बिहार में कोजागरी की रात प्रेम की रात भी मानी जाती है. कोजागरी को देश भर में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) कहते हैं.
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Patna: Sharad Purnima Kojagari: आने वाली 19 अक्टूबर की रात कोजागरी (Sharad Purnima) की रात है. बिहार में कोजागरी का बहुत महत्व है. इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं और संपूर्ण आभा के साथ आसमान में खिलता है. चंद्रमा का प्रकाश सिर्फ उजाला ही नहीं भर देता है, बल्कि यह सृष्टि में ब्रह्मं ज्ञान का प्रतीक है. इस धवल चांदनी के साथ देवी लक्ष्मी का आशीष भी जुड़ा है. इसलिए कोजागरी की रात ऐश्वर्य और आरोग्य की रात होती है.
श्रीकृष्ण से जुड़ी है कोजागरी
बिहार में कोजागरी की रात प्रेम की रात भी मानी जाती है. कोजागरी को देश भर में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) कहते हैं. ऐसे में प्रेम की रात से अगर इसे जोड़ा जाए तो श्रीकृष्ण (Lord Krishna) और उनकी महारासलीला नजर आती है. दरअसल श्रीकृष्ण शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों के संग महारासलीला करते थे. बात अगर बिहार की करें तो यह प्रेम मिथिलांचल से जुड़ा है. जहां की देवी सीता माता हैं, जो खुद लक्ष्मी (Godess Lakshmi) स्वरूप हैं.
देवी सीता ने चंद्रमा से की थी प्रार्थना
देवी सीता ने पुष्पवाटिका में श्रीराम को देखकर जब व्याकुल हो गईं तो रात में उन्होंने चंद्र देव से ही प्रार्थना करते हुए कहा, हे चंद्र, अपने चंद्र मौली भगवान शिव और उनकी पत्नी गिरिजा भवानी तक मेरी ये विनती पहुंचाओ. जिस रात देवी सीता ये प्रार्थना कर रही थीं, वह कोजागरी यानी शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की ही रात थी. इसी तरह श्रीराम भी चंद्रमा को देखते हुए सीता जी को याद करते हैं और कई-कई उपमाएं देते हैं. इस दृष्य का वर्णन तुलसीदास जी ने मानस में किया है.
श्रीराम ने भी निहारा था चांद
प्राची दिसि ससि उयउ सुहावा. सिय मुख सरिस देखि सुखु पावा॥
बहुरि बिचारु कीन्ह मन माहीं. सीय बदन सम हिमकर नाहीं॥4॥
पूर्व दिशा में सुंदर चन्द्रमा उदय हुआ. श्री रामचन्द्रजी (Lord Ram) ने उसे सीता के मुख के समान देखकर सुख पाया. फिर मन में विचार किया कि यह चन्द्रमा सीताजी के मुख के समान नहीं है. इस प्रकार चन्द्रमा के बहाने सीताजी के मुख की छबि का वर्णन करके, बड़ी रात हो गई जान, वे गुरुजी के पास चले जाते हैं.