अब फाइलेरिया मुक्त होगा बिहार! अरवल और गया में स्थिति जानने के लिए किया जाएगा एस्सेमेंट सर्वे
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अब फाइलेरिया मुक्त होगा बिहार! अरवल और गया में स्थिति जानने के लिए किया जाएगा एस्सेमेंट सर्वे

मंगल पांडेय ने कहा सर्वे में यदि इस बात की पुष्टि होती है कि फाइलेरिया का प्रसार रुक गया है तो जिला फाइलेरिया मुक्त घोषित हो सकेगा. फिर इन जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाने की जरूरत नहीं होगी. फाइलेरिया प्रसार का पता लगाने के लिए टास एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसा प्राप्त है.

अब फाइलेरिया मुक्त होगा बिहार! (फाइल फोटो)

Patna: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने कहा कि बिहार से फाइलेरिया (Filaria) जैसे गंभीर एवं उपेक्षित रोग के उन्मूलन के लिए सरकार गंभीर है. इसको लेकर राज्य के 2 जिलों (गया एवं अरवल) में फाइलेरिया प्रसार की स्थिति को जानने के लिए 15 नवंबर से टास (ट्रांसमिशन एस्सेमेंट सर्वे) किया जाएगा. 

इसके अंतर्गत दोनों जिले के कक्षा 1 और 2 के चिन्हित बच्चों (6 से 7 वर्ष) की विशेष किट के द्वारा फाइलेरिया की जांच की जाएगी. इसके लिए गया जिले के 100 विद्यालयों के 5000 बच्चे एवं अरवल जिले के 34 विद्यालयों के 1600 बच्चों की फाइलेरिया की जांच की जाएगी. इससे यह पता चलेगा कि जिले में फाइलेरिया का प्रसार रुक गया है या नहीं. 

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मंगल पांडेय ने कहा 
सर्वे में यदि इस बात की पुष्टि होती है कि फाइलेरिया का प्रसार रुक गया है तो जिला फाइलेरिया मुक्त घोषित हो सकेगा. फिर इन जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाने की जरूरत नहीं होगी. फाइलेरिया प्रसार का पता लगाने के लिए टास एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसा प्राप्त है.

टास के लिए दो मानक तैयार 
टास के लिए मुख्य रूप से दो मानक तैयार किए गए हैं. पहला मानक है कि चयनित जिले में सर्वजन दवा सेवन (MDA) का सफलतापूर्वक पांच राउंड संपन्न होना चाहिए. जबकि दूसरे मानक के अनुसार चिन्हित जिले में माइक्रो फाइलेरिया प्रसार की दर 1 से कम होनी चाहिए. इन दोनों विशेष मानकों को ध्यान में रखते हुए ही गया एवं अरवल जिले का चयन टास के लिए किया गया है. 

गंभीर रोगों की सूची में शामिल है फाइलेरिया 
पांडेय ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर एवं असाध्य रोगों की सूची में शामिल है. इससे व्यक्ति की जान तो नहीं जाती है लेकिन यह रोग व्यक्ति को शारीरिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाचार जरुर कर देता है. 

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उन्होंने कहा, 'हमें सामूहिक प्रयास से फाइलेरिया को अपने परिवार, समाज एवं राज्य से दूर करने का संकल्प लेना है. इसके लिए यह जरूरी है कि टास के लिए चयनित दोनों जिलों के चयनित विद्यालय इसमें अपना पूरा सहयोग करें. माता-पिता अपने बच्चे को टास के लिए निर्धारित किए गए दिन पर विद्यालय जरूर भेजें. इससे टास भी सफल होगा एवं बच्चों में फाइलेरिया की जांच भी आसानी से हो सकेगी.'

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