Araria: अस्पताल में पैदा हुआ लड़का, घर पहुंचते ही लड़की बन गई, पढ़ें अररिया का अनोखा मामला
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Araria: अस्पताल में पैदा हुआ लड़का, घर पहुंचते ही लड़की बन गई, पढ़ें अररिया का अनोखा मामला

Araria News: परिजनों को नवजात शिशु के रूप में बेटे के बदले बेटी दिए जाने की जानकारी तब मिली, जब नवजात शिशु को लेकर परिजन कपड़े में लपेटकर घर लेकर चले गए थे. जहां बेटे के बदले नवजात शिशु के रूप में बेटी देखने पर परिजन फिर से नवजात शिशु को लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे और मामले को लेकर जमकर हंगामा किया. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

Araria News: बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल में अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. अस्पताल में बच्चा बदले जाने को लेकर जमकर हंगामा देखने को मिला. दरअसल, कागज के मुताबिक एक महिला को अस्पताल में लड़का पैदा हुआ था, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसकी गोद में लड़की दी. जिससे परिजन भड़क गए और अस्पताल पर बच्चा चोरी करने का आरोप लगाकर हंगामा करने लगे. ये घटना फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल के प्रसव गृह कक्ष की है. नवजात शिशु बदले जाने को लेकर परिजनों ने शनिवार को जमकर हंगामा किया. परिजनों का आरोप है कि नवजात शिशु के रूप में बेटा पैदा हुआ था. जिसके बारे में न केवल अस्पताल से डिस्चार्ज कागज पर भी अंकित किया गया है. परिजनों ने बताया कि बेटा पैदा होने पर प्रसव कार्य में लगी ऑन ड्यूटी जीएनएम प्रभारी पल्लवी कुमारी समेत मिलन कुमारी और आरती कुमारी ने खुशी के तौर पर एक हजार रूपये भी लिए थे.

परिजनों को नवजात शिशु के रूप में बेटे के बदले बेटी दिए जाने की जानकारी तब मिली, जब नवजात शिशु को लेकर परिजन कपड़े में लपेटकर घर लेकर चले गए थे. जहां बेटे के बदले नवजात शिशु के रूप में बेटी देखने पर फिर कुर्साकांटा से नवजात शिशु को लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे और मामले को लेकर जमकर हंगामा किया. हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने मानवीय भूल करार देते हुए डिस्चार्ज वाले पेपर में बेटी के बदले बेटा अंकित हो जाने की सफाई दी है. पीड़ित कुर्साकांटा पगडेरा नुनियारी वार्ड संख्या 13 के रहने वाले उमेश सिंह ने बताया कि 2018 में उनकी शादी हुई थी. पहले संतान के रूप में बेटी है. दूसरी बार उनकी पत्नी गर्भवती थी. डिलीवरी के लिए वह उसे कुर्साकांटा से फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल लाए थे. यहां प्रसव गृह कक्ष में भर्ती किए जाने के थोड़ी देर में ही बेटा के जन्म लेने की जानकारी दी गई थी. ड्यूटी पर तैनात जीएनएम ने आशा प्रतिमा देवी को जानकारी दी थी. खुशी के तौर पर एक हजार रूपये की मांग की थी.

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इसके बाद आशा द्वारा परिजनों को बेटा होने की जानकारी दी गई. उमेश सिंह ने बताया कि जब पांच सौ रूपये दिए गए तो जीएनएम ने लेने से इंकार कर जबरन दबाव बनाकर एक हजार रूपये की अवैध वसूली की. उन्होंने बताया कि बीसीजी का टीका लगाने के बाद कपड़े में लपेटकर डिस्चार्ज स्लिप के साथ नवजात को दे दिया गया. डिस्चार्ज स्लिप में भी नवजात के लिंग के रूप में बेटा होने को दर्शाया गया. नवजात शिशु और उसकी मां को लेकर जब परिजन घर पहुंचे तो कपड़ा हटाकर देखने पर बेटा के बदले बेटी पाई. जिसके बाद वे लोग अस्पताल पहुंचे. 

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वहीं अस्पताल प्रबंधन मानवीय भूल करार देते हुए लड़की के बदले लड़का लिख देने की बात कह रहा है. इसको लेकर परिजनों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. मामला बिगड़ता देख डायल 112 को सूचना दी गई और फिर मौके पर डायल 112 के पुलिस अधिकारी ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर मामले की जानकारी ली. अस्पताल प्रबंधन की ओर से मानवीय भूल करार देने के बावजूद परिजन बेटे के जन्म लेने की बात पर अडिग हैं. मामले को लेकर प्रसव गृह प्रभारी जीएनएम पल्लवी कुमारी ने पैसे लेकर प्रसूता और नवजात को डिस्चार्ज करने के लगाए गए आरोप को सिरे से खारिज किया. उन्होंने बताया कि शनिवार को दस बजे एक ही समय में दो मरीज को डिस्चार्ज किया गया. जिसमें एक रामपुर की पूजा सिंह और दूसरी कुर्साकांटा की किरण देवी थीं. उन्होंने डिस्चार्ज स्लिप पर गलतीवश नवजात को लड़का अंकित कर देने की बात कही. वहीं मामले पर अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डा. केएन सिंह ने भी मानवीय भूल के तहत डिस्चार्ज स्लिप में गलती होने की बात कही. 

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