Trending Photos
DNA with Sudhir Chaudhary: कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने कैसे एक हिन्दू बैंक मैनेजर की खुलेआम हत्या कर दी. इस बैंक मैनेजर का अपराध सिर्फ इतना था कि ये हिन्दू था और राजस्थान से कश्मीर में नौकरी करने के लिए आया था. ये पिछले एक महीने में इस तरह की सातवीं हत्या है. पाकिस्तान के समर्थन से ये आतंकवादी चाहते हैं कि कश्मीर घाटी में डर का ऐसा माहौल बनाया जाए कि वहां एक भी हिन्दू ना बचे और बुरी खबर ये है कि वो कामयाब भी हो रहे हैं. अब बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित और हिन्दू समुदाय के दूसरे लोग अपनी जान बचा कर कश्मीर छोड़ कर भाग रहे हैं.
असल में कश्मीर में जैसे ही कोई बड़ा बदलाव आता है तो आतंकवादी वहां हिन्दुओं का खून बहाना शुरू कर देते हैं. पिछले ही हफ्ते हमने आपको बताया था कि कश्मीर में 10 वर्षों के बाद ऐसा हुआ है, जब पिछले 4 महीनों में 6 लाख से ज्यादा पर्यटक कश्मीर में छुट्टियां मनाने के लिए आए हैं और वहां अब Hotels और Airports पर पैर रखने की भी जगह नहीं है. यही बात आतंकवादियों को परेशान कर रही है और उन्होंने कश्मीर में हिन्दुओं को चुन चुन कर मारना शुरू कर दिया है. कश्मीर में पिछले एक महीने में आतंकवादी 7 लोगों की हत्या कर चुके हैं. इनमें भी तीन लोग ऐसे थे, जो नौकरी करने के लिए दूसरे राज्यों से कश्मीर आए थे और हिन्दू थे.
आतंकवादी चाहते हैं कि, कश्मीर में मुसलमानों को छोड़ कर किसी और धर्म का व्यक्ति वहां ना रहे, दूसरे धर्म का कोई व्यक्ति वहां नौकरी ना करे, अपने बच्चों को वहां पढ़ाए नहीं और अपना घर भी वहां ना बसाए. 29 साल के विजय कुमार ऐसा ही कर रहे थे, जिसकी वजह से आतंकवादियों ने आज उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. विजय कुमार राजस्थान के रहने वाले थे और तीन साल पहले ही उनकी कश्मीर के एक बैंक में नौकरी लगी थी. इसके बाद उनका कुलगाम में ट्रांसफर हो गया था और यहां वो बैंक मैनेजर के पद पर तैनात थे.
विजय कुमार की डेढ़ महीने पहले ही शादी हुई थी और उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि वो शादी के बाद कश्मीर में ही रहना चाहते हैं क्योंकि कश्मीर अब काफी बदल गया है. लेकिन आतंकवादियों ने उन्हें कश्मीर लौटने के एक महीने बाद ही जान से मार दिया. इस घटना का CCTV वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें एक आतंकवादी बैंक में घुस कर उन पर गोलियां चलाते हुए दिख रहा है.
बड़ी बात ये है कि विजय कुमार पर गोलियां चलाने से पहले आतंकवादियों ने कुछ लोगों की मदद से उनकी पहचान की थी और जब आतंकवादियों को ये विश्वास हो गया कि बैंक में बैठा व्यक्ति ही विजय कुमार है और वो राजस्थान से यहां नौकरी करने आया है, तब इस हमले को अंजाम दिया गया. यानी विजय कुमार को आतंकवादियों ने चुन कर मारा है और पिछले एक महीने में ये इस तरह की सातवीं घटना है. इससे पहले 31 मई को आतंकवादियों ने रजनी बाला नाम की एक हिन्दू टीचर की भी हत्या कर दी थी. रजनी बाला का परिवार पहले कश्मीर में ही रहता था, लेकिन 1990 के दशक में जब हिन्दुओं ने कश्मीर से पलायन किया, तब रजनी बाला भी अपने परिवार के साथ कश्मीर से जम्मू चली गई थीं. लेकिन वर्ष 2017 में जब उन्हें कश्मीर के एक सरकारी स्कूल में टीचर की नौकरी मिली तो वो अपने परिवार के साथ 27 साल बाद कुलगाम आ गईं. लेकिन 31 मई 2022 को उनकी हत्या कर दी गई और आतंकवादियों ने उनकी हत्या भी उसी तरह की, जिस तरह आज विजय कुमार को मारा गया.
आतंकवादियों ने स्कूल के बाहर पहले रजनी बाला से उनका नाम पूछा और फिर इसके बाद उनके सिर में गोली मार दी. हम चाहें ये बात कितना कह लें कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां सभी धर्मों को बराबर माना जाता है, लेकिन सच यही है कि हमारे देश में आज भी एक ऐसा राज्य है, जहां हिन्दू होना सबसे बड़ा अपराध है और जहां नाम पूछ कर गोली मार दी जाती है. ये पैटर्न अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के जैसा ही है, जहां इस्लामिक कट्टरपंथ के नाम पर उन सभी लोगों की हत्याएं की जा रही हैं, जो कट्टर जेहाद और शरिया को नहीं मानते. और अब अफगानिस्तान के बाद अगला नम्बर कश्मीर का ही है.
हिंदुओं के अलावा कश्मीर में उन मुसलमानों को भी निशाना बनाया जा रहा है, जो इस्लामिक कट्टरवाद को नहीं मानते और अमरीन भट्ट, इन्हीं में से एक थी. वो कश्मीर की एक टीवी Artist थीं और सोशल मीडिया पर अपने डांस के नए-नए Videos पोस्ट करती रहती थीं. जिसकी वजह से आतंकवादियों ने उनकी भी हत्या कर दी. बड़ी बात ये है कि गोली मारने से पहले आतंकवादियों ने अमरीन भट्ट से भी उनका नाम पूछा था. इसके अलावा पिछले एक महीने में आतंकवादी जम्मू कश्मीर पुलिस के तीन जवानों की भी हत्या कर चुके हैं और इन तीनों की हत्या उस समय हुई, जब वो Off Duty थे.
कश्मीर में इन Target Killings का एक सबसे बड़ा कारण ये है कि, भारत सरकार कश्मीर की Demography बदलने का प्रयास कर रही है. डेमोग्राफी का मतलब ये है कि, कश्मीर में कितनी आबादी रहती है, यहां किस किस धर्म के लोग रहते हैं, यहां की सरकारी नौकरियों में किस धर्म के लोगों का कितना प्रभाव है और यहां के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है.
जब तक जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू था, तब तक वहां देश के दूसरे राज्यों के नागरिक जमीन नहीं खरीद सकते थे, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं दे सकते थे. दलित और पिछड़ी जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण नहीं मिलता था. और अगर कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी दूसरे राज्य के नागरिक से शादी कर लेती थी तो परिवार की सम्पत्ति में उसका अधिकार समाप्त हो जाता था. इससे कश्मीर की डेमोग्राफी एक खास धर्म के आसपास सीमित हो गई थी. लेकिन 2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद ये व्यवस्था बदली है.
अब भारत के किसी राज्य का नागरिक कश्मीर में जमीन भी खरीद सकता है और वहां नौकरी करने के लिए भी जा सकता और यही बात इस्लामिक कट्टरपंथियों और आतंकवादियों को परेशान कर रही है. कुलगाम में आज जो घटना हुई, उसकी जिम्मेदारी Kashmir Freedom Fighters नाम के एक आतंकवादी संगठन ने ली है और उसने कहा है कि अगर कश्मीर की डेमोग्राफी को बदला गया तो इसका अंजाम खतरनाक होगा.
इन हत्याओं के पीछे एक और बड़ी वजह ये है कि जम्मू कश्मीर में पुलिस तंत्र काफी कमजोर है. असल में जम्मू-कश्मीर में पुलिस को मजबूत करने की आवश्यकता है. लेकिन पिछले कई दशकों से वहां की पुलिस व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है और सब कुछ सेना पर छोड़ दिया गया है. आज जिस तरह के हालात कश्मीर में हैं, वैसे ही हालात 1980 और 90 के दशक में पंजाब में थे. उस समय पंजाब में आतंकवाद चरम पर था. और वहां का पुलिस तंत्र इससे लड़ने में काफी कमजोर साबित हो रहा था. लेकिन बाद में इसमें सुधार किए गए और पंजाब से आतंकवाद खत्म करने के लिए पुलिस ने अपनी रणनीति बदली. जिसकी वजह से पंजाब उस दौर से बाहर निकल आया. इसी तरह आप देखेंगे तो मुंबई में एक समय गैंगवॉर और अंडरर्वल्ड का आतंक था, जिससे लड़ने के लिए तब वहां पुलिस तंत्र में बदलाव किए गए और इस तरह की पुलिस Units का गठन किया गया, जिनका मकसद इस गैंगवॉर को रोकना था और जम्मू-कश्मीर पुलिस में भी आज ऐसे ही बदलाव की जरूरत है.
सबसे हैरानी की बात ये है कि, भारत के ही एक राज्य में हिन्दुओं को मारा जा रहा है और धर्मनिपेक्षता और लोकतंत्र के तमाम ठेकेदार इन हत्याओं के लिए आतंकवादियों को नहीं बल्कि मोदी सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं. कश्मीर में तनाव के बीच बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं. कश्मीर के अलग-अलग सरकारी विभागों में काम करने वाले कहा है कि अगर उनका ट्रांसफर कश्मीर के बाहर नहीं किया गया तो वो सामूहिक रूप से पलायन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. इसके अलावा कुछ संगठनों ने ये भी कहा है कि वो कल सुबह से ही कश्मीर छोड़कर जाना शुरू कर देंगे. श्रीनगर एयरपोर्ट ने भी अपने एक ट्वीट में इस दावे को खारिज किया है कि हिन्दु कश्मीर छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर जमा हैं और यहां से जाना चाहते हैं.
जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी कहा है कि कश्मीर पंडितों का ट्रांसफर जिला मुख्यालयों और सुरक्षित स्थानों पर किया जाएगा. लेकिन इसके बावजूद कश्मीर के हिन्दू कर्मचारी पिछले 20 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आतंकवादियों और देश विरोधी ताकतों की हमेशा से यही कोशिश होती है कि लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ हो जाएं और उनमें सरकार के प्रति असंतोष भी भावना रहे.
आपको याद होगा, 24 दिसंबर 1999 को जब आतंकवादियों ने नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़े IC 814 विमान को हाईजैक कर लिया था तो उस समय भी हमारे देश के लोगों ने इसी तरह विरोध प्रदर्शन किए थे और ये कहा था कि सरकार को आतंकवादियों को छोड़ देना चाहिए. यानी आतंकवादी यही चाहते हैं कि यहां के लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ चले जाएं और विरोध प्रदर्शन करें. क्योंकि इससे सरकार अपने लोगों के दबाव में आ जाती है और आतंकवादी जो चाहते हैं, वैसा होने लगता है.
जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर आज गृह मंत्रालय की अहम बैठक हुई है, जिसमें अमित शाह भी मौजूद रहे. आतंकवादी कश्मीर में ऐसे लोगों को निशाना बना रहे हैं, जो Soft Target हैं. जो बाजार में होते हैं, दुकानों पर होते हैं और कहीं भी आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए इस बैठक में नई रणनीति बनाने पर भी चर्चा हुई.
VIDEO
#DNA : कश्मीर में हिन्दुओं की चुन-चुन कर हत्या@sudhirchaudhary
अन्य Videos यहां देखें - https://t.co/ZoADfwSi4S pic.twitter.com/QxL9U2PaYU
— Zee News (@ZeeNews) June 2, 2022