नई शिक्षा नीति पर बंगाल सरकार का रिएक्शन, समिति ने लागू नहीं करने की दी सलाह
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नई शिक्षा नीति पर बंगाल सरकार का रिएक्शन, समिति ने लागू नहीं करने की दी सलाह

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के अध्ययन के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बनाई गयी समिति का मानना है कि, इसके कुछ बिंदुओं में स्पष्टता की कमी है. 

ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

कोलकाता: देश में नई शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है. इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी. 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे. यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू हुई है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के अध्ययन के लिए पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) द्वारा बनाई गयी समिति का मानना है कि, इसके कुछ बिंदुओं में स्पष्टता की कमी है.  

साथ ही, कई अन्य प्रावधान पूरे देश में लागू नहीं किये जा सकते. समिति के एक सदस्य ने रविवार को कहा कि, भारत जैसे विशाल देश में, जहां विविधतापूर्ण सामाजिक-आर्थिक स्थिति हैं, वहां सभी राज्यों पर, खासतौर पर शिक्षा के प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर एक समान मानक लागू नहीं किये जा सकते और रिपोर्ट में इसे प्रमाणित किया गया है.

उन्होंने कहा, 'नई शिक्षा नीति (New education policy) की कुछ विशेषताओं में स्पष्टता नहीं है, जिनमें कक्षा दसवीं के बोर्ड की परीक्षाओं के प्रारूप को फिर से तैयार करना और प्राथमिक विद्यालयों में सुधार करने की बात शामिल हैं. 130 करोड़ की आबादी वाले देश में आप सभी राज्यों की भाषाई पृष्ठभूमि और परंपराओं का ध्यान रखे बिना एक समान शिक्षा नीति लागू नहीं कर सकते.'

सदस्य ने कहा, 'जो मणिपुर में लागू हो सकता है, जो पंजाब में प्रासंगिक है, हो सकता है कि, उसका पश्चिम बंगाल या तमिलनाडु में कोई मतलब ही नहीं हो.'

बता दें कि, नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए केन्द्र ने साल 2030 तक का लक्ष्य रखा है. चूंकि शिक्षा संविधान में समवर्ती सूची का विषय है, जिसमें राज्य और केन्द्र सरकार दोनों का अधिकार होता है, इसलिए राज्य सरकारें इसे पूरी तरह माने ये ज़रूरी नहीं है. जहाँ कहीं टकराव वाली स्थिति होती है, दोनों पक्षों को आम सहमति से इसे सुलझाने का सुझाव दिया गया है. 

वहीं आज सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि, उनकी सरकार राज्यभर में 10 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देती है. उन्होंने ट्वीट किया है कि, इसमें लिखा है कि 1959 में खाद्य आंदोलन के दौरान शहीद होने वालों को याद कर रही हूं.  बंगाल में आज हमारी सरकार करीब 10 करोड़ लोगों को "खाद्य साथी" योजना के तहत मुफ्त राशन देती है. महामारी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने जून 2021 तक मुफ्त राशन देने का निर्णय लिया है.  

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