Bihar Political Crisis: विधानसभा भंग न होने की स्थिति में उनके विधायकों में टूट का खतरा मंडराएगा. नीतीश कुमार ऐसा हरगिज नहीं होने देना चाहेंगे. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार पर सारा दारोमदार टिका हुआ है और उन्हें भाजपा के फैसले का इंतजार है.
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Bihar Political Crisis: बिहार की राजनीति ने तेजी से करवट बदली है. कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के मोदी सरकार के ऐलान के बाद ही बिहार की राजनीतिक फिजा 360 डिग्री बदल गई है. राजद जहां गठबंधन और सरकार बनाए रखने की कोशिश में है तो भाजपा में आगे की रणनीति के लिए दिल्ली में मंथन चल रहा है. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार पर सारा दारोमदार टिका हुआ है और उन्हें भाजपा के फैसले का इंतजार है. इस बीच खबर आ रही है कि शुक्रवार दोपहर बाद नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं. अब वे विधानसभा भंग करते हैं, भाजपा को वाॅक ओवर देते हैं या फिर कोई और सरप्राइज देने वाले हैं, यह देखना बाकी है.
विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं नीतीश कुमार
बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि 2025 तक वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान रहें तो भाजपा नहीं चाहती कि इस बार अगर गठबंधन हो तो मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को दिया जाए. बात यही अटकी हुई है. भाजपा मुख्यमंत्री पद अपने पास रखना चाहती है और बदले में 2 डिप्टी सीएम पद जेडीयू ऑफर कर रही है. इसके अलावा वह नीतीश कुमार को मोदी सरकार में मंत्री पद देने का ऑफर कर रही है. अगर बात इस पर नहीं बन पाती और भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाती तो नीतीश कुमार विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं. हालांकि यह उतना आसान नहीं है, जितना कि कहा या सोचा जा रहा है.
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एनडीए में आने के सिवा और कोई चारा नहीं
अगर नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ते हैं तो फिर उनके पास एनडीए में आने के सिवा और कोई चारा नहीं है और एनडीए में आने के बाद भाजपा विधानसभा भंग करने नहीं देगी. विधानसभा भंग न होने की स्थिति में उनके विधायकों में टूट का खतरा मंडराएगा. नीतीश कुमार ऐसा हरगिज नहीं होने देना चाहेंगे. अगर महागठबंधन में रहते हुए वे विधानसभा भंग करने की सिफारिश करते हैं और राजद को इसकी भनक लग जाएगी तो वह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेगी और अल्पमत मुख्यमंत्री की सिफारिश राज्यपाल मानेंगे, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है.
ऐसे में नीतीश कुमार के पास महागठबंधन के अलावा एक ही विकल्प है- एनडीए. अब यह भाजपा पर निर्भर करता है कि नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद पर स्वीकार करती है या नहीं. अगर नहीं करती तो भाजपा वाला फाॅर्मूला नीतीश कुमार के लिए सबसे मुफीद लगता है. जेडीयू के दो डिप्टी सीएम बन जाएं और नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री पद को सुशोभित करें.