Chatra News: चंपई कैबिनेट में मंत्री सत्यानंद भोक्ता के गांव में लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. ग्रामीणों ने मंत्री सत्यांनाद भोक्ता पर आरोप लगाते हुए कहा कि वोट लेने के लिए तो आगे आ जाते हैं पर लाभ देने के नाम पर पीछे हो जाते हैं.
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Chatra News: झारखंड में प्रचंड गर्मी के बीच पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. झारखंड सरकार में मंत्री सत्यानंद भोक्ता के गांववाले भी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. दरअसल, चतरा में प्रचंड गर्मी के दौरान सदर प्रखंड के मोकतमा गांव के बागी टोला के ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीण महिलाओं को गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है. ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि गांव में तीन चापाकल हैं, लेकिन इनमें से 2 तो कई वर्षों से खराब पड़े हुए हैं. एक चापाकल है भी तो वह कुछ बाल्टी पानी भरते ही पानी देना बंद कर देता है. इस गांव में 25 घरों में करीब 150 की आबादी है जो पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग पीने के लिए पानी की व्यवस्था तो कर लेते हैं, लेकिन नहाने के लिए कठनाई करना पड़ता है.
ग्रामीणों ने बताया कि अगर तालाब के गंदे पानी मे नहाते हैं तो उनके शरीर मे फोड़े-फुंशी होने लगते हैं. आश्चर्य की बात तो यह है कि चंपई कैबिनेट में मंत्री सत्यानंद भोक्ता का पैतृक गांव इसी मोकतमा पंचायत में है. मंत्री सत्यानंद भोक्ता तीन बार इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. जिसमें झारखंड कैबिनेट में चार बार मंत्री रहे हैं. इसके बावजूद यहां के लोगों को पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने मंत्री सत्यांनाद भोक्ता पर आरोप लगाते हुए कहा कि वोट लेने के लिए तो मंत्री आगे आ जाते हैं पर लाभ देने के नाम पर पीछे हो जाते हैं. और इसी वजह से गांव में मंत्री होने के बावजूद विकास शून्य है.
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ग्रामीण महिलाओं ने मंत्री को काला चश्मा और काला गाड़ी पर बैठ सिर्फ अपना विकास करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि उनके परिवार तो सिर्फ काला गाड़ी में बैठकर घूमते हैं. उन्हें कैसे पता चलेगा कि ग्रामीणों की क्या समस्या है. दरअसल विगत 20 मई को वोट डालने अपने पैतृक गांव के मतदान केंद्र पर पहुंचे झारखंड सरकार के उद्योग मंत्री सत्यानंद भोक्ता को अपने ही गांव के ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ा था. ग्रामीणों ने मंत्री को देखते ही गांव में काम नहीं होने, पानी जैसे मुलभुत समस्या को लेकर ग्रामीणों ने मंत्री को खरी-खोटी सुनाई थी. इसके बावजूद मंत्री सत्यानंद भोक्ता को अपने गांव की ओर ध्यान नहीं दिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि बागी टोला के ग्रामीणों को पानी की समस्या से निजात मिलती है. या फिर यहां के महिलाएं इस गर्मी में भी दूर के दूसरे टोले से पानी लाने को मजबूर रहेंगे.