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रांचीः झारखंड में IAS पूजा सिंघल पर हुई ईडी की रेड के बाद से एजेंसी इससे जुड़े लिंक खंगालने में जुटी हुई है. चाहे डीएमओ को सम्मन भेजकर बुलाना हो या पीपी पर दबिश डालना . हर कड़ियों को मिलाने के लिए संथालपरगना के डीएमओ से हुई पूछताछ के बाद से ईडी की एंट्री संथालपरगना तक हो चुकी है. जानकार बताते हैं. अब ईडी साहेबगंज में गंगा नदी पर फेरी चलाने वालों से भी पूछताछ की तैयारी में जुट गई है.
ईडी अब उन सूत्रों को तलाशने में जुटी है. जिससे ये पता लगा सके कि कहीं साहेबगंज में अवैध खनन के बाद स्टोन चिप्स की भी सप्लाई फेरी से झारखंड से बाहर तो नहीं हो रही.
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बीजेपी विधायक बिरंची ने संथालपरगना में ईडी की एंट्री पर कहा कि संथालपरगना में जिस तरह से अवैध खनन हुआ है. पत्थरों का दोहन हुआ है, न सिर्फ बिहार बल्कि बंग्ला देश भेजे गए तो स्वाभाविक है ईडी की एंट्री होगी ही. अगर कहीं का डीएमओ अकाउंट ट्रांसफर करके किसी अधिकारी या सीए के खाते में पैसे भेज रहा है तो स्वाभाविक है ईडी के लिए जांच का विषय है. मैं भी इस जांच का स्वागत करता हूं.
वहीं जेएमएम कोटे के मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि जांच एजेंसी है. ईडी स्वतंत्र है जांच कर सकती है. पर जो नियम है उसी दायरे में रह कर जांच कर सकती है. अगर दायरे से बाहर जायेंगे तो न्यायालय है.
इस मामले पर झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि 2014 के बाद ईडी हर गैरभाजपाई नेताओं के घर में घुसी है. गैरभाजपाई शासन में ईडी घुसी हुई है. क्योंकि प्रधानमंत्री की असफलताओं को छुपाने के लिए ईडी एक हथकंडा है. जिसके जरिए विपक्ष की बुलंद आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है. स्वभाविक है कि प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहा है. प्रधानमंत्री जिस प्रकार अपने नेतृत्व में 2014 के बाद से इस देश की लोकतंत्र और संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इसमें ईडी किसी के भी घर में घुस सकता है. जो प्रधानमंत्री का स्वविवेक है. प्रधानमंत्री और एजेंसी के पास कोई साक्ष्य नहीं होता और साहिबगंज में भी यही होगा. यहां गैरभाजपाई नेताओं पर शिकंजा कसने की और दबाव बनाने की कोशिश है.