Fulera Dooj Story: पौराणिक मान्यता है कि इस दिन ब्रज में श्रीकृष्ण और राधा होली के त्योहार की शुरुआत करते हैं और इसमें भाग लेते हैं. आज भी इसी परंपरा की याद में फूलों की होली खेली जाती है और फुलेरा दूज का उत्सव मनाया जाता है.
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पटनाः Fulera Dooj Story: सनातन परंपरा के पंचांग के मुताबिक, फुलेरा दूज का उत्सव 3 मार्च को मनाया जाएगा. फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह उत्सव होली की सूचना देता है. टेसू-सरसों और महुए के फूल की गंध बताती है कि फगुआ उड़ाने के दिन चल रहे हैं.यह दिन श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की शुरुआत का दिन भी माना जाता है.
होली के आगमन का संदेश
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन ब्रज में श्रीकृष्ण और राधा होली के त्योहार की शुरुआत करते हैं और इसमें भाग लेते हैं. आज भी इसी परंपरा की याद में फूलों की होली खेली जाती है और फुलेरा दूज का उत्सव मनाया जाता है. इसके बाद पारंपरिक अष्ट विधान होली के उत्सव की शुरुआत हो जाती है, जिसमें लड्डुओं की होली, लट्ठमार होली, रंग की होली आदि सभी का दौर शुरू हो जाता है. इस दिन बिना किसी मुहूर्त के भी शादी हो जाती है.
इसलिए होता है इस दिन बिना मुहूर्त के विवाह
एक मान्यता है कि राधा और कृष्ण का विवाह खुद ब्रह्मा जी ने कराया था. गर्ग सहिंता में इसका वर्णन मिलता है. ब्रह्मवैवर्त पुराण प्रकृति खंड अध्याय 48 के अनुसार और यदुवंशियों के कुलगुरु गर्ग ऋषि द्वारा लिखित गर्ग संहिता की एक कथा के अनुसार कृष्ण और राधा का विवाह बचपन में ही हो गया था. एक वन में ब्रह्मा जी ने राधा और कृष्ण का गंधर्व विवाह करवाया था. इस विवाह की तिथि मान्यता के आधार पर फुलेरा दूज की ही मानी जाती है.
शादियों का विशेष मुहूर्त
ब्रह्मदेव ने बिना किसी मुहूर्त के विचार के खुद ही फूलों की वर्षा करते हुए विवाह कराया, इसलिए फुलेरा दूज के दिन विवाह की पद्धतियां बिना मुहूर्त देखे की जाती हैं. होली के पहले होलाष्टक लग जाते हैं. इस दौरान शुभ कार्य नहीं होते हैं. इस वजह से फुलेरा दूज शादियों के लिए विशेष मुहूर्त होता है.