बोकारो जिले का झुमरा पहाडों और वनों के उबड़-खाबड और तराई क्षेत्रों के कारण काफी दुर्गम है. खुद को जंगल की सरकार घोषित करने वाले नक्सलियों के लिए यहां की यही दुर्गम भौगोलिक बनावट शरण स्थली बन चुकी थी.
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बोकारो: झारखंड के बोकारो जिले का झुमरा कभी नक्सलियों की समानान्तर सत्ता के कारण विकास से अछूता था. नक्सलियों की दहशत के चलते झुमरा और इसके आसपास के गांवों में लोग दहशत के साए में घुट घुटकर जीने को मजबूर थे लेकिन प्रशासन की पहल से ग्रामीणों के मायूस चेहरे खिल उठे हैं. नक्सलियों के प्रशिक्षण और शरणस्थली के लिए कुख्यात रहे झुमरा में प्रशासन की वजह से ऐसा फर्क आया है कि ग्रामीण अपनी खामोशी तोड़कर अपने हक के लिए मुखर होने लगे हैं. झुमरा की फिजां में आए इस परिवर्त्तन ने शासन और प्रशासन को सुकून दिया है.
विकास से लौटी खुशहाली
बोकारो जिले का झुमरा पहाडों और वनों के उबड़-खाबड और तराई क्षेत्रों के कारण काफी दुर्गम है. खुद को जंगल की सरकार घोषित करने वाले नक्सलियों के लिए यहां की यही दुर्गम भौगोलिक बनावट शरण स्थली बन चुकी थी. इलाके में विकास का कोई नामोनिशान नहीं था. गोलियों की तड़तड़ाहट, बम धमाके और लेवी वसूली के लिए पूरा इलाका बदनाम हो चुका था. लेकिन पुलिस और सीआरपीएफ जैसे अर्द्धसैनिक बलों ने सरकार की योजनाओं को झुमरा तक पहुंचाया और जब गांवों में विकास पहुंचा तो आमलोगों के दिलों से नक्सलियों का खौफ निकल गया. ग्रामीण रामदास बताते हैं कि अब लोगों के अंदर विश्वास का ऐसा भाव भरा है कि वे अतीत के काला अध्याय को भूल चुके हैं और ऐसा चमत्कार हुआ पुलिस- प्रशासन की मदद से.
कैसे हुआ बदलाव?
झुमरा के ही रहने वाले होदो मांधी बताते हैं कि पहले लोग नक्सलियों की जबरदस्ती के शिकार होते थे. अब लोग कहते हैं घाव को कुरेदने की बजाय मल्हम की ही चर्चा करना बेहतर होगा. विकास को तरसते और गाहे बेगाहे धमक पड़नेवाले नक्सलियों से तबाह ग्रामीणों को अब अपने क्षेत्र में विकास के जरिए जीने की मूलभूत जरूरतें नसीब हो गयी हैं. विकास से ग्रामीण काफी खुश हैं और खुशी से फूले नहीं समा रहे. दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में आजादी के कई दशकों तक विकास नहीं पहुंचा, जिसका फायदा नक्सलियों ने उठाया और ऐसे इलाकों में अपनी पैठ बना ली. लेकिन नक्सल प्रभाव वाले इलाकों में सड़क पहुंच गयी है, शिक्षा पहुंच गयी है और जीने की मूलभूत जरूरतें भी ग्रामीण इलाकों में दिखने लगी है. गरीबों को मिलने वाला पक्का आवास भी ग्रामीण इलाकों में नजर आने लगा है तो बिजली के पोल और तार के साथ बिजली भी गांवों में पहुंच चुंकी है. गांवों में अब पानी की व्यवस्था भी आ गयी है जिससे लोगों की जिन्दगी बदल रही है.
विकास ने नक्सल समस्या पर पहुंचाई चोट
बंदूक की नोक और विकास की ताकत से ही नक्सल समस्या पर काबू पाना संभव हुआ है. ग्रामीणों को आत्मविश्वास से मिला है तो प्रशासन भी उत्साह से भर गया है. बोकारो के उपायुक कुलदीप चौधरी ने कहा कि विकास जहां-जहां होगा ऐसी समस्याएं कम होती जाएगी. बोकारो के पुलिस अधीक्षक चंदन झा ने भी कहा कि सड़क बनने से आवागमन दुरुस्त हुआ है और पेट्रोलिंग करने में सुरक्षा बलों को मदद मिलती है, जिससे ग्रामीणों में नक्सलियों की दहशत कम हुई है.
(इनपुट-मृत्युंजय मिश्रा)
Kamlesh Yadav,Output Desk