Bihar News:जमुई का ऐसा गांव जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर,अस्पताल जाने के लिए भी खाट ही है एक मात्र सहारा!
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Bihar News:जमुई का ऐसा गांव जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर,अस्पताल जाने के लिए भी खाट ही है एक मात्र सहारा!

Jamui News: बिहार के जमुई में एक ऐसा गांव है जो आजादी के 78 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है. इस गांव में विकास और पढ़ाई तो दूर की बात है यहां मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है.  

 

Bihar News:जमुई का ऐसा गांव जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर,अस्पताल जाने के लिए भी खाट ही है एक मात्र सहारा!

जमुई: Jamui News: बिहार सरकार और केंद्र सरकार विकास के दावे तो जरूर करती हैं, लेकिन जमुई विकास के दावे और हकीकत में कोसों दूर दिख रहा है. बरसात के दिनों में आधा दर्जन गांव टापू में तब्दील हो जाता है. आजादी के 78 साल बाद भी जमुई का ऐसा गांव जहां आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है. पढ़ाई लिखाई और विकास की बातें तो छोड़िए यहां तक की मरीज को अस्पताल जाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. जहां की लोगों को आज भी चारपाई का सहारा लेना पड़ता है. 

चारपाई को चार लोगों के द्वारा बस बल्ले के सहारे नदी पार कर लगभग 3 किलोमीटर की दूरी को तय कर मुख्य सड़क पर जाना पड़ता है. जहां तक ही एंबुलेंस और गाड़ियों की सुविधा मिल पाती है. यू कहे तो पूरा देश इस वक्त आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और दूसरी तरफ जमुई जिले के चकाई प्रखंड के जलखरिया सहित आधा दर्जन गांव विकास को लेकर किए गए दावों से महरूम है. 

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दरअसल, जमुई जिले के सुदूर बरती इलाके में बसा चकाई प्रखंड का जलखरिया गांव के अनिल दास रविवार की सुबह जलखरिया गांव के समीप जंगल में दातुन तोड़ने के लिए गए थे. जहां किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया. गांव में सड़क नहीं रहने के कारण परिजन लगभग 3 किलोमीटर तक खटिया पर लादकर नदी तक ले गए और नदी पर पुल नहीं रहने के कारण इलाज के लिए अस्पताल ले जाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. उसके बाद खतौली से ही नदी को पार कराया गया. उसके बाद इलाज के लिए देवघर ले जाया गया. इलाज के लिए ले जाने में देर होने के कारण उनकी हालत गंभीर हो गई थी और अब इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

बताते चले कि जलखरिया गांव के ग्रामीणों की दशकों से मांग रही है कि गांव में पक्की सड़क और अजय नदी के जलखरिया घाट पर पुल का निर्माण कराया जाए. जिसको लेकर गांव के सभी ग्रामीणों ने बीते 2019 लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार कर दिया था. वोट बहिष्कार होने पर तत्कालीन डीएम और जिले के वरीय पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों के द्वारा ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि चुनाव के बाद अगले 5 वर्ष में गांव में पक्की सड़क और अजय नदी के जलखरिया घाट में उच्च स्तरीय पुल का निर्माण कराया जाएगा. लेकिन पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों का आश्वासन कोरा कागज साबित हुआ और धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ.
इनपुट- अभिषेक निराला, जमुई 

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