वायुसेना, सेना की स्पेशल फोर्सेंज़ के कमांडो और नागरिक पर्वतारोहियों की टीम के 17 सदस्य पूरे दिन दुर्घटनास्थल पर रही लेकिन पूरे दिन भारी बारिश और बादलों की वजह से कोई हेलीकॉप्टर दुर्घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाया.
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नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश की घाटियों में 3 जून को दुर्घटनाग्रस्त हुए वायुसेना के एयरक्राफ्ट में शहीद हुए वायुसैनिकों के शवों को लाने के काम शनिवार पूरे दिन नहीं हो पाया. वायुसेना, सेना की स्पेशल फोर्सेंज़ के कमांडो और नागरिक पर्वतारोहियों की टीम के 17 सदस्य पूरे दिन दुर्घटनास्थल पर रही लेकिन पूरे दिन भारी बारिश और बादलों की वजह से कोई हेलीकॉप्टर दुर्घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाया.
अरुणाचल प्रदेश की घाटियों में साल के इस समय बहुत नीचे और घने बादल होते हैं. इस वजह से इन घाटियों में हेलीकॉप्टर ले जाना और बाहर निकालना बहुत ख़तरनाक हो जाता है और बहुत कुशल पायलट भी मौसम साफ़ होने का इंतज़ार करने के अलावा कुछ नहीं कर पाते. यहां एयरक्राफ्ट का मलबा एक 12000 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी से थोड़ा नीचे तीखी ढलान पर बिखरा हुआ है. यहां से शवों को लाने या बचावकर्मियों को लाने-ले जाने के लिए केवल एक ही तरीक़ा है और वह है हेलीकॉप्टर से रस्सी लटकाकर कार्रवाई करना.
ये इस मौसम में करना नामुमकिन बना हुआ है. इसके बाद इन शवों को उनके बेस जोरहाट ले जाया जाएगा. पूरे दिन वायुसेना की एक टीम दुर्घनास्थल पर रही और दूसरी ओर जोरहाट में चीता और एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव तैयार खड़े रहे. सुबह की बारिश के बाद दिन में मौसम साफ़ होने की उम्मीद थी लेकिन शाम तक मौसम ख़राब ही बना रहा. वायुसेना कल सुबह से अपना अभियान दोबारा शुरू करेगी.
उधर, वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने शनिवार को कहा कि भारतीय वायु सेना अरुणाचल प्रदेश में हाल में दुर्घटनाग्रस्त हुए एएन-32 विमान हादसे के कारणों का पता लगाकर यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे हादसे फिर नहीं हों. डूंडीगल में वायुसेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड से इतर संवाददाताओं से कहा, "हमें फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर मिल गए हैं...हम इस बात की विस्तृत जांच करेंगे कि क्या हुआ और यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा दुबारा नहीं हो."
उन्होंने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश में, इलाके बेहद दुर्गम हैं और वहां अधिकतर बादल छाए रहते हैं...जब आप उस क्षेत्र में बादलों वाले ऐसे मौसम में उड़ान भरते हैं, तो वहां दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है.
ऐसी प्रक्रियाएं हैं जिनसे यह सुनिश्चित हों कि इस तरह की घटनाएं फिर न हों.