बेगूसराय में जमीन पर बोरा बिछा कर पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल, दावों की खुली पोल
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बेगूसराय में जमीन पर बोरा बिछा कर पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल, दावों की खुली पोल

विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामनरेश चौधरी बताते हैं कि यहां प्रतिदिन बच्चों की उपस्थिति 500 से अधिक होती है. बच्चों की अधिक संख्या को देखते हुए वर्गों को सेक्शन में विभाजित कर संचालन किया जा रहा है. ऐसे में  कमरा नहीं होने के कारण बच्चे बाहर बरामदे पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. 

बेंच-डेस्क के अभाव में दरी और बोरा बिछाकर पढ़ रहे हैं बच्चे.

Patna: बेगूसराय के वीरपुर प्रखंड का नौलागढ़ मध्य विद्यालय बिहार सरकार के उन दावों की पोल खोल रहा है जिसमें सरकारी स्कूलों में बुनियादी जरूरत उपलब्ध कराने की बात कही जाती है. यहां ना तो छात्रों के अनुपात में कमरे का प्रबंध है और ना ही उनके बैठने का कोई सामान, लिहाजा आज भी बच्चे इस स्कूल में जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. 

कमरे के अभाव में बरामदे में बैठकर करते हैं पढ़ाई 
नौलागढ़ मध्य विद्यालय में कुल 728 बच्चों का नामांकन है लेकिन विद्यालय में कमरे की कुल संख्या मात्र 13 हैं, और उन 13 कमरों में 3 कमरा पुस्तकालय, स्टोर रूम और कार्यालय के उपयोग में है. बाकी बचे 10 कमरों में पहली कक्षा से लेकर 8वीं तक की क्लास चलती है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामनरेश चौधरी बताते हैं कि यहां प्रतिदिन बच्चों की उपस्थिति 500 से अधिक होती है. बच्चों की अधिक संख्या को देखते हुए वर्गों को सेक्शन में विभाजित कर संचालन किया जा रहा है. ऐसे में  कमरा नहीं होने के कारण बच्चे बाहर बरामदे पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं. 

500 बच्चों के बीच महज 50 बेंच हैं उपलब्ध
भले ही विद्यालय में सात सौ से अधिक छात्रों का नामांकन है लेकिन शिक्षक कपिलदेव सहनी का कहना है कि यहां 500 बच्चों की दैनिक उपस्थिति रहती है, ऐसे में छात्रों के अनुपात में बेंच कम पड़ जाता है जिससे उन्हें नीचे में बिठाकर पढ़ाया जाता है. वहीं यहां पढ़ने वाले छात्र बताते हैं कि जमीन पर बैठकर पढ़ने में उनलोगों को काफी परेशानी होती है. इसलिए घर से बैठने के लिए बोरे लाते हैं ताकि कपड़े गंदे ना हों. वहीं छात्रों का कहना है कि जमीन पर बैठ कर लिखने से हैंडराइटिंग भी खराब हो जाती है. वहीं कुछ छात्र जमीन पर बैठकर पढ़ने में कमर दर्द की शिकायत भी करते हैं. 

बुनियादी सुविधाओं के अभाव में चल रहा स्कूल
एक ओर जहां बैठने के लिए बेंच और कमरे का आभाव है तो वहीं इस विद्यालय में शिक्षकों की कुल संख्या 14 है, जो कि छात्र के अनुपात में 52 प्रतिशत है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामनरेश चौधरी भी मानते हैं कि छात्रों की संख्या को देखते हुए सुविधा और शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है.

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बाउंड्री नहीं होने के कारण विद्यालय की संपत्ति को हो रहा नुकसान
स्कूल के प्रधानाध्यापक जहां व्यवस्थाओं की मांग कर रहे हैं तो वहीं चारदीवारी के आभाव में विद्यालय की संपत्ति को हो रहे नुकसान को लेकर भी चिंतित हैं. उनका कहना है कि शिक्षा विभाग को अव्यवस्थाओं और विद्यालय की जरूरतों के बारे में जानकारी दे दी गई है. लेकिन सारी समस्याओं से अवगत होने के बावजूद विभाग इस बारे में कोई कोई पहल करता नहीं दिख रहा है. जाहिर है व्यवस्था की कमी के कारण नौलागढ़ मध्य विद्यालय के बच्चे उच्च और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं.

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