और Adversary Infrastructure के बीच संबंधों की पुष्टि की जा सके. इसके अलावा, संगठन ने पीड़ित की पहचान के लिए उपलब्ध डेटा स्रोतों के साथ ट्रैफिक विश्लेषण को समृद्ध बनाया.
डॉ. क्रिस्टोफर अहलबर्ग और जॉन कोंड्रा ने 2019 के अंत में यूरोपीय ऊर्जा क्षेत्र पर हुए हमले का जिक्र करते हुए बताया कि उसकी जांच के लिए भी इसी पद्धति का उपयोग किया गया था. दोनों ने कहा कि चीन द्वारा रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जानी वाली पावर ग्रिड को निशाना बनाना उसे न केवल जासूसी के अवसर प्रदान करता है बल्कि यह भविष्य में बड़े खतरे की तरफ भी इशारा करता है. उनके अनुसार, संभव है कि चीन ने भविष्य में किसी बड़े हमले के लिए खुफिया जानकारी जुटाने के इरादे से यह हमला किया हो.
कंपनी के मुताबिक, यह भी संभव है कि चीन ने शक्ति प्रदर्शन के लिए इस हमले को अंजाम दिया हो. इस सवाल के जवाब में कि क्या भारतीय पावर ग्रिड पर हुए हमले में चीनी सरकार प्रत्यक्ष रूप से शामिल है? डॉ. क्रिस्टोफर ने कहा कि इस हमले के चीन द्वारा प्रायोजित होने की संभावना काफी ज्यादा है, क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर अन्य ज्ञात राज्य-प्रायोजित समूहों के साथ ओवरलैप करता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अध्ययन में यह पाया गया है कि पावर ग्रिड हमले को अंजाम देने की मोडस ऑपरेंडी नई नहीं है और कई चीनी समूह पहले भी इसका इस्तेमाल कर चुके हैं.
रिकॉर्डेड फ्यूचर ने यह भी कहा कि चीनी संगठन भविष्य में भी इस तरह के हमलों को अंजाम दे सकते हैं. हालांकि, कंपनी ने लद्दाख में सैनिकों की वापसी को लेकर भारत और चीन में हुए समझौते पर खुशी जाहिर की. गौरतलब है कि 12 अक्टूबर 2020 को मुंबई (Mumbai) में अचानक बिजली गुल हुई थी. बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण आवश्यक सेवाएं भी बाधित हुई थीं. बिजली कटौती के कारण जुहू, अंधेरी, मीरा रोड, नवी मुंबई, ठाणे और पनवेल इलाके सबसे अधिक प्रभावित हुए थे. कई इलाकों में पेट्रोल पंप, ठाणे के सारे पंपिग स्टेशन बंद हो गए थे. बॉम्बे हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई रोक दी गई थी. कई घंटों के हाहाकार के बाद विद्युत आपूर्ति बहाल हो सकी थी.