Gupt Navratri: झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित रजरप्पा के माँ छिन्नमस्तिके मंदिर में आज सुबह से ही भारी भीड़ लगी हुई है. हजारों की भीड़ इस बात का संकेत दे रही है कि आज की विशेष तिथि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की है. जिसके लिए भक्तों को वर्ष भर इंतजार रहता है.
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रामगढ़ः Gupt Navratri: झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित रजरप्पा के माँ छिन्नमस्तिके मंदिर में आज सुबह से ही भारी भीड़ लगी हुई है. हजारों की भीड़ इस बात का संकेत दे रही है कि आज की विशेष तिथि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की है. जिसके लिए भक्तों को वर्ष भर इंतजार रहता है. आज के दिन श्रद्धालु और भक्त अपने परिवार के शुभ कार्यों को मंदिर परिसर में करते हुए मंगल कामना करते है.
गुप्त नवरात्री का विशेष रूप से रहता है इंतजार
इस मौके के अवसर पर मंदिर के विशेष पुजारी ने बताया कि इस गुप्त नवरात्री का इंतजार विशेष रूप से साधक और तांत्रिकों को रहता है क्योंकि इसमें मनोवांछित फल की सिद्धि प्राप्त होती है. इस मौके पर रांची से पहुंची एक महिला श्रद्धालु ने बताया कि आज हम गुप्त नवरात्रि में अपने दोनों बच्चों के मुंडन के लिए आए है क्योंकि यह विशेष तिथि है. आज हम माता के दर्शन कर तृप्त हुए है, लेकिन प्रशासन से अनुरोध है कि आने और जाने वालों के लिए अलग-अलग गेट बनाए, क्योंकि कई लोग दब रहे है जो अच्छा नहीं है
मंदिर में अत्यधिक भीड़ होना एक समस्या
रजरप्पा मंदिर में वैसे तो आम दिनों में भी भीड़ रहती है लेकिन गुप्त नवरात्रि में इस स्थान का विशेष महत्व बढ़ जाता है. मंदिर पहुंचे एक अन्य महिला श्रद्धालु ने भी अत्यधिक भीड़ को एक समस्या बताया और कहा कि इसे कंट्रोल करने की कोई ठोस व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही महिलाओं के दर्शन के लिए अलग से लाइन होनी चाहिए क्योंकि वहां काफी सकरा है.
इस महीने की गुप्त नवरात्री का होता है विशेष महत्व
नवरात्री में रजरप्पा मन्दिर शिद्धपीठ होने के कारण तांत्रिक भी यहां सिद्धि प्राप्त करने पहुँचते है. माँ छिन्नमस्तिके से साधक हो या साधु, श्रद्धालु सभी अपनी-अपनी मनोकामना पूर्ण हो इसके लिये यहां पहुंचते है. रजरप्पा मंदिर के वरिष्ठ पूजारी अशीम पंडा कहते है कि आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि आज से शुरू हो रही है. वैसे चार नवरात्र पूरे वर्ष में मनाई जाती हैं. इस गुप्त नवरात्र में साधक आते है और गुप्त रूप से साधना करते है. जिसको मां स्वीकार भी करती है. वैसे तो नवरात्र को अपने आप मे एक महत्वपूर्ण तिथि का दर्जा हासिल है, लेकिन आषाढ़ की इस गुप्त नवरात्री का विशेष महत्व होता है. शायद यही वजह है कि तांत्रिक गुप्त रूप में शामिल होकर मनवांछित फल पाते है.
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