थावे मंदिर: जहां अपने भक्त रहषु के मस्तक को फाड़कर देवी मां ने दिया था दर्शन, वहां अब दौड़ेगा विकास का पहिया
Advertisement

थावे मंदिर: जहां अपने भक्त रहषु के मस्तक को फाड़कर देवी मां ने दिया था दर्शन, वहां अब दौड़ेगा विकास का पहिया

बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक मां थावे वाली का धाम भी लंबे समय से विकास की बाट जोह रहा था. अब बिहार सरकार का ध्यान इसकी तरफ आकर्षित हुआ है. बिहार सरकार अब इस मंदिर के निर्माण और मंदिर निर्माण और सौंदर्यीकरण पर 200 करोड़ खर्च करने का ऐलान कर चुकी है. 

 (फाइल फोटो)

गोपालगंज: बिहार में धार्मिक स्थलों की कमी नहीं है. हालांकि इनमें से कई आस्था के केंद्र तो ऐसे हैं जो अबतक विकास की बाट जोह रहे हैं. बिहार में ऐसे धार्मिक स्थलों की बड़ी तादाद है जिसके विकास पर अगर सरकार की तरफ से ध्यान दे दिया जाए तो बिहार को पर्यटन के जरिए अच्छी खासी कमाई हो सकती है. ऐसे में बिहार के गोपालगंज में स्थित थावे वाली माता मंदिर को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए सरकार की तरफ से कोशिश शुरू कर दी गई है. 

बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक मां थावे वाली का धाम भी लंबे समय से विकास की बाट जोह रहा था. अब बिहार सरकार का ध्यान इसकी तरफ आकर्षित हुआ है. बिहार सरकार अब इस मंदिर के निर्माण और मंदिर निर्माण और सौंदर्यीकरण पर 200 करोड़ खर्च करने का ऐलान कर चुकी है. 

तो आइए आपको देते हैं जानकारी की आखिर क्यों प्रसिद्ध है थावे मां का मंदिर क्या है इसकी पौराणिक मान्यता और कैसे यहां तक पहुंचते हैं श्रद्धालु मां का दर्शन पाने के लिए. 

52 शक्तिपीठों में से एक है मां थावे का यह मंदिर 
गोपालगंज के थावे प्रखंड में मां के इस मंदिर की भव्यता देखनी है तो आपको यहां चैत के महीने में आना होगा, वैसे तो यहां हर दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है लेकिन चैत महीने में यहां एक बड़ा मेला लगता है. आपको बता दें कि मंदिर परिसर में क्रॉस की तरह बढ़ा एक पेड़ है इसके वनस्पति परिवार की अबतक पहचान नहीं हो पाई है लेकिन इसके बारे में कहा जाता है कि इसका मां के यहां विराजने के साथ सीधा संबंध है. यह पेड़ यहां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. यह देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर का गर्भगृह काफी प्राचीन है और इसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं किया गया है. 

कामख्या देवी की तरह यह भी है एक सिद्धपीठ 
थावे वाली देवी के मंदिर को यहां सिद्धपीठ के तौर पर माना जाता है. जहां कामख्या से चलकर मां पहुंची थी और अपने परमभक्त रहषु भगत को उन्होंने दर्शन दिया था. कथा की मानें तो मां जब कामख्या से चली तो कोलकाता में वह दक्षिणेश्वर काली, पटना में पटन देवी और छपरा में आमी देवी (मां भवानी) के रूप में विराजमान हुईं और फिर वह यहां थावे पहुंची. यहां वह अपने परमभक्त रहषु के सिर को विभाजित करते हुए प्रकट हुईं और उसे साक्षात दर्शन दिया था. 

मां के यहां आने के पीछे की यह है कथा
कहते हैं कि यहां हथुआ राजवंश का शासन हुआ करता था. उसके राजा मनन सिंह मां के बड़े भक्त थे. एक बार उनके राज्य में अकाल पड़ गया. वहीं एक रहषु नाम का आदमी रहता था वह दिन में घास काटता और रात में उसी से अनाज निकलते. इस तरह वहां के लोगों को अकाल में भी अनाज मिलने लगा. राजा को इसकी सूचना मिली तो वह इसे मानने से इनकार करने लगे. राजा को अहंकार था कि मां का उनसे बड़ा कोई भक्त नहीं हो सकता. ऐसे में राजा ने रहषु भगत को ढ़ोंगी कहना शुरू कर दिया और वह बार-बार उससे कहने लगे कि अगर वह मां का सच्चा भक्त है तो उन्हें यहां बुलाए. राजा के बार-बार कहने पर भी रहषु ऐसा करने से मना करता रहा और कहता रहा कि अगर ऐसा हुआ और मां यहां आई तो पूरा राजवंश खत्म हो जाएगा लेकिन नहीं माने. ऐसे में मजबूर होकर रहषु ने मां से अराधना की कि वह यहां आए. मां कामख्या से चलकर कोलकाता, पटना और छपरा होते हुए यहां पहुंची और रहषु के सिर के दो टुकड़े करते हुए उसे साक्षात दर्शन दिया. उसके बाद पूरे राज्य का सर्वनाश हो गया राजा के सारे महल गिर गए और राजा की मौत हो गई.  इसके बाद यहां मां का भव्य मंदिर स्थापित हुआ और पास में ही रहषु भगत का भी मंदिर है. 

तीन तरफ जंगलों से घिरा है मंदिर परिसर
यहीं पास में हथुआ राजपरिवार के किले का खंडहर भी मौजूद है. जिसे देखने भी लोग आते हैं. गोपालगंज शहर से तकरीबन 6 किलोमीटर की दूरी पर सिवान-गोपालगंज रोड पर यह मंदिर स्थित है. यहां हर तरफ फैले घने जंगल और पेड पौधों की हरियाली आपके मन को मोहने के लिए काफी है. 

इन नामों से भी जानी जाती हैं थावे वाली माता 
थावे वाली माता को यहां के स्थानीय लोग और यहां दर्शन करने आनेवाले भक्त सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से पुकारते हैं. यहां मां की पूजा का खास दिन सोमवार और शुक्रवार है ऐसे में इन दोनों दिनों में यहां भक्तों का तांता सा लग जाता है. शारदीय और चैत्र नवरात्र में तो यहां मां के मंदिर की छटा देखते ही बनती है. यहां आप रेल, सड़क और वायुमार्ग से आ सकते है. यहां पास में थावे जंक्शन है. वहीं यह नेशनल हाइवे से भी जुड़ा हुआ है. जबकि इसके निकटतम एयरपोर्ट में पटना और गोरखपुर का एयरपोर्ट है. जहां से फिर सड़क या ट्रेन के जरिए आप माता के धाम तक पहुंच सकते हैं.

 

 

Trending news