Sawan 2023: इस डर से अजगैबीनाथ के पुजारी देवघर में नहीं करते जलार्पण! जानें क्या है रोचक कहानी
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Sawan 2023: इस डर से अजगैबीनाथ के पुजारी देवघर में नहीं करते जलार्पण! जानें क्या है रोचक कहानी

Sawan 2023: श्रावणी मेला शुरु होने में अब मात्र एक दिन ही बचा है. इसके बाद देवघर के लिए भक्तों का मेला शुरु हो जाएगा. भोलेनाथ के भक्त भागलपुर के सुल्तानगंज में स्थित उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बसे बाबा अजगैबीनाथ की पूजा करने के बाद अपने कांवड़ में जल भरकर बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाएंगे.

Sawan 2023: इस डर से अजगैबीनाथ के पुजारी देवघर में नहीं करते जलार्पण! जानें क्या है रोचक कहानी

भागलपुर:Sawan 2023: श्रावणी मेला शुरु होने में अब मात्र एक दिन ही बचा है. इसके बाद देवघर के लिए भक्तों का मेला शुरु हो जाएगा. भोलेनाथ के भक्त भागलपुर के सुल्तानगंज में स्थित उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बसे बाबा अजगैबीनाथ की पूजा करने के बाद अपने कांवड़ में जल भरकर बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाएंगे. पर क्या आपको पता है कि बाबा अजगैबीनाथ के पुजारी देवघर में बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण नहीं करते हैं. यहां तक की इस महाने वो देवघर भी नहीं जाते हैं. इसके पीछे एक रोचक कहानी है.

मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर के ऊपर जो ध्वज लगा है वो1885 का है. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मंदिर इससे पूहले का ही होगा. मंदिर के पुजारी ने बताया कि रानी कलावती ने इस मंदिर के ध्वज को दान स्वरूप दिया था. इस मंदिर में भगवान शिव के दो शिवलिंग है. ऐसा कहा जाता है की हजारों वर्ष पहले दो ऋषि मुनि बाबा को जल अर्पण करने जल लेकर हर दिन देवघर जाते थे. भगवान शिव जब उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए तो उनकी परीक्षा लेने बीच रास्ते में प्रगट हो गए और उनसे पीने के लिए जल मांगने लगे. तब दोनों ने कहा कि यह जल भोलेनाथ को अर्पण करने के लिए ले जा रहे हैं. हम आपको नहीं दे सकते हैं.

तब बाबा बैद्यनाथ उनको अपना दर्शन दिया और कहा कि तुम दोनों आज से जल लेकर यहां नहीं आना. तुम दोनों जाओ तुमको वहां दो शिवलिंग मिलेगा दोनों वहीं पर अपने अपने शिवलिंग की पूजा करना. श्रृंगारी पूजा से पूर्व मैं सुल्तानगंज में रहूंगा. उसके बाद मैं वैद्यनाथ चला आऊंगा. तब से ऐसी मान्यता है कि श्रृंगारी पूजा से पहले जितने भी जल भोलाथ को अर्पण होते हैं वह सीधे बाबा बैद्यनाथ को चढ़ता है. जिसके बाद से अजगैबीनाथ के महंथ कभी भी जलार्पण करने देवघर नगरी नहीं जाते हैं. कहा जाता है कि जो भी सावन में जल लेकर बाबा की नगरी देवघर जाना चाहते हैं उनके साथ कोई ना कोई समस्या जरूर होती है.

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