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श्रीनगर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) तीन दिन के जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) दौरे पर हैं. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश की यह उनकी पहली यात्रा है. शनिवार को वे श्रीनगर पहुंचे और सबसे पहले आतंकवादियों के हमले में शहीद एक पुलिस अधिकारी के परिजनों से मिले. इसके बाद उन्होंने घाटी में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और फिर युवाओं से संवाद किया.
इस दौरान शाह ने कहा, 'कश्मीर में शांति की शुरुआत हुई है. यहां के युवा आज विकास की बात कर रहे हैं. अब यहां से पत्थरबाज अदृश्य हो गए हैं. 5 अगस्त 2019 के बाद J&K में पारदर्शिता आई है. अब लोगों को रोजगार और शिक्षा मिल रही है. इस बदलाव की बयार को कोई रोक नहीं सकता है. इस तरह के कार्यक्रम जरूरी हैं. कश्मीर की 70 प्रतिशत आबादी युवा है. अगर इस आबादी को विकास के काम करने में जोड़ दिया जाए तो कश्मीर की शांति में कोई खलल नहीं पहुंचा सकता है.'
अमित शाह ने बताया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर की सबसे ज्यादा मदद की है. हमारी 4 लाख लोगों को रोजगार देने की योजना है. आज सभी स्टेट से ज्यादा पैसा जम्मू-कश्मीर को दिया जा रहा है. 12 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट जम्मू-कश्मीर को दिया गया है. इसी कारण जम्मू-कश्मीर के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी बड़ा बदलाव आया है. आज मेडिकल की पढ़ाई के लिए, डॉक्टर बनने के लिए किसी युवा को कश्मीर के बाहर जाने की जरूरत नहीं है. इस वक्त यहां 1150 MBBS की सीटें हैं. IIT, NEET, कैंसर अस्पताल यहां पर आए हैं. विकास हो रहा है. ये सारे काम 70 साल में क्यों नहीं हुए. क्योंकि विपक्ष सिर्फ राजनीति करना चाहता है.'
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अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार का नाम लिए बिना शाह ने परिवारवाद पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, '70 साल में देश को क्या मिला ये मैं कहना नहीं चाहता. लेकिन 70 साल में कश्मीर को 6 सांसद और तीन परिवार मिले थे. देश की आजादी के बाद 70 साल तक लोकतंत्र परिवारवाद की गिरफ्त में था.'
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शाह ने आगे कहा, 'जम्मू-कश्मीर में लोगों को भड़काने का काम किया गया. इंटरनेट बंद करने पर सवाल उठाए गए. लेकिन हमारे इंटरनेट बैन करने से ही घाटी में दहशत गर्दी कम हुई. इंटरनेट बैन करने से युवा सुरक्षित रहे. हम कर्फ्यू नहीं लगाते तो लोगों को नहीं बचा पाते. उस वक्त लोगों को उकसा कर विपक्षी पार्टियां दहशतगर्दी फैलाने चाहती थीं. इसीलिए थोड़े समय के लिए कड़वी दवा कश्मीर को देनी पड़ी. इसका नतीजा ये हुआ कि 2014-21 तक आंतकवाद कम हुआ है. अब कश्मीर की शांति में खलल पहुंचाने वालों के साथ सख्ती से निपटा जा रहा है. हमारा मकसद दहशत गर्दी को खत्म करना है. क्योंकि ऐसा किए बिना शांति नहीं आ सकती.'
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