Bahraich: आदमखोर भेड़ियों को मारने वाले शूटर कितने शार्प.. फूल-प्रूफ प्लान डिकोड
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Bahraich: आदमखोर भेड़ियों को मारने वाले शूटर कितने शार्प.. फूल-प्रूफ प्लान डिकोड

Bahraich Wolves News: बहराइच के आदमखोर भेड़ियों ने लोगों में दहशत मचा रखी है. आज हम भेडियों के खात्मे का फूल-प्रूफ प्लान Decode करेंगे जिस पर खुद CM योगी आदित्यनाथ ने अपनी मोहर लगाई है.

Bahraich: आदमखोर भेड़ियों को मारने वाले शूटर कितने शार्प.. फूल-प्रूफ प्लान डिकोड

Bahraich Wolves News: बहराइच के आदमखोर भेड़ियों ने लोगों में दहशत मचा रखी है. आज हम भेडियों के खात्मे का फूल-प्रूफ प्लान Decode करेंगे जिस पर खुद CM योगी आदित्यनाथ ने अपनी मोहर लगाई है. आदमखोर भेड़िये चाहिए जिंदा या मुर्दा. ये योगी का ऑर्डर है. अब इसी ऑर्डर को पूरा करने के लिए स्पेशल-9 टीम बहराइच पहुंच चुकी है. इस स्पेशल-9 टीम में शार्प शूटर्स हैं.. जिन्हें साफ निर्देश हैं कि आदमखोर भेड़िया दिखे तो उसे पकड़ो और ना पकड़ पाओ तो गोली मार दो . यानी आर या पार.. बस आदमखोर भेड़ियों को अपना ग्यारहवां शिकार नहीं करने देना है.

..भेड़िया चाहिए जिंदा या मुर्दा

ज़ी न्यूज़ की टीम बहराइच में आदमखोर भेड़ियों के खिलाफ शुरु हो चुकी Full And Final जंग की On The Spot रिपोर्टिंग कर रही है. योगी के निर्देश पर आदमखोर भेड़ियों के खिलाफ बनी नई Strategy पर आपको हमारी ये रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए. बहराइच में घूम रहे आदमखोर भेड़ियों का शिकार करने के लिए शूटर्स की टीम निकल चुकी है. क्योंकि योगी का ऑर्डर एकदम क्लियर है - भेड़िया चाहिए जिंदा या मुर्दा.

सीएम योगी का ऑर्डर

सीएम योगी के ऑर्डर पर आदमखोर भेड़ियों को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए शार्प शूटर्स की जो टीम तैयार की गई है. उस स्पेशल-9 टीम में वन विभाग और पुलिस के एक्सपर्ट्स शामिल हैं. इस टीम में एक पशु चिकित्सक, दो क्षेत्रीय वन अधिकारी, दो उप क्षेत्रीय वन अधिकारी, एक वन रक्षक, पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल शामिल हैं. जिनको बता दिया गया है कि आदमखोर भेड़िये दिखें तो पहले जिंदा पकड़ने की कोशिश करो. अगर भेड़िये काबू में ना आएं तो सीधा शूट कर दो.

भेड़िये 9 बच्चों समेत दस लोगों की जान ले चुके हैं

बहराइच के DFO अजीत सिंह ने कहा कि शूटर हैं.. वन विभाग के लोग हैं.. कुल 9 लोग हैं.. बहराइच वन विभाग से नाम हैं.. पुलिस से शूटर्स भी आ रहे हैं.. जैसे ही सटीक लोकेशन मिलती है.. अभी भी सारे विकल्प खुले हैं.. गोली मारने के विकल्प खुला है.. जो मौके पर उचित लगेगा पालन किया जाएगा. बता दें कि 50 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका है. आदमखोर भेड़िये 9 बच्चों समेत दस लोगों की जान ले चुके हैं. आदमखोर भेड़ियों के झुंड का सबसे खूंखार भेड़िया अभी भी शिकार की खोज में है. अब पूरा फोकस उसे पकड़ने पर है.

तीन-तीन टीमें भेड़ियों का सर्च ऑपरेशन चला रहीं

आदमखोर भेड़िये घाघरा नदी के पूर्वी किनारे पर पांच किलोमीटर के दायरे में घूम रहे हैं. आदमखोर भेड़ियों के शिकार क्षेत्र की रेंज अब बढ़कर 75 वर्ग किलोमीटर हो चुकी है. जिन्हें पकड़ने के लिए पूरे बहराइच क्षेत्र को तीन सेक्टरों में बांटा गया है. हर सेक्टर में तीन-तीन टीमें भेड़ियों का सर्च ऑपरेशन चला रहीं हैं. शूटर्स की टीम अब आदमखोर भेड़ियों के पीछे पड़ चुकी है. मिशन का मकसद सिर्फ एक है - भेड़िया चाहिए.. जिंदा या मुर्दा.

आदमखोर भेड़ियों का अंत नजदीक

अब आदमखोर भेड़ियों के अंत का समय नजदीक आ चुका है. CM योगी का आदेश है इससे पहले कि आदमखोर भेड़िये अपना ग्यारहवां शिकार करे, उससे पहले उस भेड़िये का शिकार हो जाना चाहिए. चार भेड़ियों को पकड़ने के बावजूद अभी भी बहराइच में नरभक्षी भेड़ियों का आतंक थमा नहीं है. आदमखोर भेड़िये भी कम शातिर नहीं हैं. वो लगातार नए गांवों को निशाना बना रहें हैं. बार-बार ठिकाना बदल रहे हैं. जिन्हें मारने के लिए अब शार्प शूटर्स उतारने पड़े हैं.

आदमखोरों के खिलाफ डेथ वारंट

सूत्रों के मुताबिक बहराइच के भेड़ियों को पकड़ने के लिए अभी तक ट्रेंकुलाइजर गन का इस्तेमाल किया जा रहा था. लेकिन अब स्पेशल शूटर्स के पास शिकार के लिए डिजाइन की गई शॉर्टगन और लॉन्ग राइफल भी होंगी. इसके अलावा 22 मैग्नम गन और सेमी ऑटोमेटिक गन भी होंगी. और अब पूरी तैयारी के साथ आदमखोर भेड़ियों के खिलाफ शूटर्स मैदान में उतरेंगे. क्योंकि भेड़ियों को जिंदा पकड़ने की सारी कोशिशें फेल होती नजर आ रही है तो इनकी दहशत के अंत का एक ही रास्ता नजर आ रहा है और वो है - इन आदमखोरों के खिलाफ डेथ वारंट.

74 साल पहले ठीक इसी तरह..

ऐसा पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में आदमखोर भेड़ियों ने इतना आतंक मचाया है. 74 साल पहले ठीक इसी तरह भेड़ियों का आतंक इस कदर था कि आदमखोर हो चुके भेड़ियों को मारने के लिए लखनऊ में सेना तक उतारनी पड़ गई थी. आदमखोर भेड़ियों का जैसा खौफ आज है वैसा ही खौफ 74 साल पहले भी था. उस वक्त लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों में सौ से ज्यादा भेड़ियों ने आतंक मचाया था और नरभक्षी भेड़िये एक दिन में तीन-तीन इंसानों की जान ले रहे थे. लखनऊ में भेड़ियों का आतंक इतना बढ़ गया था कि सरकार ने PAC की पूरी बटालियन को उतार दिया था. लेकिन कई दिनों की मशक्कत के बाद भी जब भेड़ियों की दहशत का अंत नहीं हुआ तो सेना को उतारना पड़ गया था.

बहराइच में सेना को उतारना पड़ेगा?

सेना के जवान और 400 शिकारियों की मदद से 25 दिन बाद 4 आदमखोर भेड़ियों को मार गिराया गया था. और अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश में आदमखोर भेड़ियों का आतंक है. 51 दिन बीत चुके हैं लेकिन आदमखोर भेड़ियों का कोई सुराग नहीं मिल रहा है. वन विभाग खुद मान रहा है कि भेड़िये शातिर हो चुके हैं. वो अब वन विभाग के जाल में फंस ही नहीं रहे हैं. वन विभाग की टीमों को गच्चा देकर शिकार कर रहे हैं. इसलिए ही तो अब CM योगी आदित्यनाथ को भेड़ियों को पकड़ने के लिए शार्प शूटर्स उतारने पड़ गए हैं. लेकिन सवाल ये है कि अगर शार्प शूटर्स भी भेड़ियों को जिंदा या मुर्दा पकड़ पाने में सफल नहीं होते तो क्या एक बार फिर 74 वर्ष पहले की तरह बहराइच में सेना को उतारना पड़ेगा?

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