Mahalya Visarjan: विदा ले रहे हैं पुरखे घर में आ रही हैं मां भवानी, जानिए महालया का महत्व
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Mahalya Visarjan: विदा ले रहे हैं पुरखे घर में आ रही हैं मां भवानी, जानिए महालया का महत्व

Mahalya Visarjan: पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार महालया के दिन ही देवी दुर्गा ने महिषासुर सहित तमाम असुरों के अंत की शुरुआत की थी. इसलिए भी इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है. बंगाल, बिहार और असम में देवी माँ की प्रतिमा स्थापित करने का रिवाज है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से ही नवरात्रि की धूम शुरू हो जाती है.

 

विदा ले रहे हैं पुरखे घर में आ रही हैं मां भवानी (फाइल फोटो)

Patna: Mahalya Visarjan: पितृ पक्ष के विसर्जन वाले दिन यानी अमावस्या की शुभ तिथि में सर्व पितृ श्राद्ध किया जाता है. इस बार गजछाया योग के कारण यह श्राद्ध और भी खास है. इस दिन पितृ-पुरखों का गया में तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है और जन्म-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिलता है. पितृ विसर्जन के साथ ही देवी दुर्गा के नवरात्रि की शुरुआत भी हो जाती है.

नवरात्रि से भी जुड़ा है महत्व
पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार महालया के दिन ही देवी दुर्गा ने महिषासुर सहित तमाम असुरों के अंत की शुरुआत की थी. इसलिए भी इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है. बंगाल, बिहार और असम में देवी माँ की प्रतिमा स्थापित करने का रिवाज है, इसलिए इस दिन विशेष रूप से ही नवरात्रि की धूम शुरू हो जाती है. नवरात्रि के दौरान इन राज्यों में विशेष रूप से देवी माँ का असुरों का वध करते हुए कथा का नाट्य रूपांतरण भी किया जाता है.

श्रीराम ने भी किया था मां के व्रत का संकल्प
एक अन्य मान्यता के अनुसार जब रावण ने सीता माता का हरण किया था तो श्री राम ने रावण से युद्ध आरंभ करने से पहले आज के दिन ही देवी मां की पूजा शुरू की थी. नौ दिनों तक देवी माँ की पूजा करने के बाद दसवें दिन भगवान् श्री राम ने रावण का वध किया था. इसलिए दसवें दिन विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है.

ऐसे करें आज का तर्पण
महालया के विसर्जन के दिन तर्पण करना ज्योतिष हितों के लिए लाभदायक होता है. आज के दिन तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है. इसके अलावा इस दिन पितरों की पसंद का भोजन बनाकर पांच स्थानों में भोजन को निकालना चाहिए. इसमें पहला हिस्सा गाय का, दूसरा देवों का, तीसरा हिस्सा कौए का, चौथा हिस्सा कुत्ते का और पांचवा हिस्सा चींटियों का होता है.  जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है.

 

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