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नई दिल्लीः कोविड के मामले में भारत अब एक नए युग में प्रवेश कर रहा है. और इस नए युग में 15 से 18 साल के बीच के बच्चों को भी अब कोविड की वैक्सीन लगाई जाएगी. अगर आपके घर में इस उम्र का कोई बच्चा है तो आज का DNA आपके परिवार के लिए है. देश के हर माता पिता ये जानना चाहते हैं कि वो अपने बच्चों को वैक्सीन कैसे लगवाएं.. और लगवाएं भी या ना लगवाएं? तो आज हम ये सारी जानकारी आपको बताएंगे.
भारत में कोरोना का वैक्सीनेशन इसी साल 16 जनवरी को शुरू हुआ था. यानी अब तक 345 दिन ही हुए हैं. एक साल भी पूरा नहीं हुआ. लेकिन इसके बावजूद भारत 18 साल से ऊपर के 61 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ और 90 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की एक डोज़ लगा चुका है. कुल मिला कर कहें तो आज रात 9 बजे तक देश में वैक्सीन की कुल 141 करोड़ 70 लाख डोज़ लग चुकी हैं. आप इसे समझिए कि पहले चरण में 18 साल से ऊपर के लोगों को कम से कम एक डोज़ लगाने का काम लगभग पूरा होने वाला है. इसीलिए सरकार ने इस अभियान का दूसरा चरण शुरू करने का फैसला किया. और इस चरण में 15 से 18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जाएगी
हमारे देश में इस उम्र के 8 से 10 करोड़ बच्चे हैं. और इन बच्चों को भी वैक्सीन की दो डोज़ लगवाने पर ही Fully Vaccinated माना जाएगा. यानी 18 साल से ऊपर के लोगों की तरह उन्हें भी दो डोज़ लगवानी होंगी. और इस हिसाब से सरकार को कुल 16 करोड़ से 20 करोड़ डोज़ की आवश्यकता होगी. अब सवाल आता है कि ये वैक्सीन कैसे लगाई जाएगी? इसका जवाब बहुत सरल है. जैसे हर परिवार में माता-पिता ने वैक्सीन लगवाने के लिए भारत सरकार के Cowin App और आरोग्य सेतु App पर खुद को रजिस्टर किया था, ठीक उसी तरह उन्हें अपने बच्चों का भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
इस दौरान जिस पहली बात का आपको ध्यान रखना है, वो ये कि जिन बच्चों का जन्म वर्ष 2007 या उससे पहले हुआ है, वही वैक्सीन लगवाने के लिए योग्य माने जाएंगे. अगर आपके बच्चे का जन्म 2008 या उसके बाद हुआ है तो उसका रजिस्ट्रेशन मान्य नहीं होगा. रजिस्ट्रेशन की ये प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू होगी, इसलिए आप चाहें तो आज से ही रजिस्ट्रेशन के लिए समय निकाल कर रख सकते हैं.
18 साल से कम उम्र के बच्चों के पास ना तो ड्राइविंग लाइसेंस होता है और ना ही Voter ID कार्ड, इसलिए सरकार ने तय किया है कि बच्चे अपना आधार कार्ड कोविन ऐप पर अपलोड करके रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. अभी भारत में आधार कार्ड बनवाने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है. आप चाहें तो बच्चे के जन्म वाले दिन ही उसका आधार कार्ड बनवा सकते हैं. यानी ये उम्मीद की जा सकती है कि आज हर बच्चे के पास आधार कार्ड तो होगा ही. अगर आधार कार्ड नहीं भी है तो भी चिंता वाली बात नहीं है. आप अपने स्कूल का आईडी कार्ड Cowin App पर अपलोड करके भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. सभी बच्चों और उनके माता पिता को हम फिर से बता दें, उन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए या तो बच्चों का आधार कार्ड या उनके स्कूल का आईडी कार्ड चाहिए होगा.
माता पिता चाहें तो अपने बच्चों को वैक्सीन लगवाने के लिए उसी नम्बर से Cowin App और आरोग्य सेतु App पर लॉग-इन कर सकते हैं, जिससे उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन किया था. एक नम्बर से कुल चार लोगों का रजिस्ट्रेशन हो सकता है. अगर आप पुराने मोबाइल नम्बर से रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते हैं तो नए नम्बर से भी अपने बच्चों को वैक्सीन लगवाने के लिए Slot बुक करा सकते हैं. इस रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया एक जनवरी से शुरू होगी और वैक्सीन लगाने का काम 3 जनवरी से शुरू होगा.
15 से 18 साल के बच्चों के लिए अभी देश में दो Vaccines उपलब्ध हैं. एक है Bharat Biotech की Covaxin और दूसरी है Zydus Cadila की Zycov-D . यहां महत्वपूर्ण बात ये है कि वैक्सीन को मंज़ूरी देने का नाम Drugs Controller General of India करता है. और इन दोनों ही Vaccines को 12 से 18 साल से बच्चों के लिए अनुमति दी गई है. लेकिन फिर भी सरकार ने लम्बी समीक्षा के बाद शुरुआत में 15 से 18 साल के बच्चों को ही Vaccine लगाने का निर्णय लिया है. हालांकि शुरुआत में बच्चों को Covaxin ही लगाई जाएगी. वो इसलिए क्योंकि सरकार Zydus Cadila की वैक्सीन के बारे में अभी और अध्ययन करना चाहती है और इसलिए शुरुआत में ये वैक्सीन 18 साल से ऊपर के लोगों को ही लगेगी. लेकिन उससे कम उम के लोगों पर इसका इस्तेमाल नहीं होगा.
अभी देश में 18 साल से ऊपर के लोगों को प्रति दिन औसतन 30 लाख वैक्सीन की डोज़ लग रही हैं. इस हिसाब से अगर 15 से 18 साल के 30 लाख बच्चों को हर रोज़ वैक्सीन लगाई जाती है तो सरकार 33 दिन में इस उम्र के सभी बच्चों को वैक्सीन लगा देगी. लेकिन अगर प्रति दिन 15 लाख वैक्सीन ही लगाई जाती हैं तो इन बच्चों को केवल एक एक वैक्सीन लगाने में ही 66 दिन का समय लगेगा. यानी लगभग दो महीने से थोड़ा ज़्यादा समय. बच्चों के लिए वैक्सीन की दो डोज़ के बीच 28 दिन का अंतर हो सकता है. और हमें पता चला है कि जैसे अभी भारत सरकार देश के सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीन लगा रही है, वैसे ही बच्चों को भी मुफ्त वैक्सीन लगाई जाएगी. जो माता पिता प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन लगवाना चाहते हैं, उन्हें Covaxin की एक डोज़ के लिए लगभग 1100 रुपये तक देने होंगे.
इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि शुरुआत से ही इस महामारी ने बच्चों को कम प्रभावित किया है. और जो बच्चे कोरोना से संक्रमित भी हुए है, उनमें से बहुत कम को ही अस्पताल में इलाज कराने की ज़रूरत पड़ी है. ऐसे में कहा ये जा रहा है कि जिस बीमारी का बच्चों पर बहुत कम असर है, उसकी वैक्सीन लगाने का ज्यादा प्रभाव नहीं होगा. लेकिन हमें लगता है कि इस मामले में आपको सुनी सुनाई बातों से ज्यादा देश की स्वास्थ्य एजेंसियों और वैज्ञानिकों की बात माननी चाहिए. और देश की स्वास्थ्य एजेंसियों का कहना है कि ये दोनों ही Vaccines आपके बच्चों के लिए सुरक्षित है. इनमे Covaxin के अंतिम ट्रायल के नतीजे इसी साल अगस्त महीने में आए थे और इस ट्रायल को सफल माना गया था. एक और बात भारत अकेला ऐसा देश नहीं है, जहां 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है.
अमेरिका, इटली और कनाडा में पांच साल या उससे ज़्यादा उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है. इंडोनेशिया, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया में 6 साल, ब्रिटेन, फिलिपींस, ब्राज़ील, कोलम्बिया, Spain, Greece, Ireland में 12 साल और क्यूबा में 2 या उससे ज्यादा साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है. और इन देशों में बच्चों पर वैक्सीन के दुष्प्रभाव के मामले ना के बराबर मिले हैं.
अब आपको वैक्सीन की Precautionary Dose के बारे में बताते हैं, जो 60 साल से ज़्यादा उम्र के गम्भीर बीमारियों वाले उन बुज़ुर्गों को लगाई जाएगी, जो पहले ही वैक्सीन की दो डोज़ लगवा चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके लिए विशेष तौर पर Precautionary Dose शब्द का इस्तेमाल किया है. इसलिए आप ये समझिए कि Precautionary Dose और Booster Dose में क्या अंतर होता है
इस समय दुनिया के 50 से ज़्यादा देशों में वैक्सीन की Booster डोज़ लगाई जा रही है. इन देशों में इसे Booster डोज़ के साथ वैक्सीन की तीसरी यानी Third Dose भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवाने के कुछ महीनों बाद शरीर में उनका प्रभाव कम हो जाता है. और वैक्सीन अपनी उपयोगिता खोने लगती है. इसलिए उसे Boost किया जाता है, यानी उसकी शक्ति में वृद्धि की जाती है. इसलिए ही इसे Booster Dose कहते हैं. अभी जिन भी देशों में Booster Dose लगाई जा रही है, वहां 18 साल से ऊपर के सभी लोग इसके लिए योग्य हैं. और यही बात Booster Dose को Precautionary Dose से अलग बनाती है.
Precautionary का मतलब होता है एहतियात के तौर पर लगाई जाने वाली वैक्सीन. यानी ये डोज़ एहतियात के तौर पर लगाई जाएगी. और केवल उन्हीं लोगों को लगाई जाएगी, जिनकी उम्र 60 साल से ज़्यादा होगी और जिन्हें कोई गम्भीर बीमारी होगी. इसे ऐसे समझिए कि आपके घर में जो बड़े बुजुर्ग हैं, उन्हें कोई गम्भीर बीमारी नहीं है तो उन्हें ये Precautionary Dose लगवाने की ज़रूरत नहीं है. हालांकि आप सोच रहे होंगे कि कौन सी बीमारियों में ही बुज़ुर्ग ये डोज़ लगवा सकते हैं तो 22 गम्भीर बीमारियों में ही ऐसा हो सकता है. इसकी पूरी लिस्ट आप अपनी टीवी स्क्रीन पर देख सकते हैं. इनमें Diabetes है, कैंसर है, किडनी की बीमारी है. और सांस से जुड़ी बीमारियां हैं. अगर ये Booster डोज़ होती तो इसमें बीमारी की शर्त नहीं होती. तब 60 साल से ऊपर के सभी बुज़ुर्गों को ये डोज़ लगाई जाती. इससे आप दोनों के बीच को अंतर समझ सकते हैं
Precautionary Dose के लिए वैक्सीनेशन 10 जनवरी से शुरू होगा. और 7 जनवरी से आप रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे. इसके अलावा आपको टीका केन्द्र पर डॉक्टर का एक सर्टिफिकेट और ज़रूरी दस्तावेज भी दिखाने होंगे, जिससे ये साबित हो सके कि आपको इन 22 में से कोई एक बीमारी है. तभी आपको डोज़ लगाई जाएगी. इसके अलावा एहतियात के तौर पर Frontline Workers, स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों को भी ये डोज़ लगाई जाएगी. हमें पता चला है कि जिन लोगों ने दूसरी डोज़ 9 महीने पहले लगवाई थी, वो 10 जनवरी से Precautionary Dose लगवा पाएंगे. मतलब दूसरी और तीसरी डोज़ के बीच कम से कम 9 महीने का अंतर होगा.