शिवसेना ने की तेजस्वी की जमकर तारीफ, BJP पर यूं साधा निशाना
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शिवसेना ने की तेजस्वी की जमकर तारीफ, BJP पर यूं साधा निशाना

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) में बिहार चुनाव पर आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की तारीफ करते हुए लिखा, 'तेजस्वी हार गए हैं, ऐसा हम मानने को तैयार नहीं.'

(फाइल फोटो)

मुंबई: बिहार विधान सभा चुनाव के परिणामों (Bihar Election Result 2020) में एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया, जबकि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व में महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गई. तेजस्वी की हार के बावजूद शिवसेना (Shiv Sena) ने उनकी जमकर तारीफ की है और इसके साथ ही बीजेपी पर जुगाड़ करके आंकड़ा बढ़ाने का आरोप लगाया है.

  1. शिवसेना ने कहा- तेजस्वी हार गए, हम मानने को तैयार नहीं
  2. शिवसेना का बीजेपी पर जुगाड़ करके आंकड़ा बढ़ाने का आरोप
  3. सामना में आगे लिखा- तेजस्वी की लड़ाई एक बड़ा संघर्ष था

तेजस्वी हार गए, हम नहीं मानते: शिवसेना
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) में बिहार चुनाव पर आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की तारीफ करते हुए लिखा, 'तेजस्वी हार गए हैं, ऐसा हम मानने को तैयार नहीं. चुनाव हारना ही केवल पराभव नहीं होता और जुगाड़ करके आंकड़ा बढ़ाना जीत नहीं होती.'

'तेजस्वी का सामना बलवान सत्ताधारियों से'
सामना में आगे लिखा, 'तेजस्वी की लड़ाई एक बड़ा संघर्ष था. यह संघर्ष परिवार का था और उसी प्रकार सामने बलवान सत्ताधारियों से था. तेजस्वी को फंसाने और बदनाम करने का एक भी मौका दिल्ली और पटना के सत्ताधारियों ने नहीं छोड़ा. प्रधानमंत्री द्वारा 'जंगलराज के युवराज' आदि कहने के बावजूद तेजस्वी ने अपना संयम नहीं खोया और लोगों में जाकर प्रचार करते रहे.'

शिवसेना का नीतीश कुमार पर निशाना
शिवसेना ने संपादकीय में आगे लिखा, 'नीतीश कुमार को हार की इतनी चिंता हुई कि उन्हें भावनात्मक अपील करते हुए प्रचार के आखिरी चरण में कहना पड़ा कि यह उनका आखिरी चुनाव है. 15 साल बिहार पर एकछत्र राज करने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर ऐसा समय तेजस्वी यादव के कारण आया, क्योंकि इस युवा लड़के ने चुनाव प्रचार में विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दे रखे, जो पहले गायब हो चुके थे. बिहार के चुनाव में रंग आ गया और उसमें रंग भरने का काम तेजस्वी यादव ने किया.

'बिहार चुनाव ने तेजस्वी नाम का चेहरा दिया'
प्रधानमंत्री मोदी जैसे बलवान नेताओं तथा बिहार के सत्ताधारियों की झुंडशाही के समक्ष तेजस्वी न रुके और न लड़खड़ाए. देश के राजनीतिक इतिहास में यह क्षण दर्ज किया जाएगा. बिहार का सत्ता संचालन किसी के हाथ में जाएगा ही, लेकिन बिहार के चुनाव ने देश की राजनीति में तेजस्वी नाम का चेहरा दिया है. उसकी लड़ाई का जितना अभिनंदन किया जाए उतना कम ही है.

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महाराष्ट्र में बीजेपी से मतभेद का मुद्दा उठाया
सामना (Saamana) में खुद की तारीफ करते हुए लिखा गया, 'बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार आई है, लेकिन नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे क्या? यह मामला अधर में है. नीतीश कुमार की जेडीयू (50) सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाई और भाजपा ने 70 का आंकड़ा पार किया. नीतीश कुमार की पार्टी को कम सीटें मिलने के बावजूद वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा अमित शाह को घोषणा करनी पड़ी थी. ऐसा ही वचन उन्होंने 2019  के चुनाव में शिवसेना को भी दिया था. उस वचन को नहीं निभाया गया और महाराष्ट्र में नया राजनीतिक महाभारत हुआ. अब कम सीटें मिलने के बावजूद नीतीश कुमार को दिया गया वचन पूरा किया गया तो इसका श्रेय शिवसेना को देना होगा.

नतीजों से पहले जो बाइडेन से की थी तेजस्वी की तुलना
बिहार चुनाव के नतीजे आने से पहले शिवसेना ने सामना के संपादकीय में तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की तुलना जो बाइडेन से की थी. शिवसेना (Shiv Sena) ने सामना में 'तेजस्वी और बाइडन!…अटल सत्तांतर' शीर्षक से छापे लेख में कहा था, 'सत्तांतर का प्रसव काल पूर्ण हो चुका है. हिंदुस्तान के बिहार में भी उसी प्रकार के सत्तांतर होने के स्पष्ट लक्षण दिख रहे हैं, जैसा कि अमेरिका में हुआ.'

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