झुग्गी से कैसे करोड़ों के महल तक पहुंचे निरहुआ, दिलचस्प है उनकी कहानी
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झुग्गी से कैसे करोड़ों के महल तक पहुंचे निरहुआ, दिलचस्प है उनकी कहानी

  Dinesh Lal Yadav Struggle Story: आज भोजपुरी के अगर 4-5 सुपरस्टार और सर्वश्रेष्ठ सफल अभिनेताओं की बात करें तो उसमें से एक नाम दिनेश लाल यादव निरहुआ का आता है.

(फाइल फोटो)

पटना :  Dinesh Lal Yadav Struggle Story: आज भोजपुरी के अगर 4-5 सुपरस्टार और सर्वश्रेष्ठ सफल अभिनेताओं की बात करें तो उसमें से एक नाम दिनेश लाल यादव निरहुआ का आता है. भोजपुरी गायकी के मंच से अपनी शुरुआत कर निरहुआ आज भोजपुरी फिल्मों के बादशाह तो हैं हीं साथ ही वह राजनीति में भी अपने दम पर अपने नाम का परचम लहरा चुके हैं. निरहुआ ने अपने अभिनय से ज्यादा अपनी गायकी से लोगों को दीवाना बना रखा है लेकिन क्या आपको पता है कि निरहुआ को उनकी फर्श से अर्श तक का सफर उनको खैरात में नहीं मिली, निरहुआ ने इन तमाम सफलता की सीढ़ियों को चढ़ने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया और झुग्गी में रहनेवाला एक सामान्य लड़का आज करोड़ों के महल में रहता है. 

राजनीति में भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं निरहुआ
निरहुआ ने फिल्मों में जो सफलता अर्जित की वह तो उनका एक पहलू है. इसके साथ गायकी में भी उनका जलवा कायम है लेकिन इस सब के बीच निरहुआ ने राजनीति की दुनिया में कदम रखा तो उनका सामना मुश्किल से हो गया. 2019 में भाजपा के टिकट पर वह आजमगढ़ से चुनाव लड़े और हार गए. फिर भी निरहुआ रूके नहीं ना ही उन्होंने मैदान छोड़ा. फिर वहां आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव हुआ और भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा दिखाया इस बार उन्होंने भाजपा की सोच पर खरा उतरकर इस सीट पर जीत दर्ज की और सपा के किले को ढहा दिया. 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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बेहद परेशानी से भरा रहा है निरहुआ का बचपन
दिनेश लाल यादव के बचपन की कहानी सुन लेंगे तो आप भी भरोसा नहीं कर पाएंगे. गांव का एकदम निम्नस्तरीय परिवार और उसमें पलने वाला एक बच्चा. जिसके पिता मामूली सी तनख्वाह में एक फैक्ट्री में काम करते थे. घर चलाना मुश्किल हुआ तो दिनेश लाल यादव भाई और पिता के साथ कोलकाता रोजगार की तलाश में चले गए. 3500 की नौकरी कर ली. वहीं शहर में निरहुआ, उनके भाई और पिता झुग्गी में रह रहे थे और यहां उनकी मां और बहनें गांव के कच्चे टूटे-फूटे मकान में. 1997 में मन उचटा तो गांव लौट आए. 

बचपन से था गाने का शौक
निरहुआ को बचपन से गाना गाना खूब पसंद था, पढ़ाई-लिखाई में कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी. गांव पहुंचे तो भैंस पर बैठकर बचपन की तरह ही सैर करते गाना गाते और घंटों उसी के ऊपर बैठे अपना समय गुजारते. उनको अपने चचेरे भाई से बहुत प्यार था, उनके चचेरे भाई विजय लाल यादव प्रख्यात बिरहा गायक हैं. निरहुआ को पहली सफलता उनके पहले एल्बम 'निरहुआ सटल रहे' से मिली. फिर उन्होंने कभी पूछे मुड़कर नहीं देखा. 

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एक्टिंग में भी कमाल करते हैं निरहुआ
साल 2006 में निरहुआ का बड़े पर्दे पर पदार्पण हुआ और उनकी पहली फिल्म 'चलत मुसाफिर मोह लियो रे' रिलीज हुई. फिर 'निरहुआ रिक्शावाला' जो साल 2008 में आई ने तो निरहुआ को सफलता के शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया.

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