Bihar Politics: ललन सिंह करीब ढाई साल तक अध्यक्ष पद पर बने रहे और इन ढाई सालों में ललन सिंह ने जेडीयू को आगे बढ़ाने में कम, सहयोगी नेताओं का काम लगाने में ज्यादा ध्यान लगाया. ललन सिंह के कारण ही आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा जैसे दिग्गज नेताओं को पार्टी छोड़कर बाहर जाना पड़ा.
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JDU Crisis: ललन सिंह ने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद जेडीयू अध्यक्ष पद संभालेंगे. राष्ट्रीय परिषद की बैठक में इसका प्रस्ताव पेश होगा और मुहर लगने के बाद इसका औपचारिक ऐलान किया जाएगा. ललन सिंह करीब ढाई साल तक अध्यक्ष पद पर बने रहे और इन ढाई सालों में ललन सिंह ने जेडीयू को आगे बढ़ाने में कम, सहयोगी नेताओं का काम लगाने में ज्यादा ध्यान लगाया. ललन सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता देखना पड़ा. इन नेताओं में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा आदि शामिल हैं.
ये नेता नीतीश कुमार के उतने ही करीबी थे, जितने ललन सिंह. शायद इसी कारण ललन सिंह ने इन सभी को नीतीश कुमार से इतना दूर कर दिया कि उन्हें बाहर ही जाना पड़ा. ललन सिंह कैंप ने तो राज्यसभा के उपसभसापति हरिवंश को भी किनारे करने की बहुत कोशिश की लेकिन हरिवंश की पोजिशन और भाजपा से नजदीकी ने उन्हें बनाए रखा. हालांकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उन्हें बाहर कर दिया गया.
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इसके अलावा जब ललन सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की तो उसमें से मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी का नाम भी बाहर रखा गया, लेकिन नीतीश कुमार के कहने और इंडिया ब्लॉक के बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार के नाम की पैरवी करने की मंशा से उन्हें फिर से टीम में शामिल किया गया. याद करिए, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी को में किस तरह से बेइज्जत किया गया और पार्टी छोड़कर बाहर जाने पर मजबूर किया गया. इतना ही नहीं ललन सिंह के करीबियों के निशाने पर हमेशा जेडीयू के राज्यसभा सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह भी रहे.
ललन सिंह के करीबी नेता और जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने हरिवंश बाबू को क्या-कुछ नहीं कहा. संसद भवन के उद्घाटन के दौरान जब हरिवंश बाबू ने पार्टी विचारधारा से हटकर कार्यक्रम को अटैंड किया. उसके बाद ललन सिंह के करीबी नेता और जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने हरिवंश बाबू का खूब अपमान किया. जबकि नीतीश कुमार का रुख हरिवंश के प्रति हमेशा नरम नजर आया.
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जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तब एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए हरिवंश से पूछा था कि जब राज्यसभा अध्यक्ष को आमंत्रित नहीं किया गया था तो आप कुर्सी पर क्यों बैठे हैं? क्या आपने कुर्सी के लिए अपनी जमीन बेच दी है. आने वाली पीढ़ी आपको कभी माफ नहीं करेगी. ऐसे में आपकी उपस्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है. नीरज कुमार जहां हरिवंश नारायण पर लालची, लोभी और तमाम आरोप लगाते रहे, वहीं नीतीश कुमार ने कभी भी हरिवंश को लेकर सार्वजनिक रूप से कुछ भी नहीं कहा. इतना सब होने के बाद नीतीश कुमार ने हरिवंश बाबू से मुलाकात की और सबका मुंह बंद कर दिया.