हाथरस कांड (Hathras Case) की आड़ में यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश को ही हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश चल रही थी. इसके लिए अमेरिका की तर्ज पर बड़े स्तर पर प्लानिंग की गई थी.
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नई दिल्ली: हाथरस कांड (Hathras Case) की आड़ में यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश को ही हिंसा की आग में झोंकने की कोशिश चल रही थी. इसके लिए अमेरिका की तर्ज पर बड़े स्तर पर प्लानिंग की गई थी. जी हां, न सिर्फ 'जस्टिस फॉर हाथरस' नाम से वेबसाइट बनाई गई थी, बल्कि उसमें भड़काऊ कंटेंट डालकर लोगों में गलतफहमी भी फैलाई जा रही थी. यही नहीं, हाथरस के नाम पूरे देश को जातीय हिंसा (Caste Based Violence) में ढकेलने की इस साजिश को अमलीजामा पहनाने के लिए विदेशों से पैसे भी आए थे. साथ ही ये निर्देश भी आए थे कि किस समय पर, किसे और कहां निशाना बनाया जाना है.
देश को जातीय हिंसा में ढकेलने का था प्लान!
सूत्रों का कहना है कि हाथरस मामले की आड़ लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) सरकार से बदला लेने की फिराक में थी, जिसने हाल ही में भारत से अपना कामकाज समेटा है, क्योंकि सरकार ने विदेशी चंदों को लेकर अनियमितता मिलने के बाद बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे. यही नहीं, हाथरस में हिंसा फैलाने के लिए इस्लामिक देशों से भारी मात्रा में धन भी आया था.
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इसके अलावा जो सबसे डराने वाली बात है, वो है हिंसा फैलाने के तरीकों में बदलाव. जी हां, सूत्रों की मानें तो हाथरस के नाम पर पूरे देश को जातीय हिंसा में धकेलने की कोशिश के तहत न सिर्फ वेबसाइट बनाई गई थी, बल्कि उसमें किस तरह से हमले करने हैं, इसकी भी जानकारी दी गई थी. इसमें मास्क लगाकर ही हमला करने और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रदर्शन के दौरान निशाना बनाने की बात कही गई थी.
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हाथरस के नाम पर हिंसा फैलाने की अहम कड़ियां
- साजिश में PFI, SDPI, यूपी के माफिया की मिलीभगत
- जानबूझकर पीड़ित लड़की से जुड़ी कई अफवाह फैलाई गई
- दंगा भड़काने के लिए 'फोटोशॉप' का इस्तेमाल किया गया
- चंडीगढ़ के मामले की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया
- अभी तक के जांच में कुछ ऑडियो टेप भी मिले
- ऑडियो टेप में राजनीतिक दल-पत्रकार की आवाज़
- ऑडियो टेप फॉरेंसिक जांच के भेजा गया
- पीड़ित परिवार को भड़काने के लिए हुई बड़ी फंडिंग
- पीड़ित परिवार को 50 लाख-1 करोड़ का दिया गया लालच
- ऑडियो टेप में एक महिला पत्रकार की बातचीत शामिल
कैसे रची गई साजिश?
हाथरस से नाम पर हिंसा फैलाने की साजिश के तहत फर्जी तस्वीरें वायरल की गई, यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी बयान भी वायरल किया गया. यही नहीं, पीड़ित लड़की से जुड़ी भड़काऊं बातों के नाम पर अफवाह फैलाई गई, तो पीड़ित परिवार को पैसों का भी लालच दिया गया. लेकिन दो सबसे बुरी खबर है, वो ये कि इस पूरे घटनाक्रम में न सिर्फ राजनेताओं, बल्कि पत्रकारों के भी शामिल होने की बात सामने आ रही है.