बोकारो में धड़ल्ले से कराया जा रहा धर्म-परिवर्तन, 10 हिंदुओं को बनाया ईसाई, परिजन भड़के
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बोकारो में धड़ल्ले से कराया जा रहा धर्म-परिवर्तन, 10 हिंदुओं को बनाया ईसाई, परिजन भड़के

बोकारो में धड़ल्ले से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. वहीं परिजनों ने प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया है.

(फाइल फोटो)

बोकारो : बोकारो में धड़ल्ले से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. वहीं परिजनों ने प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाया है. परिजनों ने बताया कि बीमारी को ठीक करने के नाम पर धर्म परिवर्तन कराया गया. 

संथाल आदिवासी बहुल गांव में धर्मांतरण तेजी से हो रहा 
बोकारो जिले के गोमिया के संथाल आदिवासी बहुल गांव में धर्मांतरण तेजी से चल रहा है. बता दें कि करमाटांड़ में दो हिंदू परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया. ग्रामीणों ने जब चर्च में पूजा करते देखा तब यह मामला सार्वजनिक हुआ. ग्रामीणों का कहना है कि भोले-भाले गरीब, निःसक्त परिवारों को प्रलोभन देकर धर्मपरिवर्तन के लिए तैयार किया जा रहा है, लेकिन धर्मांतरण कर चुके लोग अपना-अपना तर्क देते हैं. 

लोगों को प्रलोभन देकर कराया जा रहा है धर्म परिवर्तन
धर्मांतरण कर चुके विजय मल्हार ने कहा कि अपनी मर्जी से ईसाई धर्म को अपनाया है, कहा नवजात पोता बीमार हो गया था इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद थक हारकर पोते को लेकर चर्च गया, जहां फादर ने सेहत में सुधार के लिए प्रार्थना की और वह पूरी तरह ठीक हो गया. जिसे चमत्कार मानते हुए ईसाई धर्म अपना लिया. इसीलिए पत्नी तुलिया देवी, बेटे विशाल मल्हार, राज मल्हार, पुत्र वधु आरती देवी समेत ईसाई धर्म को अपना लिया है. 

वहीं ईसाई धर्म अपना चुके दूसरे परिवार के मुखिया अशोक पासवान ने भी कहानी कुछ इसी प्रकार बताई. कहा मैं पैरों से दिव्यांग होने के कारण पूरी तरह लाचार रहा करता था. गांव वाले भी साथ नहीं देते थे. तंगी के कारण एक बार पत्नी हिरमती देवी के साथ चर्च गया जहां फादर ने उन्हें प्रार्थना कराया और कहा कि प्रार्थना से उनकी दिव्यांगता दूर हो जायेगी, फिर से चलना फिरना शुरू कर देंगे, मन की सारी मुरादें पूरी होने लगी. जिसके बाद सपरिवार धर्मपरिवर्तन कर लिया. एक वीडियो भी सपरिवार सुनने के लिए मोबाइल में दिया गया है. वहीं गांव के सोनाराम बेसरा ने कहा कि प्रलोभन देकर मेरी भतीजी का भी धर्मांतरण कराया गया है. 

वहीं पेन्तेकोस्टल चर्च ऑफ गॉड करमाटांड़ के फादर कल्याण सोरेन ने बताया कि दोनों परिवार के लोग स्वेच्छा से यहां आये थे. ऐसा नहीं है कि इन्होंने पूरी तरह ईसाई धर्म अपना लिया है, प्रक्रिया को अभी पूरा नहीं किया जा सका है. 
(रिपोर्ट- मुत्युंजय मिश्रा)

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