बिहार विधानसभा भवन के 100 साल हुए पूरे, जानें अब तक के 6 बड़े फैसले
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बिहार विधानसभा भवन के 100 साल हुए पूरे, जानें अब तक के 6 बड़े फैसले

विधानसभा कक्ष में आजादी के बाद 1952 की पहली विधानसभा में 331 सदस्य सभाकक्ष में बैठते थे, जो 1977 में 324 हो गए. लेकिन वर्ष 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हुआ तो सदस्‍यों की संख्या घटकर 243 हो गई.

बिहार विधानसभा भवन ने पूरे किए सौ साल. (फाइल फोटो)

Patna: बिहार विधानसभा भवन (Bihar Vidhansabha Bhavan) आज अपना शताब्दी समारोह मना रहा है. अपने 100 साल पूरे कर चुका विधानसभा भवन ऐतिहासिक रूप से कई मायनों में खास है. इसी विधानसभा भवन में कई ऐसे फैसले लिए गए हैं, जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हैं.

  1. बिहार विधानसभा भवन के सौ साल हुए पूरे
  2. कई ऐतिहासिक फैसलों का साक्षी रहा है विधानसभा भवन

1947 में बिहार राज्य वास भूमि अधिनियम किया गया पारित 

दरअसल, 7 फरवरी 1921 को पहली बार विधानसभा भवन में बैठक हुई थी. इसके बाद से अब तक यह भवन कई सुनहरे अवसरों का साक्षी बना. देश की आजादी के बाद 1947 में ही बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भूमिहीन गरीबों के लिए बिहार राज्य वास भूमि अधिनियम पारित करवा कर इतिहास रचा था. यह कानून पूरे देश में एक मिसाल बना. 1950 में देश में पहली बार जमींदारी उन्‍मूलन और  फिर बिहार भूमि सुधार अधिनियम पारित हुआ था. 

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2016 लागू किया गया शराबबंदी कानून 

वहीं, बिहार मद्य निषेध और उत्पाद विधेयक 2016 को तत्काल प्रभाव से गांधी जयंती के अवसर पर लागू किया गया. कानून को विधानमंडल ने 4 अगस्त को पारित किया और 7 सितंबर को राज्यपाल का अनुमोदन भी इस कानून को मिला था. वहीं, कैबिनेट ने 14 सितंबर को फैसला लिया कि 2 अक्टूबर को इस कानून को लागू कर दिया जाएगा. बिहार सरकार ने अधिनियम की धारा 2, 4A, 19 और 47 से 68 में संशोधन कर के शराब पीने या बेचने को अवैध करार दिया था.

पहले 331 सदस्य थे, अब घटकर 243 मेंबर हो गए

विधानसभा कक्ष में आजादी के बाद 1952 की पहली विधानसभा में 331 सदस्य सभाकक्ष में बैठते थे, जो 1977 में 324 हो गए. लेकिन वर्ष 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हुआ तो सदस्‍यों की संख्या घटकर 243 हो गई.

पंचायती राज में महिलाओं को दिया गया 50 फीसद आरक्षण

लालू राज के बाद बिहार देश का पहला राज्य बना जिसने पंचायती राज में महिला आरक्षण की व्यवस्था की. पंचायती राज में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण देने के लिए साल 2006 में बिहार पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया. इस फैसले को बाद देश के कई अन्‍य राज्यों ने भी इसे लागू किया.

सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण 

वहीं, 2019 में सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया गया. इस फैसले से महिलाएं सशक्‍त हुईं. हालांकि, अपराध के आंकड़े बता रहे हैं कि उनपर अत्‍याचार कम नहीं हो रहे हैं. 

2021 में जल जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत

साल 2019 में बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम व बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के साथ, 2021 में जल जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की गई. वहीं, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव भी पारित हुआ था. 

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2019 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध

साल 2019 ही था, जब विधानसभा में बिहार में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू नहीं करने का बड़ा प्रस्‍ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ था.

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