Bihar News: अमित कुमार के पिता अभिमन्यु यादव एक चरवाहे का काम करते हैं और खेती मजदूरी करके अपने बेटे को दरोगा बना दिया.
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Bihar News: 'कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो...' जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के मोरा गांव के एक चरवाहे के बेटे ने दुष्यंत कुमार की कहावत को चरितार्थ किया है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि इस युवक ने कुछ ऐसा कारनामा किया है जिससे कि पूरे परिवार सहित जिले का नाम रोशन हो रहा है. अगल-बगल के लोग भी कह रहे हैं बेटा हो तो अमित जैसा. जिन्होंने अपनी गरीबी को ताकत बनाया और पिता चरवाहे का काम करते हैं मां बीड़ी मजदूरी करती है. यहां तक की दादी भी मजदूरी करके अमित की पढ़ाई का खर्च उठा रहीं थीं. बेटे की सफलता के बाद जी न्यूज से बातचीत में अमित और उसकी मां और दादी ने और पिताजी ने अपने पुरानी हालात को याद करें आंख में आंसू आ गए.
परिजनों ने बताया कि बरसात के दिनों में कच्चे घर के अंदर कीड़े-मकोड़े और सांप-बिच्छू घुस आते हैं. उसके बावजूद भी हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी. अमित ने बताया कि पहले दो अटेम्प्ट में वह दौड़ भी क्लियर नहीं कर पाया था. हालांकि, उसके बावजूद भी हौसले को बुलंद रखा और तीसरे अटेम्प्ट में इस बड़ी कामयाबी को हासिल कर लिया है. अमित कुमार के पिता अभिमन्यु यादव एक चरवाहे का काम करते हैं और खेती मजदूरी करके अपने बेटे को दरोगा बना दिया. अपने पिछले दिनों को याद करके वह मायूस तो हुए लेकिन हौसला बुलंद रखा. उन्होंने अपने बेटे की इतनी बड़ी कामयाबी की गाथा को लिखने में अपनी भूमिका अदा कर दी है.
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उधर नालंदा जिले के लहेरी थाना क्षेत्र के लहेरी मोहल्ला निवासी पेंटर दिनेश प्रसाद की पुत्री सुमन कुमारी दारोगा परीक्षा में सफल हुई है. सुमन ने बताया कि खाकी बचपन से आकर्षित करती थी. उनका सपना था कि बड़ी होकर वह भी पुलिस पदाधिकारी बने. इस कारण कड़ी मेहनत से पढ़ाई में लगी रहीं. कई बार असफल भी हुईं. इसके बाद भी प्रयास जारी रहा. इस बार उनका सपना साकार हो गया. भागलपुर की रहने वाली मानवी मधु कश्यप ने भी इतिहास रच दिया. वह दरोगा बनने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर बन गई हैं. उन्होंने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने शिक्षकों, माता-पिता और बिहार की समाजसेवी रेशमा प्रसाद को दिया. रेशमा पटना विश्वविद्यालय में सीनेट सदस्य बनने वाली पहली ट्रांसजेंडर हैं. मानवी का मानना है कि किसी भी ट्रांसजेंडर के लिए यहां तक पहुंचना कोई सरल और आसान काम नहीं है. यह सफर कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा है.
इसके अलावा नक्सल प्रभावित-मकेर थाना क्षेत्र के फुलवरिया पंचायत के पुरे छपरा गांव की रहने वाली बेटी सुचिता ने दूसरे प्रयास में दारोगा बनकर गांव का नाम रोशन किया. सूचित गांव में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए प्रेरणा बनीं. गांव के ही स्वतंत्रता सेनानी स्व रामदर्प सिंह की पौत्री व संवेदक आशुतोष सिंह एवं माता राजमणि देवी देवी की बेटी सुचिता कुमारी दूसरे प्रयास में ही बिहार दरोगा की परीक्षा पास कर अपने घर परिवार,और गांव एवं प्रखंड का नाम रौशन किया है. इनकी प्रारंभिक एवं मैट्रिक तक की शिक्षा गांव से हुई. वह गांव के बाजितपुर हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की. इंटर, स्नातक और एमए की शिक्षा पटना एएन कॉलेज से प्राप्त की. सुचिता गांव में रहकर ही दरोगा की तैयारी कर रही थी.