कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने तेजतर्रार वक्ता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar), हार्दिक पटेल (Hardik Patel) को प्रचार के लिए चुनावी मैदान में उतार दिया. उधर, जन अधिकार पार्टी (JAP) के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) का भी समर्थन प्राप्त कर अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, फिर भी वह अपनी पुरानी जमीन तलाशने में असफल नजर आई.
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Patna: बिहार उपचुनाव (Bihar By-Election) में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीटों के परिणाम ने बिहार की सियासत में कई सवालों के जवाब दे दिए. इस चुनाव में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जहां एकजुट होकर दोनों सीटों पर फिर से कब्जा जमा लिया, वहीं महागठबंधन तोड़कर अपने-अपने प्रत्याशी देने वाले राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) को हार का सामना करना पड़ा. राजद और कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण महागठबंधन में बिखराव को माना जा रहा है.
राजद दोनों सीटों पर दूसरे नंबर पर पहुंचकर अपनी साख बचाने में जरूर कामयाब हो गई, लेकिन कांग्रेस की बड़ी हार हुई है. कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने तेजतर्रार वक्ता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar), हार्दिक पटेल (Hardik Patel) को प्रचार के लिए चुनावी मैदान में उतार दिया. उधर, जन अधिकार पार्टी (JAP) के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) का भी समर्थन प्राप्त कर अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, फिर भी वह अपनी पुरानी जमीन तलाशने में असफल नजर आई.
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JDU प्रत्याशी की जीत, चौथे नंबर पर आई Congress
कहा जा रहा है कि कुशेश्वरस्थान में सहानुभूति की लहर के साथ राजग की रणनीति के कारण जदयू प्रत्याशी अमन भूषण हजारी विजयी हुए. पिछले साल हुए विधानसभा आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, लेकिन इस उपचुनाव में फिसल कर चौथे नंबर पर आ गई. लोजपा (रामविलास) यहां तीसरे स्थान पर रही.
RJD-JDU के बीच कड़ी टक्कर
इसी तरह तारापुर सीट के परिणाम पर गौर करें तो यहां राजद और जदयू के प्रत्याशी में कड़ी टक्कर देखने को मिली. यहां से जदयू के प्रत्याशी को 78,966 मत मिले तो राजद के अरूण कुमार साह को 75,145 वोट पर संतोष करना पडा. तारापुर से कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्र मात्र 3590 मत पर ही सिमट गए.
'महागठबंधन में बिखराव है हार का मुख्य कारण'
गौरतलब है कि मिश्र पिछले चुनाव में बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें 10 हजार से अधिक वोट मिले थे. इधर, कांग्रेस के नेता अब इस चुनाव परिणाम को लेकर रणनीति पर ही सवाल उठाने लगे हैं. बिहार युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार भी मानते हैं कि महागठबंधन में बिखराव और स्थानीय नेताओं को महत्व और सम्मान नहीं देना इस हार का मुख्य कारण रहा.
'कांग्रेस के बिहारी युवाओं रखना था आगे'
उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव में गुजरात से आए युवा जिग्नेश और हार्दिक पटेल को स्टार प्रचारक बनाया. सवाल है कि बिहार का वोटर इनके किस कार्य से प्रेरित होकर इनके पीछे होगा? उन्होंने कहा कि इससे पार्टी के अंदर की युवा लीडरशिप हतोत्साहित हो गया. बहुत साफ है कि इन दोनों की जगह कांग्रेस के ही दो बिहारी युवाओं को अगर आगे रखते तो लीडरशिप विकसित होती.
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ललन कुमार ने कहा,
'बिहार के युवाओं से न ज्यादा कोई सियासी समझ रखता है, न जनता के सामने प्रभावी बात कर सकता है. बिहार कांग्रेस को इस इवेंट मैनेजमेंट से आगे निकलना होगा. अपने प्रदेश के युवाओं की उपेक्षा कर बेवजह किसी दूसरे प्रदेश के युवा की महिमामंडन से आखिर में पार्टी का ही नुकसान होना है.'
'न्याय के साथ विकास की जीत'
इधर, जदयू के नेता इस जीत को महागठबंधन के बिखराव की चजह नहीं मानते हैं. जदयू (JDU) के नेता और राज्य के मंत्री संजय कुमार झा (Sanjay Kumar Jha) कहते हैं, 'महागठबंधन में फूट का कोई लाभ राजग को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में न्याय के साथ विकास की जीत हुई है. सभी वर्गों और तबको के लोगों ने राजग सरकार पर भरोसा जताया है.'
(इनपुट- आईएएनएस)