DNA Analysis: तो क्या BJP सेंट्रल एजेंसियों को इस्तेमाल कर रही है? समझें CBI रेड की पॉलिटिकल 'क्रोनोलॉजी'
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DNA Analysis: तो क्या BJP सेंट्रल एजेंसियों को इस्तेमाल कर रही है? समझें CBI रेड की पॉलिटिकल 'क्रोनोलॉजी'

बिहार में नई सरकार बनाने के लिए आज सबसे बड़ा दिन था, लेकिन CBI ने इसका मजा किरकिरा कर दिया. विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही, CBI ने आरजेडी के इन नेताओं के घर छापा मार दिया.

DNA Analysis: तो क्या BJP सेंट्रल एजेंसियों को इस्तेमाल कर रही है? समझें CBI रेड की पॉलिटिकल 'क्रोनोलॉजी'

DNA Analysis: बुधवार को बिहार में एक तरफ JDU और RJD, विधानसभा में शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे, तो दूसरी तरफ केंद्रीय शक्ति से युक्त CBI और ED देश के 42 जगहों पर छापेमारी कर रही थी. अब इसे इत्तेफाक कहें या कुछ और, लेकिन केवल बिहार में ही RJD के 5 बड़े नेताओं के 25 ठिकानों पर CBI की टीमें पहुंची थीं. बिहार में नई सरकार बनाने के लिए आज सबसे बड़ा दिन था, लेकिन CBI ने इसका मजा किरकिरा कर दिया. विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही, CBI ने आरजेडी के इन नेताओं के घर छापा मार दिया.

इन नेताओं के ठिकानों पर CBI

सुबह 8 बजे से ही CBI की टीम आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह, राज्यसभा सदस्य डॉ फैयाज अहमद और अशफाक करीम, पूर्व एमएलसी सुबोध राय और पूर्व विधायक अबू दुजाना के ठिकानों पर पहुंच गई. ये सभी RJD के बड़े नेता हैं और लालू प्रसाद यादव के बहुत करीबी बताए जाते हैं. CBI को शक है इन सभी नेताओं का कनेक्शन Land For Job स्कैम से जुड़ा है. इस स्कैम में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार वालों पर रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले लोगों से जमीन लेने का आरोप है. इसी मामले में ये सारे नेता CBI जांच लिस्ट में शामिल थे. CBI की टीम जांच के लिए आज कहां-कहां पहुंची थी, ये भी आपको जानना चाहिए.

इन ठिकानों पर पहुंची CBI

CBI की टीम सुबह 8 बजे ही सुनील सिंह के घर और पटना में उनके बिस्कोमान टावर पर पहुंची थी. मधुबनी में CBI ने राज्यसभा सदस्य डॉ. फैयाज़ अहमद के घर पर रेड की. राज्यसभा सदस्य अशफाक करीम के 2 शहरों में मौजूद ठिकानों पर भी CBI की टीम पहुंची थी. वो उनके पटना वाले घर और कटिहार में मौजूद ठिकानों और मेडिकल कॉलेज भी गई थी.

गुरुग्राम में तेजस्वी के ठिकानों पर छापेमारी

ये छापेमारी केवल बिहार तक ही सीमित नहीं थी. CBI की एक टीम हरियाणा के गुरुग्राम में एक मॉल पर रेड करने के लिए पहुंची थी. ये मॉल बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का है. ये एक निर्माणाधीन मॉल है जो अबु दोजाना की कंपनी बना रही है. अबू दोजाना के ठिकानों पर भी सीबीआई ने छापेमारी की है, अबू दुजाना को RJD का फाइनेंसर कहा जाता है. RJD ने इस कार्रवाई को लेकर केंद्र सरकार पर बदला लेने का आरोप लगाया है. दरअसल हाल ही में JDU ने पाला बदलकर, RJD के साथ बिहार में सरकार बना ली.

आज इसी सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट देना था. फ्लोर टेस्ट के दिन ही CBI ने रेड की, और रेड की यही टाइमिंग राजनीति से प्रेरित नजर आती है. हालांकि CBI ने 3 महीने पहले इस मामले में FIR दर्ज की थी और आपको याद होगा मई में उसके बाद, राबड़ी के आवास पर सीबीआई की टीम पहुंच गई थी. इस मामले में जांच के बाद लालू प्रसाद यादव के करीबी भोला यादव को CBI ने गिरफ्तार किया था, जिससे पूछताछ के बाद आज ये बड़ी कार्रवाई की गई है.

आइए जानते हैं Land for Job स्कैम के जिस मामले में छापेमारी हुई है. वो है क्या? सीधे सपाट शब्दों में ये स्कैम, नौकरी के बदले कम कीमत पर जमीन देने से जुड़ा है. आरोप है कि लालू प्रसाद यादव का परिवार रेलवे में नौकरी के बदले, अयोग्य उम्मीदवारों से रिश्वत के तौर पर कम कीमत पर जमीन ले रहा था. CBI ने इसी साल मई में लालू प्रसाद यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दोनों बेटियों मीसा भारती और सीमा यादव के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी. इस मामले में सीबीआई ने कुल 17 लोगों को आरोपी बनाकर FIR दर्ज की थी.

कब हुआ यह स्कैम?

ये पूरा स्कैम, वर्ष 2004 से 2009 के बीच हुआ था. यूपीए सरकार के दौर में इस दौरान लालू प्रसाद यादव ही रेलमंत्री थे. लालू यादव के कार्यकाल में रेलवे में नौकरी की बंदरबांट शुरू हुई, लेकिन शर्त ये थी कि रिश्वत के तौर पर कैश नहीं, कम कीमत पर जमीन देनी थी. इस खेल में यूं तो कई लोगों को नौकरियां मिली, लेकिन सीबीआई ने 12 लोगों का जिक्र किया है, जिनसे रिश्वत के तौर पर 7 प्लॉट लिए गए थे. अब हम आपको इस घोटाले से जुड़े 4 महत्वपूर्ण पॉइंट्स बताते हैं. 

इस घोटाले में अयोग्य उम्मीदवारों को 

  • बिना विज्ञापन निकाले नौकरियां दी गई थीं. 

  • फॉर्म भरने के 3 दिन के अंदर नौकरी मिल गई थी.

  • रिश्वत के तौर पर कम कीमत पर ज़मीन दी गई थी.

  • करीब 1 लाख स्क्वायर फीट जमीन रिश्वत के तौर पर मिली थी.

हिंदी में एक मुहावरा है 'जब सैंय्या भए कोतवाल तो अब डर काहे का'. इस घोटाले में यही दिखा. लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री होने का भरपूर फायदा उठाया गया. यादव परिवार और उनके करीबियों ने रेलवे को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना दिया, जिसमें जिसको चाहा भर्ती कर लिया. शर्त यही थी कि पैसा नहीं, जमीन देनी है. देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने के मामले में भारतीय रेलवे पहले नंबर पर है. इसके बाद सेना का नंबर आता है.  लाखों परीक्षार्थी रेलवे के अलग-अलग सेक्शन में नौकरियां पाने के लिए सालभर मेहनत करते हैं, परीक्षा देते हैं. लेकिन लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में ग्रुप डी की नौकरी के लिए रिश्वत देकर नौकरी दी जी रही थी. जिस भी अयोग्य उम्मीदवार के पास ज़मीन थी, उसे बिना परीक्षा दिए, 3 दिन के अंदर नौकरी मिल जाती थी.

सीबाआई के मुताबिक इस घोटाले में लालू प्रसाद यादव के परिवार ने 1 लाख स्क्वायर फीट जमीन रिश्वत के तौर पर ली थी. जिसे मात्र 26 लाख में खरीदा गया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कुल जमीन की मार्केट वैल्यू करीब साढ़े 4 करोड़ थी. इसमें भी नौकरी पाने वाले जमीन मालिकों को कैश में भुगतान किया गया था. ये पूरा स्कैम विश्वास पर चल रहा था. इसमें कई मामले ऐसे थे जिसमें नौकरी पहले लगी, जमीन बाद में दी गई. इसी वजह से जांच एजेंसियों को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी थी. उदाहरण के तौर पर अगर वर्ष 2008 में किसी को रेलवे में नौकरी मिली, तो उस शख्स ने वर्ष 2014 में रिश्वत के मुताबिक, अपनी जमीन सस्ती कीमतों पर लालू यादव के परिवार के किसी सदस्य को बेची थी. अब हम आपको Land For Job स्कैम के 7 ऐसे मामले बता रहे हैं. जिससे आपको ये पूरा खेल समझ में आ जाएगा.

पहली डील

6 फरवरी 2008 को पटना के किशुन देव राय ने करीब साढ़े 3 हजार स्क्वायर फीट जमीन, लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को मात्र 3 लाख 75 हजार में बेच दी थी. इसी साल किशुन देव के परिवार के 3 लोगों को रेलवे में नौकरी मिल गई थी.

दूसरी डील

2008 में ही पटना के संजय राय ने भी करीब साढ़े 3 हजार स्क्वायर फीट जमीन, राबड़ी देवी को मात्र 3 लाख 75 हजार रुपये में बेच दी. इसके बाद संजय और उनके परिवार के 2 लोगों को रेलवे में नौकरी मिल गई थी.

तीसरी डील

नवंबर 2007 में पटना की किरण देवी ने अपनी 80 हजार स्क्वायर फीट जमीन मात्र 3 लाख 70 हजार में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा को बेच दी थी. इसके अगले साल यानी वर्ष 2008 में किरण देवी के बेटे को रेलवे में नौकरी मिल गई थी.

चौथी डील

फरवरी 2007 में पटना के हजारी राय ने अपनी साढ़े 9 हजार स्क्वायर फीट जमीन, दिल्ली की एक कंपनी ए.के इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को 10 लाख 83 हजार रुपये में बेच दी थी. इसके बाद हजारी राय के दो भतीजों को रेलवे में नौकरी मिल गई थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2014 में एके इंफोसिस्टम कंपनी की डायरेक्टर राबड़ी देवी को बना दिया गया. उन्होंने कंपनी के ज्यादातर शेयर खरीद लिए थे. तो एक तरह से ये जमीन भी उनके पास चली गई.

पांचवी डील

इसी तरह से वर्ष 2015 में पटना के लाल बाबू राय ने अपनी साढ़े 13 सौ स्क्वायर फीट जमीन मात्र 13 लाख रुपये में राबड़ी देवी को बेच दी. लाल बाबू राय के बेटे को 2006 में ही रेलवे में नौकरी दे दी गई थी. यानी नौकरी पहले दी गई थी और जमीन उसके 9 साल बाद बेची गई.

छठी डील

2008 में बृजनंदन राय नाम के शख्स ने करीब साढ़े 3 हजार स्क्वायर फीट जमीन हृदयानंद चौधरी को 4 लाख 21 हजार रुपये में बेच दी थी. हृदयानंद चौधरी को 2005 में रेलवे में नौकरी मिल गई थी. रिश्वत के एवज में हृदयानंद ने यही जमीन गिफ्ट डीड के जरिए लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा यादव को दे दी थी. नौकरी लगने के 3 साल बाद ये जमीन लालू यादव के परिवार के पास आई थी.

सातवीं डील

विशुन देव राय नाम के शख्स ने मार्च 2008 में करीब साढ़े 3 हजार फीट जमीन ललन चौधरी नाम के शख्स को दी. लल्लन चौधरी के पोते को 2008 में रेलवे में नौकरी मिल गई. रिश्वत के तौर पर लल्लन ने 6 साल बाद वर्ष 2014 में ये जमीन हेमा यादव को दे दी.

मतलब सौदा पक्का हुआ, नौकरी लगी और उसके कई सालों बाद जमीन कम कीमत पर लालू प्रसाद यादव के परिवार को बेच दी गई. पूरे खेल में करीब साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा की जमीन मात्र 26 लाख में खरीद ली गई थी.

फ्लोर में जिस वक्त बिहार सरकार का शक्ति परीक्षण चल रहा था, उस दौरान CBI और ED सदन से बाहर शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे. बिहार की राजनीति में जो बदलाव हुए हैं, उससे जोड़कर देखा जाए, तो CBI रेड की टाइमिंग RJD को साजिश लग रही है. हालांकि ये मामला JDU और RJD गठबंधन से 2 महीने पहले ही दर्ज किया जा चुका था. वैसे बिहार में ये एक ट्रेंड बन गया है कि जब JDU और RJD गठबंधन में आते हैं, तो खासतौर से लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ कार्रवाई तेज हो जाती हैं. Land For Job Scam में हाइपर एक्टिव हो गई CBI, तब भी एक्टिव हुई थी जब वर्ष 2015 में नीतीश ने महागठबंधन वाली सरकार बनाई थी.

IRCTC घोटाले में हुई थी जांच

उस वक्त CBI ने IRCTC होटल घोटाले के मामले में कार्रवाई की थी. वर्ष 2017 में बिहार की महागठबंधन सरकार के लिए, ये कार्रवाई बड़ी मुसीबत बना गई थी. इसमें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के नाम थे, और तेजस्वी यादव उस वक्त डिप्टी सीएम थे. UPA के दौरान जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब IRCTC के कुछ होटल्स चलाने का टेंडर निकाला गया था. ये टेंडर रांची और पुरी के होटल के लिए थे. IRCTC के होटल चलाने का कॉन्ट्रैक्ट सुजाता होटल्स ग्रुप को मिला था. CBI का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के एक करीबी को 3 एकड़ जमीन रिश्वत के तौर पर मिली थी. ये रिश्वत होटल का कॉन्ट्रैक्ट देने के एवज में दी गई थी.

CBI ने इस मामले में वर्ष 2017 में FIR दर्ज की थी. जिसमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, IRCTC के तत्कालीन एमडी के अलावा लालू के करीबी प्रेमचंद गुप्ता का नाम था. CBI की इस FIR का राजनीतिक असर दिखाई दिया था. FIR में तेजस्वी यादव का नाम था जो बिहार के डिप्टी सीएम थे. उन पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया था. इसी वजह से गठबंधन टूटा और इसके एक दिन बाद ED ने भी इसी मामले में सभी पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया था. तब से लकर अब तक ये मामला लटका हुआ था. लेकिन अब इसी मामले में CBI फिर से एक्टिव हो गई है. जिस दिन तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली, उसी दिन CBI ने दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई की अपील की थी. इसके जरिए तेजस्वी यादव पर CBI का शिकंजा कस सकता है. वैसे आपने देखा होगा कि अक्सर इस तरह के संयोग होते हैं, कि जब विपक्षी पार्टियां मजबूत दिखती हैं, वैसे ही केंद्रीय एजेंसियां काम पर लग जाती हैं. बिहार इसका सबसे ताजा उदाहरण है. लेकिन देश की राजनीति में ऐसा पहले भी होता रहा है.

ये महज संयोग है?

जैसे अप्रैल 2021 में तमिलनाडु चुनाव के सिर्फ 4 दिन पहले इनकम टैक्स विभाग ने DMK चीफ स्टालिन की बेटी और दामाद के घर पर छापा मारा था. उस वक्त AIADMK और BJP के गठबंधन को स्टालिन से कड़ी चुनौती मिल रही थी. इसी तरह अप्रैल 2021 में ही ED ने पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान TMC के प्रवक्ता कुनाल घोष और लोकसभा सदस्य शताब्दी रॉय के घर छापेमारी की थी. 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार के खिलाफ आयकर विभाग ने टैक्स चोरी का मामला दर्ज किया था. जुलाई 2019 में सचिन पायलट ने जब कांग्रेस से बगावत की थी, उस दौरान अशोक गहलोत के करीबियों पर ED और आयकर विभाग ने छापेमारी की थी.

ऐसा तो UPA के शासन में भी होता रहा है

देखा जाए तो भले ही विपक्ष, आज के सत्ताधारी दल पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाती हो, लेकिन NDA कार्यकाल में ही नहीं UPA कार्यकाल में भी ऐसा होता था. अक्टूबर 2013 में अरुण जेटली ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को एक खुला खत लिखा था. 15 पेज के इस पत्र का सार ये था कि कांग्रेस, बीजेपी का मुकाबला नहीं कर सकती, इसीलिए केंद्रीय एजेंसियों का सहारा लेकर, बीजेपी नेताओं को फंसा रही है.

मार्च 2013 में DMK, UPA गठबंधन से अलग हो गया था, इसके दो दिन बाद स्टालिन के घर पर CBI के छापे पड़े थे. आपको याद होगा कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले के मामले में CBI को पिंजरे का तोता कह दिया था. उस वक्त CBI पर आरोप था कि उसने कानून मंत्री के कहने पर कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बदलाव किए थे. एक तरह से भारतीय राजनीति की परंपरा रही है कि जो दल सत्ता में होता है, उसपर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगते रहे हैं और जो दल विपक्ष में रहा है, उस पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई वाली खास कृपा रही है.

आज ED ने भी झारखंड में 17 जगहों पर छापेमारी की. इसमें सीएम हेमंत सोरेन के करीबी प्रेम प्रकाश के घर पर ED की टीम पहुंची थी. आमतौर आपने देखा होगा कि ED जब कहीं छापेमारी करती है, तो उसको अवैध कमाई का खजाना मिलता है, तिजोरियों में नोटों की गड्डियां मिलती हैं. लेकिन रांची में जब ED की टीम प्रेम प्रकाश के घर पहुंची, तो उनकी तिजोरी से AK-47 मिली. ED के अधिकारी हैरान हो गए, क्योंकि उनको जो इनपुट मिला था, उसके मुताबिक तिजोरी में करोड़ों रुपये होने चाहिए थे. लेकिन उनको दो AK-47 और कारतूस मिले.

झारखंड के खनन घोटाले के मामले में प्रेम प्रकाश के घर पर छापेमारी की गई थी. उनके 11 ठिकानों पर अब रेड हुई थी, जिसमें उनके पुराने दफ्तर भी शामिल हैं. कुछ दिन पहले ED ने प्रेम प्रकाश को पूछताछ के लिए भी बुलाया था. लेकिन कुछ घंटों के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था. ED ने प्रेम प्रकाश के चार्टेड अकाउंटेंट के घर पर भी छापेमारी की है. जिस खनन घोटाले के मामले में ये छापेमारी हुई है वो 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का है. इसी साल मार्च में ED ने इसकी जांच शुरू की थी. जुलाई में 19 जगहों पर ED ने छापेमारी की थी. इस मामले में ईडी ने अलग-अलग बैंक अकाउंट्स के 13 करोड़ रुपये सीज भी किए थे. ये अकाउंट्स जिन लोगों के थे उनको सीएम हेमंत सोरेन का करीबी बताया जाता है. इनमें से एक अकाउंट JMM के विधायक पंकज मिश्रा का भी था.

जिस प्रेम प्रकाश के ठिकानों पर ED ने छापेमारी की है, उसके बारे में कहा जाता है कि वो IAS-IPS अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर, कई तरह के काम मैनेज करता था. ED की छापेमारी में जो AK-47 मिली, उसको लेकर प्रेम प्रकाश बड़ी मुसीबत में फंस गए हैँ. हलांकि अब नई जानकारी ये आई है कि ये AK-47 दरअसल रांची पुलिस के 2 जवानों की थी. रांची पुलिस ने प्रेस रीलीज जारी करके ये जानकारी दी है. दोनों जवानों का कहना है कि 23 अगस्त को ड्यूटी खत्म करने के बाद, उन्होंने अपनी AK-47 प्रेम प्रकाश के घर पर रखवा दी थीं. इस लापरवाही के लिए दोनों जवानों को सस्पेंड कर दिया गया है.

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