सनगड़वा गांव के ग्रामीणों ने पुल के लिए जनप्रतिनिधि और मंत्री तक अपनी बात पहुंचाई, जिसके बाद ग्रामीणों को आश्वासन तो मिला लेकिन अबतक पुल का निर्माण नहीं हो सका.
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Latehar: सरकार योजनाएं तो बहुत बनाती है लेकिन अधिकारी उसे धरातल पर नहीं उतरने देते! अधिकारियों की लाल फीताशाही और उदासीनता के चलते अक्सर कई योजनाएं अधर में अटकी रहती हैं. कुछ ऐसा ही झारखंड के लातेहार में हो रहा है. यहां मनिका प्रखंड में ग्रामीण एक पुल के लिए वर्षों से गुहार लगा रहे हैं लेकिन अबतक पुल का निर्माण नहीं हो सका है.
पुल निर्माण के नाम पर सिर्फ आश्वासन
लातेहार के मनिका प्रखंड के मटलौंग पंचायत में सनगड़वा जाने वाले रास्ते में पड़ने वाली नदी में आज तक पुल का निर्माण नहीं हो सका. पुल नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सनगड़वा गांव के ग्रामीणों ने पुल के लिए जनप्रतिनिधि और मंत्री तक अपनी बात पहुंचाई, जिसके बाद ग्रामीणों को आश्वासन तो मिला लेकिन अबतक पुल का निर्माण नहीं हो सका.
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नदी में बह जाता है लकड़ी का पुल
ग्रामीणों ने बताया कि नदी में हम लोग लकड़ी का पुल बनाते हैं लेकिन अधिक पानी हो जाने के कारण लकड़ी का पुल हर बार बह जाता है. नदी का पानी ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फेर देता है. जिसके चलते लोगों को प्रखंड मुख्यालय मनिका जाने के लिए लंबी दूरी तक सफर करना पड़ता है. सनगड़वा गांव के रहने वाले अनिल यादव ने बताया कि पुल नहीं होने से छोटे बच्चे जो विद्यालय जाते हैं उनकों काफी दिक्कत होती है. यहां तक की नदी में ज्यादा पानी हो जाने के कारण बच्चे विद्यालय भी नहीं पहुंच पाते हैं, जिसके कारण बच्चों का पढ़ाई भी बाधित होती है.
मरीजों को अस्पताल पहुंचाना चुनौती
वहीं, पुल नहीं होने से सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. ग्रामीण लखन प्रसाद बताते हैं कि अगर इस गांव में किसी भी व्यक्ति की अचानक तबीयत खराब हो जाए तो उसे खटोला में टांग कर नदी पार करना होता है, जिससे जान का खतरा बना रहता है. लखन प्रसाद प्रशासन की लापरवाही से नाराज हैं. उनका कहना है कि बार-बार अपील के बाद भी अधिकारियों की कान पर जूं नहीं रेंगती.
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बरसात में 4 महीने पंचायत से टूट जाता है संपर्क
ग्रामीण देवेंद्र प्रसाद कहते हैं कि बारिश होने के बाद परेशानी और बढ़ जाती है, शर्मनाक बात यह कि आजादी के बाद भी आज तक मनिका में एक पुल नहीं बन सका. सनगड़वा के एक और ग्रामीण रमेश कुमार ने कहा कि नदी की वजह से बरसात में चार महीने पंचायत का संपर्क टूट जाता है.
ग्रामीणों में निराशा
हालांकि, नदी पर पुल नहीं होने के निराश ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से लकड़ी का पुल बना लिया, लेकिन पुल तभी तक काम कर पाता है जबतक पानी कम हो. बरसात में हालात खराब हो जाता है. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों की उदासीनता के कारण अबतक पुल का निर्माण नहीं होना सका है.
(इनपुट-संजीव कुमार)