कैमूर जिले में एक मां ने अपनी एक दिन की जन्मी नवजात बच्ची को मोहनिया थाना क्षेत्र के पनापुर के पास खेत में फेंक दिया. जिसके बाद ग्रामीणों ने बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया, लेकिन अस्पताल की लापरवाही के कारण नवजात फिर से गायब हो जाती है.
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Kaimur: बिहार के कैमूर जिले में कलयुगी मां ने एक दिन की नवजात बच्ची को खेत में फेंक दिया. जिसके बाद ग्रामीणों ने बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया, लेकिन अस्पताल की लापरवाही के कारण नवजात फिर से गायब हो जाती है. अस्पताल प्रबंधन इस मामले पर खामोश है. बच्ची के गायब होने के बाद भी चाइल्ड लाइन को सूचना नहीं दी गई. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, कि अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था होने के बाद भी बच्ची कैसे गायब हो गई.
चाइल्ड लाइन को नहीं किया गया सूचित
दरअसल, यह मामला मोहनिया थाना क्षेत्र के पानापुर का है. यहां पर कैमूर जिले में नवजात को गायब करने का नया मामला नहीं है. कैमूर जिले में एक मां ने अपनी एक दिन की जन्मी नवजात बच्ची को मोहनिया थाना क्षेत्र के पनापुर के पास खेत में फेंक दिया. जब ग्रामीणों की नजर पहुंची तो ग्रामीण मोहनिया थाना को सूचना देते हुए उसे अनुमंडल अस्पताल मोहनिया पहुंचाया. लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण बच्ची एंट्री नहीं की गई और अस्पताल से किसी ने भी चाइल्ड लाइन को सूचना नहीं दी गई.
लोगों ने की कार्रवाई की मांग
बच्ची गायब होने के बाद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की जा रही है. ग्रामीणों की माने तो कई बार नवजात को खेत में फेंके जाने के मामले सामने आते हैं. उनको ग्रामीणों द्वारा अस्पताल पहुंचाया जाता है, लेकिन अस्पताल के बाद कितने नवजात अस्पताल के माध्यम से चाइल्ड लाइन को सौंपे जाते हैं. इसका कोई आंकड़ा नहीं है.
इलाज के लिए पहुंचाया गया था अस्पताल
ग्रामीण, जिला परिषद और पैक्स अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि पानापुर के खेत में एक पेड़ के नीचे एक दिन की जन्मी बच्ची फेंकी गई थी. ग्रामीणों द्वारा सूचना मिलने पर इसकी जानकारी वहां के पैक्स अध्यक्ष को दी गई. पैक्स अध्यक्ष द्वारा इसकी सूचना मोहनिया थाने को दी गई. थाना द्वारा बच्ची को इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल मोहनिया लाने के लिए कहा गया था. जहां अस्पताल में लाकर बच्ची को इलाज के लिए रखा गया थी. बच्ची का जन्म एक दिन पहले हुआ था, क्योंकि उसकी नाभि अभी सूखी नहीं है. बच्ची एक दम स्वस्थ बताई जा रही है.
ऐसे करता है चाइल्ड लाइन काम
चाइल्ड लाइन कैमूर के डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर बताते हैं कि जब भी कोई लावारिस बच्ची फेंकी हुई मिलती है तो ग्रामीणों द्वारा इसकी सूचना दी जाती है, नहीं तो टोल फ्री नंबर 1098 को दी जाती है. जहां से हमें जानकारी मिलने के बाद वहां पर टीम को भेजकर बच्ची के उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया जाता है. बच्चे की सुरक्षित चिकित्सक के बाद वहां के लोकल थाने में सनहा दर्ज कराई जाती है. फिर बच्ची को समुचित उपचार के लिए एसएनसीयू में भर्ती कराया जाता है. उसके बाद बाल संरक्षण इकाई और दतक ग्रहण केंद्र को इसकी सूचना दी जाती है. यदि किसी को बच्ची दी जाती है तो पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत कागजातों के आधार पर दी जाती है. मोहनिया से चाइल्ड लाइन को किसी भी प्रकार के लावारिस बच्ची के मिलने की सूचना नहीं दी गई है.
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
अनुमंडल अस्पताल मोहनिया पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब ग्रामीणों द्वारा लावारिस एक दिन की जन्मी नवजात बच्ची को खेत से उठाकर समुचित उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया था, तो वहां उपचार करके आखिर अस्पताल प्रबंधन इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को क्यों नहीं दी गई.
इससे पहले भी चैनपुर पीएचसी पर नवजात को गायब करने को लेकर चैनपुर थाने में प्राथमिकी एक महिला के द्वारा दर्ज कराई गई थी. जिसको लेकर सड़क पर घंटो सड़क जाम किया गया था.