Lal Krishna Advani: राजीव गांधी का प्रस्ताव मान जाता तो... 10 जनपथ की पावर देख आडवाणी को रहा अफसोस
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Lal Krishna Advani: राजीव गांधी का प्रस्ताव मान जाता तो... 10 जनपथ की पावर देख आडवाणी को रहा अफसोस

Lal Krishna Advani History: जब से लालकृष्ण आडवाणी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने का ऐलान हुआ है, उनसे जुड़े कई किस्से याद आने लगे हैं. ऐसा ही एक किस्सा राजीव गांधी से जुड़ा है जब 10 जनपथ बंगले के लिए उन्होंने आडवाणी को फोन किया था.

Lal Krishna Advani: राजीव गांधी का प्रस्ताव मान जाता तो... 10 जनपथ की पावर देख आडवाणी को रहा अफसोस

Bharat Ratna Lal Krishna Advani: कम लोगों को पता होगा कि जिस बंगले में कई दशकों से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी रही हैं, वो बंगला लालकृष्ण आडवाणी को मिलने वाला था. हां, दिलचस्प यह है कि ऑफर सोनिया के पति राजीव गांधी ने ही दिया था. यह किस्सा राजीव के निधन से कुछ समय पहले का है. यूपीए सरकार के समय 10 जनपथ की महत्ता को देखते हुए आडवाणी ने लिखा था कि मैं अक्सर सोचता हूं कि अगर 1991 में मैंने राजीव जी का प्रस्ताव मान लिया होता तो आज मेरा निवास सर्वाधिक महत्वपूर्ण पता बन गया होता. आडवाणी को अब सरकार ने 'भारत रत्न' देने की घोषणा की है. 

लोकतंत्र में PM से ऊपर कोई नहीं

आडवाणी ने 2012 में लिखा था कि लोकतंत्र में प्रधानमंत्री से ज्यादा कोई महत्वपूर्ण नहीं है. सिर्फ एक कम्युनिस्ट देश में पार्टी पदाधिकारी ही सरकारी अधिकारी से ऊंचा होता है लेकिन आजकल भारत में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पता 10 जनपथ है न कि 7 रेसकोर्स रोड (पीएम का आवास). 

'दृष्टिकोण' किताब में प्रकाशित लेख में आडवाणी ने लिखा है कि जब 1989 में जनता दल के विश्वनाथ प्रताप सिंह भाजपा और वाम मोर्चे के बाहरी समर्थन से प्रधानमंत्री बने, तब राजीव गांधी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता नामित हुए. हालांकि 1991 में जब भाजपा ने विश्वनाथ प्रताप सिंह से समर्थन वापस ले लिया तो उनका बहुमत अल्पमत में बदल गया. तब कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद के लिए चंद्रशेखर को समर्थन देने का निर्णय किया. पार्टी अध्यक्ष के नाते राजीव गांधी ने इसकी सूचना राष्ट्रपति को दी.

सुबह राजीव का आडवाणी को फोन

इसका तात्कालिक परिणाम यह हुआ कि लोकसभा के स्पीकर ने राजीव गांधी को बुलाकर बताया कि चूंकि उन्होंने प्रधानमंत्री को समर्थन देने का पत्र राष्ट्रपति को भेजा है, अतः उनकी पार्टी अब विपक्षी पार्टी के रूप में नहीं मानी जाएगी, इसलिए वह विपक्ष के नेता भी नहीं बने रह सकते. उन्होंने भाजपा के नेता के नाते मुझे भी बताया कि अब भाजपा मुख्य विपक्षी दल है इसलिए अब आप विपक्ष के नेता होंगे.

आडवाणी ने बताया कि मुझे याद आता है कि अगली सुबह मुझे राजीव जी का फोन आया. पहले तो उन्होंने विपक्ष का नेता बनने पर मेरा अभिनंदन किया, फिर उन्होंने सुझाया कि मुझे अपना पंडारा पार्क वाला आवास छोड़कर 10 जनपथ में आ जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जैसे 7 रेसकोर्स रोड प्रधानमंत्री का स्थायी निवास है, वैसे ही 10 जनपथ को विपक्ष के नेता का स्थायी निवास बना दिया जाना चाहिए. मैंने इस प्रस्ताव के लिए उनको धन्यवाद दिया, लेकिन इसे स्वीकारने से इनकार कर दिया. यूपीए सरकार के समय आडवाणी ने अपने उसी फैसले पर अफसोस जताया था. 

1970 में आडवाणी पहली बार सांसद बने थे. तब उन्हें पंडारा पार्क में एक फ्लैट आवंटित किया गया था. वह 2002 तक यहां रहे. बाद में गृह मंत्री और उप- प्रधानमंत्री बनने पर सिक्योरिटी स्टाफ के कहने पर 30, पृथ्वीराज रोड जाकर रहे. 

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