भागलपुर का एक गांव ऐसा भी, जहां आजादी के 74 साल बाद भी नहीं पहुंची सड़क
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भागलपुर का एक गांव ऐसा भी, जहां आजादी के 74 साल बाद भी नहीं पहुंची सड़क

भागलपुरः बिहार के सिल्क सिटी के नाम से मशहूर शहर भागलुपर आज पूरे देशभर में किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भागलपुर जिले को आज हर कोई जानता है लेकिन इस जिले के अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के 74 साल बीत जाने के बाद भी विकास की रौशनी नहीं पहुच पाई है.

(फाइल फोटो)

भागलपुरः बिहार के सिल्क सिटी के नाम से मशहूर शहर भागलुपर आज पूरे देशभर में किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भागलपुर जिले को आज हर कोई जानता है लेकिन इस जिले के अंतर्गत एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के 74 साल बीत जाने के बाद भी विकास की रौशनी नहीं पहुच पाई है. इस गांव की सीमा को सड़क तक ने नहीं छुआ है. 

भागलपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां सरकार की योजनाएं पहुंचने से पहले दम तोड़ देती हैं. जो योजनाएं यहां पहुंची भी उसने भी यहां आकर दम तोड़ दिया. जी हां हम भागलपुर जिले के जिस गांव की बात कर रहे हैं उसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. भागलपुर जिले के कहलगांव के सनहौला प्रखंड स्थित सनोखर पंचायत के जफरा गांव. इस गांव ने आजादी के 74 साल बाद भी विकास का मुंह नहीं देखा है.

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जाफरा गांव एक आदिवासियों का गांव है, यहां की आबादी करीब 1000 है. यह ऐसा गांव है जहां देश की आजादी के 74 साल बाद भी सड़क नहीं है. लोगों को पगडंडियों के सहारे गांव से बाहर निकलना पड़ता है. 

जफरा गांव के साथ जो बदकिस्मती जुड़ी है वह शायद ही बिहार या फिर देश के किसी गांव के साथ जुड़ी हो. दरअसल जफरा एक ऐसा गांव है जिसके पास कोई सड़क नहीं है. एक हजार लोगों की आबादी वाला यह बिना रास्ते का गांव है. 

जफरा गांव में जाने के लिये रास्ता नहीं है. अगर गांव में जाना हो तो दो किलोमीटर दुर्गम पगडंडी पर पैदल चलना होता है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी राज नेताओं और शासन ने इन्हें सिर्फ छला है. यहां कोई बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस तक गांव में नहीं आ सकती. चारपाई पर लादकर गांव के लोग मरीज को गांव से दो किलोमीटर बाहर लाते हैं तब एंबुलेंस तक पहुंचते हैं. 

ज़ी न्यूज संवाददाता अश्वनी जब जफरा गांव पहुंचे तो सड़क के साथ-साथ नल जल की भी सुविधा की स्थिति भी देखी. यहां तो सरकार के सारे दावे हवा हवाई नजर आए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी योजना की भी यहां पोल खुल गयी. इस गांव में नल जल योजना के पानी की टंकी को रखने के लिए छत तो दिखी लेकिन ना तो टंक दिखी ना ही कोई नल जिसके जरिए जल लोगों के घरों तक पहुंचे. बिहार का यह गांव आज भी अपनी दुर्दशा पर रो रहा है. 

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