Cannabis bill Himachal Pradesh: भारत में भांग की खेती (Bhang Ki Kheti यानी Hemp Farming) करना गैरकानूनी है. 1985 में भारत में भांग की खेती को अपराध घोषित किया गया था. लेकिन हिमाचल के अभूतपूर्व बिगड़े आर्थिक हालातों के चलते प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी रूप देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
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Cannabis bill Himachal Pradesh: हिमाचल में आर्थिक हालात धीरे धीरे काफी खराब हो रहे हैं. विधायकों के वेतन ना लेने के फैसले के बाद. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) की सरकार ने हिमाचल प्रदेश में भांग की कमाई से अपनी माली हालात सुधारने का फैसला किया है. सुक्खू के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने तो बाकायदा कागज पर सारे नफे नुकसान का अंदाजा लगाते हुए विधानसभा में बिल पेश करने की तैयारी कर ली है. साफ है कि हिमाचल की पहाड़ियों पर उगने वाली भांग अब हिमाचल की इकोनॉमी को सहारा देगी. सुक्खू सरकार भांग की खेती (Bhang ki kheti) को वैध बनाने की तैयारी में है. हालांकि ये जरूरी नहीं बल्कि मजबूरी है कि सरकार को इसकी खेती (Cannabis faming) से बैन हटाने का फैसला लेना पड़ा है.
6 महीने पहले से चल रही थी तैयारी
हिमाचल प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी इस संबंध में रिपोर्ट पेश करेंगे. इसे लेकर 26 अप्रैल, 2023 को एक समिति का गठन हुआ था. इस समिति ने राज्य में भांग के औषधीय, वैज्ञानिक और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए कैनाबिस (भांग) की खेती को वैध बनाने के मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए किया था. गौरतलब है कि इसमें चरस शामिल नहीं होगी. कमेटी के गठित होने के बाद हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर जिला का दौरा किया था.
लीगल करने से रुकेंगे इल-लीगल काम?
हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh) ने कहा कि भांग की खेती को कानूनी रूप देने वाला बिल पेश होगा. उन्होंने कहा कि हमारी आबकारी नीति से हमें फायदा हुआ है . इसे लीगल तरीके से उगाएंगे. हिमाचल के आर्थिक हालात को लेकर पहले ही सुक्खू सरकार बीजेपी के निशाने पर है. देखना होगा कि उनका ये फैसला कितना सही साबित होता है.
विरोध की वजह?
भारत में बीते करीब 40 सालों से से भांग की खेती करना गैरकानूनी काम रहा है. सन 1985 में भारत में भांग की खेती को अपराध घोषित किया गया था. हालांकि गैरकानूनी तरीके से आज भी देशभर में भांग पैदा की जाती है. कोई कमाई के लिए तो कोई खुद के इस्तेमाल के लिए इसे जड़ी-बूटी बताकर चोरी छिपे कुछ पौधे लगा लेता है. हिमाचल की बात करें तो बीजेपी विपक्ष में है तो मुद्दा बना रही है. वरना जय राम ठाकुर की सरकार भी साल 2018 में भांग की खेती को कानूनी रूप देने की घोषणा कर चुकी थी. आज कांग्रेस की सरकार है. पैसे का संकट है. विधायक और मंत्री सैलरी छोड़ रहे हैं. उनका मानना है कि भांग की खेती को मंजूरी देने से 500 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा कमाई होगी.
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भांग की खेती से बैन हट जाएगा, तो हर कोई इसे अपनी क्यारी से लेकर बालकनी, छज्जों और छत में भी भांग के पौधे लगा सकेगा. कुछ लोग सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं है, उनका मानना है कि इससे युवाओं में भांग की लत लग सकती है. इसलिए वो विरोध कर रहे हैं.
नशा नहीं दवा भी है...
यूं तो भांग नशे के रूप में बदनाम है. पर इसके औषधीय फायदे भी हैं. आपने अंग्रेजी/देशी शराब के ठेके की तरह सरकारी भांग की दुकानें भी देखी होंगी. पुरानी पीढ़ी के लोग इसके फायदे भी बताते हैं. इसका नियमित सेवन करने वालों से इतर आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि इससे इलाज भी होता है. भांग से उल्टी, बदन दर्द समेत तमाम बीमारियों में फायदा पहुंचता है. कुछ एक्सपर्ट तो इसे पाचन तंत्र से जुड़ी जादुई चीज बताते हैं. कुछ इसे इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर देखते हैं. वहीं कुछ का कहना है कि इसके सेवन से भूख खुल जाती है. BP और कोलेस्ट्रोल कम करने में भी इसे कारगर माना जाता है. इसका इस्तेमाल गठिया (अर्थराइटिस) का इलाज भी किया जाता है.
डिस्क्लेमर: प्रिय पाठक हमारी ये खबर पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया. इस खबर को प्रकाशित करने का मतलब आपको किसी खबर की विस्तार से जानकारी देना है, कृपया किसी भी बीमारी का खुद से इलाज न करें, डॉक्टर को दिखाएं. ये भांग की पत्तियां हैं, नीम या कढ़ी पत्ता नहीं है, इसके सेवन से दुष्परिणाम भी हो सकते हैं.
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