Baghpat News: हिंदुओं को 53 साल बाद मिला लाक्षागृह पर अधिकार, क्या फैसले को शांति से मान लेगा मुस्लिम पक्ष?
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Baghpat News: हिंदुओं को 53 साल बाद मिला लाक्षागृह पर अधिकार, क्या फैसले को शांति से मान लेगा मुस्लिम पक्ष?

Baghpat Lakshagraha News: बागपत के लाक्षाग्रह विवाद में सिविल कोर्ट ने 53 साल बाद फैसला हिंदू पक्ष में सुनाया है. ऐसे में क्या ये माना जा सकता है कि यह विवाद शांत हो गया है या फिर इसे आगे बढ़ाने की शुरुआत हो रही है.

Baghpat News: हिंदुओं को 53 साल बाद मिला लाक्षागृह पर अधिकार, क्या फैसले को शांति से मान लेगा मुस्लिम पक्ष?

History of Lakshagraha: बागपत सिविल कोर्ट ने लाक्षागृह और मजार विवाद पर फैसला देते हुए बीते कल हिंदू पक्ष को मलिकाना हक दे दिया. जिसके बाद आज बागपत के बरनावा में बने लाक्षागृह एरिया में पुलिस बल तैनात और अलर्ट पर है. मुस्लिम पक्ष की ओर से अभी तक इस फैसले का विरोध नहीं किया गया है. लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एसपी बागपत ने भारी पुलिस बल तैनात कर रखा है. फिलहाल कहीं से विरोध की खबर नहीं है और पुलिस हालात पर नजर रखे हुए है. 

बागपत कोर्ट में मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज

आपको बता दें कि बरनावा के लाक्षागृह और मजार को लेकर पिछले 53 सालों से बागपत सिविल कोर्ट में केस चल रहा था. लाक्षाग्रह क्षेत्र में एक ढांचे को मजार बताते हुए वक्फ बोर्ड ने वर्ष 1970 में  पूरे 108 बीघे जमीन को अपना बताते हुए कोर्ट में केस दायर किया था, जिसे 53 साल बाद सोमवार को सिविल कोर्ट बागपत ने खारिज कर दिया. 

'लाक्षागृह में मुस्लिम सूफी बदरुद्दीन की मजार नहीं'

सिविल जज शिवम द्विवेदी ने माना कि महाभारत कालीन लाक्षागृह पर मुस्लिम सूफी बदरुद्दीन की कोई मजार नहीं है. उन्होंने अपने आदेश में यह टिप्पणी करने के साथ ही लाक्षाग्रह पर मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज कर दिया. साथ ही हिंदू पक्ष को पूरे लाक्षागृह का मालिकाना हक दे दिया. इस फैसले के दोनों मुद्दई पहले ही गुजर चुके हैं. 

हिंदू पक्ष को यहां की 108 बीघा जमीन पर अधिकार मिला है. कोर्ट में पेश किए गए साक्ष्य के आधार पर माना गया कि वहां मजार की ज़मीन पर किसी भी जगह राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है.  करीब 53 साल से यानी 1970 से हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच मुकदमा चल रहा था. मुस्लिम पक्ष इस जमीन को सूफी संत शेख बदरुद्दीन की मजार और कब्रिस्तान बता रहा था

आपको बता दें कि सिविल जज शिवम द्विवेदी ने मुस्लिम पक्ष का वाद खारिज किया है. सिविल जज शिवम द्विवेदी ने माना की महाभारत कालीन लाक्षागृह पर मुस्लिम सूफी बदरुद्दीन की कोई मजार नहीं है. यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष का दावा खारिज कर दिया. जिसके बाद हिंदू पक्ष को पूरे लाक्षा गृह का मालिकाना हक मिल गया है. यहां महाभारतकालीन के आज भी कई सबूत मिलते हैं.

माना जाता रहा है कि ये वही जगह है जहां दुर्योधन ने पांडवों को मारने का प्रयास किया था. खास बात ये भी है कि बरनावा गांव उन पांच गांवों में आता है, जो पांडव की ओर से भगवान कृष्ण ने दुर्योधन से मांगे थे. महाभारत में यह वारणाव्रत नाम से वर्णित है. हिंडन और कृष्णा नदी के तट पर यह स्थित है. गांव के साउथ में लगभग 100 फीट ऊंचा और 100 बीघे से ज्यादा जमीन पर एक टीला है, जिसे हिंदू लाक्षागृह कहते हैं. 

भारी संख्या में पुलिस फोर्स लाक्षाग्रह में तैनात

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा का कानूनी अधिकार मिलने के बाद पौराणिक महत्व की जगह माने जाने वाले लाक्षागृह पर भी हिंदू पक्ष की ये जीत बड़ी अहम मानी जा रही है. उधर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए बागपत पुलिस प्रशासन की ओर से लाक्षाग्रह पर भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है. अभी तक कहीं से विरोध की कोई खबर नहीं है. वहीं हिंदू पक्ष कोर्ट के फैसले से खुश है. हिंदू पक्ष ने बताया की यह महाभारत कालीन स्थल है जिसको कोर्ट ने मान्यता दी है. हिंदू पक्ष का कहना है कि यह महाभारत कालीन स्थल है, जिसे अब कोर्ट ने भी अपनी मान्यता दी है. उधर हालात शांत होने के बावजूद पुलिस कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है और लाक्षाग्रह पर भारी संख्या में पीएसी और पुलिस बल तैनात है.

(इनपुट कुलदीप चौहान)

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