Freedom Fighters Temple: आपने कहीं नहीं देखा होगा ऐसा मंदिर, जहां देवताओं के साथ होती है शहीदों की भी पूजा!
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Freedom Fighters Temple: आपने कहीं नहीं देखा होगा ऐसा मंदिर, जहां देवताओं के साथ होती है शहीदों की भी पूजा!

Independence Day 2024 Special: बेगूसराय में एक ऐसा मंदिर है जहां देवताओं के साथ शहीदों की भी पूजा होती है. ये मंदिर बेगूसराय के परना गांव में है. दिलचस्प बात यह है कि हिंदू हो या मुस्लिम देश सेवा का भाव रखने वाले नौजवान डिफेंस की तैयारी करने से पूर्व यहां आते है. 

Freedom Fighters Temple: आपने कहीं नहीं देखा होगा ऐसा मंदिर, जहां देवताओं के साथ होती है शहीदों की भी पूजा!

बेगूसरायः Begusarai Martyrs Temple: देश के स्वतंत्रता इतिहास में अनगिनत ऐसे लोग है, जिन्होने अपनी आहुति देकर इस देश को आजाद कराया. शहीदों के इतिहास में कुछ नाम चर्चित हुए तो कुछ गुमनाम रहें. पर देश का बच्चा- बच्चा अपनी मातृभूमि के लिए शहीद वीर सपूतों को न सिर्फ अपनी श्रद्धासुमन अर्पित करते है, बल्कि शहीदों की पूजा अर्चना भी करते है. बेगूसराय में देश का ऐसा मंदिर है, जहां देश की आजादी के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले वीर शहीद और देश के नवनिर्माण में अपना योगदान देने वाले लोगों की पूजा अर्चना देवी देवताओं के समान की जाती है. गांव के देवस्थान में देवी देवताओं को स्थापित शहीदों की आदमकद प्रतिमा न सिर्फ पूजी जाती है, बल्कि लोग इनसे अपने मन की मुराद भी मांगते है. 

मांगी गईं मन की हर मुराद होती है पूरी 
माना जाता है कि इनसे मांगी गईं मन की हर मुराद भी पूरी होती है. दिलचस्प बात यह है कि हिंदू हो या मुस्लिम देश सेवा का भाव रखने वाले नौजवान डिफेंस की तैयारी करने से पूर्व यहां आते है. जहां पूजा अर्चना के बाद अपनी सफलता के लिए मन्नत मांगते है और उसी दिन से तैयारी में जुट जाते है. ग्रामीणों की मानें तो दर्जनों ऐसे उदाहरण है. जहां हिंदू और मुस्लिम लड़के देश और बिहार सरकार मे अपनी सेवा दे रहें है. इसमें दूसरे जिले के लोग भी आशीर्वाद लेने आते है. जिसके बाद वो उसकी तैयारी में जुट जाते है. इसके अलावा भी इलाके में कई ऐसे लोग है, जिनके मन की मुराद यहां पूरी हुई है. 

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बेगूसराय से लगभग 12 से 13 किलोमीटर दूर 
बताते चले कि बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 12 से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित परना गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अत्यंत पिछड़ा होने के बाद भी इस गांव के लोगो की सोच देश भक्ति से लबालब है. जिसका परिणाम है कि यहां के लोगों ने देश की स्वतंत्रता इतिहास में शहीद लोगों को भगवान मानकर पूजते है. दस हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव के लोग आपसी भाईचारे की भी मिसाल है. हिंदू हो या मुस्लिम हर कोई इन शहीदों को अपना आदर्श मानते है और खुद के संसाधन से मंदिर की देखरेख करते है. इस मंदिर में देवी देवताओं की तरह सुबह शाम इन देश भक्तो की भी पूजा अर्चना विधिवत होती है. मन्दिर और इसके परिसर की साफ सफाई के लिए पचास से भी अधिक युवा हर रविवार को इस काम को अंजाम देते है.

देवताओं के साथ होती है शहीदों की भी पूजा
इस मंदिर में मां दुर्गा, भगवान शिव और भगवान हनुमान की मूर्ति के आलावा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, वीर कुंवर सिंह, भगत सिंह महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद की आदमकद प्रतिमा के अलावा लोगों के आदर्श सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, अंबेडकर, कॉमरेड चंद्रशेखर, दिनकर शहीद और रामचंद्र सिंह की भी प्रतिमा स्थापित है. जिले के ही नहीं बल्कि अन्य जिले के लोगों के लिए भी आदर्श इस मंदिर का निर्माण 1989 में गांव के पूर्व मुखिया शिव राम महतो के द्वारा गांव के लोगों के सहयोग से किया गया था. 

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दूर-दूर से लोग आते माथा टेकने 
समय के साथ गांव के लोगों का झुकाव इस तरफ बढ़ा तो यह मंदिर लोगों को प्रेरणा का स्रोत बन गया. इस संबंध में मंदिर के मुख्य पुजारी शिव ज्योति झा ने बताया कि यह मंदिर अन्य दूसरे मंदिरों से अलग है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां देवी देवताओं के सामान देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सपूतों की पूजा अर्चना देवी देवताओं के समान होती है. शिव ज्योति झा ने बताया की सेना की तैयारी शुरू करने से पहले दुर दुर से युवक आते है और यहां माथा टेककर तैयारी में जुट जाते है. जिससे उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यहां दूर- दूर से पर्यटक माथा टेकने और इस मंदिर को देखने आते है. 

हिंदू मुस्लिम और अन्य दूसरे धर्म के लोग भी शामिल
मुख्य पुजारी ने बताया कि इसमें हिंदू मुस्लिम और अन्य दूसरे धर्म के लोग भी शामिल होते है. देश भक्ति का जज्बा पैदा करने वाले इस मंदिर के संबंध में गांव के युवा राम लगन कुमार ने बताया कि इलाके के लोगों को जिस तरह सनातन के देवी देवताओं के पति श्रद्धा रहती है ठीक उसी भाव से देश की आजादी में अपना बलिदान देने वाले लोगों की भी सुबह शाम पूजा होती है. खासकर युवा पीढ़ी में एक खास झलक होती है जब कोई युवा डिफेंस में जाना चाहता है तो सबसे पहले शहीदों के सामने माथा टेक कर मन्नत मांगते है और उनकी मन्नत पूरी होती है. 

भारत सरकार-बिहार सरकार में एस आई के पद पर तैनात युवा
इसके कई उदाहरण सिर्फ दो वार्ड में ही करे तो कई युवा भारत सरकार और बिहार सरकार में एस आई के पद पर तैनात है. ये सब यहां से ही मन्नत मानकर कामयाब हुए. इस मंदिर में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी आते है और अपनी मन्नत मांगते है. हाल ही में एक मुस्लिम युवक का चयन एस आई के पद पर हुआ है. ग्रामीण हितेश कुमार बताते है कि यह लोगों के श्रद्धा का बड़ा केंद्र है. जहां लोग देवी देवताओं के समान देश भक्तों की भी पूजा अर्चना करते हैं. यहां देवी देवता के साथ-साथ सुबह शाम वीर शहीदों की भी पूजा अर्चना होती है. 

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हमारे गांव के लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र
इस संबंध में ग्रामीण रामपुकारी देवी बताती है कि ये उनके दिनचर्या में शामिल है और वो प्रतिदिन यहां आती हैं और भगवान शिव पार्वती, दुर्गा और हनुमान जी की पूजा के बाद देश भक्तों की भी पूजा अर्चना करते हैं. वहीं ग्रामीण रविंद्र कुमार निराला बताते हैं कि ग्रामीण युवाओं में इस स्थान को देखकर राष्ट्रीयता कूट-कूट में भर्ती है और वह जज्बे के साथ सेना में भर्ती होते हैं. युवा इनका अनुसरण करते है इनसे सीख लेते है. रविंद्र कुमार निराला बताते है कि इस मन्दिर का मेंटेनेंस ग्रामीण अपने सीमित संसाधन के बीच करते है. लेकिन अफसोस कि बात ये है कि देश के इस आदर्श मंदिर का पर्यटन के रूप में विकास होना चाहिए था वो नहीं हो पाया. ग्रामीणों के अंदर यह सोच है यह भावना है कि ये हमारे देश के पुरोधा है. हमारे देश के लिए शहीद हुए है. इसलिए ये हमारे लिए देवी देवता से कम नहीं है. यहीं सोच के साथ ग्रामीण भक्ति भाव से इनकी पूजा अर्चना करते आ रहें है. ग्रामीण महिला सोनी कुमारी बताती है कि यह हम और हमारे गांव के लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र है. हम लोग यहां हर दिन पूजा अर्चना करने आते है. दूसरे देवी देवता के साथ में शहीदों की पूजा अर्चना करते है. हमने जो मन्नत यहां मांगी थी हमारी वो मन्नत पूरी हुई है.
इनपुट- जितेंद्र कुमार 

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