अगर किसी को अंगों (विशेषकर आंखों और पैरों) में सूजन, कम हीमोग्लोबिन, कभी-कभी सिरदर्द और उल्टी होती है तो नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए, खासकर अगर उन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है तो बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.
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Signs of Kidney Disease: हमारे शरीर में ऐसे कई अंग हैं, जिनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है. इन्हीं महत्वपूर्ण अंगों में से एक है किडनी. यदि इसकी सही देखभाल न की जाए तो हमारे लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
किडनी खराब होने के ये हैं शुरुआती संकेत
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के विशेषज्ञों के अनुसार, आंखों और पैरों के आसपास सूजन, एनीमिया और कभी-कभी सिरदर्द व उल्टी क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. नेफ्रोलॉजी विभाग के कार्यवाहक प्रमुख प्रो विश्वजीत सिंह ने कहा कि क्रोनिक किडनी रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना मुश्किल है क्योंकि इसके छिपे हुए लक्षण हैं. लगभग 60 प्रतिशत रोगी बीमारी के अंतिम चरण में जान पाते हैं. उस समय तक, डायलिसिस या अंग प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचता है.
एक्टिंग चीफ ने चेतावनी दी कि अगर किसी को अंगों (विशेषकर आंखों और पैरों) में सूजन, कम हीमोग्लोबिन, कभी-कभी सिरदर्द और उल्टी होती है तो नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए, खासकर अगर उन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है तो बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.
ऐसे कर सकते हैं बचाव
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि यदि किसी रोगी का प्रारंभिक अवस्था में निदान किया जाता है तो इसे दवाओं द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है. वहीं, नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ लक्ष्य कुमार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में क्रोनिक किडनी रोग की संख्या बढ़ी है क्योंकि भारत में हर तीसरे व्यक्ति को उच्च रक्तचाप है. इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक नहीं जानते कि उन्हें यह बीमारी है. अन्य जो जानते हैं, उनमें से केवल 50 प्रतिशत ही अपनी दवाएं लेते हैं. इसलिए, लगातार उच्च रक्तचाप के कारण, गुर्दे की छोटी रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं. डॉ कुमार ने कहा कि हालांकि, स्वस्थ आहार, तनाव प्रबंधन और नियमित व्यायाम का पालन करके लोग क्रोनिक किडनी रोग से बच सकते हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)