बिहार का एक ऐसा प्राचीन देवी मंदिर, जहां दीपदान की है अद्भुत परंपरा
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बिहार का एक ऐसा प्राचीन देवी मंदिर, जहां दीपदान की है अद्भुत परंपरा

महर्षि विश्वामित्र ने ही इस पीठ का नाम तारा शक्तिपीठ रखा था. पुरातन कथाओं की मानें तो भगवान परशुराम ने यहां सहस्त्रबाहु को पराजित कर मां तारा की उपासना की थी.

(फाइल फोटो)

सासाराम : सासाराम के प्राचीन ताराचंडी देवी स्थान में दीपदान की अद्भुत परंपरा है. यहां प्रत्येक वर्ष नवरात्रि में हजारों की संख्या में दीए जलाए जाते हैं. जिसकी लौ से पूरा ताराचंडी देवी स्थल जगमग हो जाता है, वहीं इसके साथ यहां 9 दिनों तक अखंड दीप जलाए जाते हैं. जो शुद्ध देसी घी से जलते हैं. 

यहां मनोकामना पूर्ण होने पर जलाते हैं अखंड दीप 
दीप परंपरा की शुरुआत को लेकर मान्यता है कि जिनकी मनोकामना सिद्ध हो जाती है. वह लोग यहां आकर दीपदान करते हैं. जिसकी देखरेख स्थानीय पुजारी करते हैं. इसके अलावा जिन्हें अपने मन में कोई इच्छा होती है. उन इच्छाओं को पूर्ति के लिए लोग मन्नत रखते हैं. इसके लिए भी अखंड दीपक जलाए जाते हैं. दीप जलाने वाले का नाम दीपक के ऊपर ढक्कन पर लिखा जाता है तथा लगातार नौ दिनों तक 24 घंटा इसकी निगरानी होती है. एक साथ हजारों शुद्ध घी के दिए जलाए जाने से यहां के वातावरण में शुद्धता आ जाती है.

यहां गिरा था माता सती का दायां नेत्र 
मां ताराचंडी देवी को शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. यह सासाराम से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर कैमूर की पहाड़ी की गुफा में स्थित है. इस जगह का दृश्य बड़ा मनमोहक है. प्रकृति की सुंदरता का केंद्र यह स्थान लोगों की आस्था का भी बड़ा केंद्र है. इस पीठ के बारे में कहा जाता है कि माता सती के तीन नेत्रों में से एक दायां नेत्र यहां गिरा था. 

महर्षि विश्वामित्र ने रखा इस पीठ का नाम, भगवान परशुराम ने यहां की थी मां तारा की उपासना
मंदिर आज से ही नहीं शिलालेखों की मानें तो 11 वीं सदी से ही ख्याति प्राप्त रहा है. इस पीठ के बारे में कहा जाता है कि महर्षि विश्वामित्र ने ही इस पीठ का नाम तारा शक्तिपीठ रखा था. पुरातन कथाओं की मानें तो भगवान परशुराम ने यहां सहस्त्रबाहु को पराजित कर मां तारा की उपासना की थी. कहते हैं कि यहां मां एक बालिका के रूप में अवतरित हुई थीं और यहां पर उन्होंने चंड नाम के दैत्य का वध किया था तब से ही उन्हें चंडी कहा जाता है. यहां धमा पर साल भर में तीन बार मेला लगता है. यहां की मान्यका के अनुसार मन्नत पूरी होने पर यहां अखंड दीप जलाया जाता है.  
(रिपोर्ट- अमरजीत कुमार यादव)

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