राजनगर उत्क्रमित हाई स्कूल में कूड़े के अंबार के बीच बच्चे पढ़ने को बेवस, जानें कौन है इस बदहाली का जिम्मेवार
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राजनगर उत्क्रमित हाई स्कूल में कूड़े के अंबार के बीच बच्चे पढ़ने को बेवस, जानें कौन है इस बदहाली का जिम्मेवार

राजनगर स्थित उत्क्रमित हाई स्कूल में करीब एक हजार बच्चे का दाखिला हैं. शिक्षको की मानें तो इस स्कूल में लगभग प्रत्येक दिन 700 बच्चे पढ़ने आते हैं. इस विद्यालय में बेंच और डेस्क की भी व्यवस्था नहीं है बच्चे ठंड में फर्श पर दरी बिछाकर पढ़ते है. 

राजनगर उत्क्रमित हाई स्कूल में कूड़े के अंबार के बीच बच्चे पढ़ने को बेवस, जानें कौन है इस बदहाली का जिम्मेवार

मधुबनी : बिहार सरकार राज्य में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लाख दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकिकत कुछ और ही बया कर रही है. बता दें कि मधुबनी जिले के राजनगर स्थित उत्क्रमित हाई स्कूल इन दिनों शिक्षा विभाग की अनदेखी के कारण बदहाली का शिकार हो रहा है. स्कूल की हालत ऐसी है कि यहां शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे कूड़े के अंबार के बीच पढ़ने को बेवस है.

विद्यालय प्रत्येक दिन पढ़ते है 700 बच्चे
बता दें कि राजनगर स्थित उत्क्रमित हाई स्कूल में करीब एक हजार बच्चे का दाखिला हैं. शिक्षको की मानें तो इस स्कूल में लगभग प्रत्येक दिन 700 बच्चे पढ़ने आते हैं. इस विद्यालय में बेंच और डेस्क की भी व्यवस्था नहीं है बच्चे ठंड में फर्श पर दरी बिछाकर पढ़ते है. विभागीय लापरवाही के कारण बच्चे ठंड में ठिठुरने को बेवस हैं. इस स्कूल को स्मार्ट क्लास के तहत प्रोजेक्टर भी लगाया गया है, लेकिन जमीन पर दरी बिछाकर प्रोजेक्टर पर पढ़ाई करते है क्या यहीं स्मार्ट स्कूल है. प्रधानाध्यापिका की माने तो स्कूल में कई समस्याएं है संसाधन के अभाव में किसी तरह स्कूल चलाया जा रहा है. बता दें कि स्कूल के अंदर नल भी खराब पड़ा हुआ है, स्कूल के अंदर पानी तक की व्यवस्था नहीं है.

स्कूल में शिक्षकों के आने का नहीं है कोई समय
स्कूल के इस बदहाली का जिम्मेवार कही ना कही सरकारी तंत्र हैं, लेकिन इस बदहाल स्कूल को इससे भी ज्यादा बदहाल करने में कुछ शिक्षक भी हैं, जो समय से नहीं आते हैं. स्कूल के खुलने का समय सुबह नौ बजे हैं. स्कूल में पहली क्लास का समय साढ़े नौ बजे हैं, लेकिन सूत्रों की माने तो सवा नौ बजे तक स्कूल में सिर्फ तीन शिक्षक व शिक्षका ही होती है. जरा सोचिए जिस स्कूल में सत्रह शिक्षक, शिक्षका की नियुक्ति हैं. वहां समय से आधे से भी कम शिक्षक ही पहुंच पाए. आखिर इसकी जिम्मदारी कौन तय करेगा. ये हकीकत उस स्कूल की हैं जो मधुबनी मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर हैं. तो जरा सोचिए ग्रामीण इलाके के स्कूलों में शिक्षक और पढ़ाई की क्या व्यवस्था होगी.

अभिभावकों की भी नहीं सुनता प्रशासन
इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि गांव में स्कूल सिर्फ राम भरोसे ही चल रहा है. सरकार अपने स्कूलों के बेहतर बनाने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. स्कूल में सुविधाओं का अभाव है. इस संबंध में प्रशासन को शिकायत की जाती है लेकिन उसके बाद भी समस्या का समय पर समाधान नहीं होता है.

इनपुट- बिन्दु भूषण ठाकुर

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