Nitish Kumar Government: भाजपा से दलित चेहरे के रूप में जनक चमार को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले हरि साहनी को भी मंत्री पद दिया जा सकता है. कैबिनेट विस्तार जब भी होगा तब भाजपा के इन चेहरों को मौका मिल सकता है.
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Nitish Kumar Government: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस बार एनडीए की सरकार एक बार फिर से बन गई है. नीतीश कुमार के साथ 8 मंत्रियों ने भी शपथ ली थी. भाजपा से तीन, जनता दल यूनाइटेड से 3, हम से एक और एक निर्दलीय को मंत्री बनाया गया है. अब राज्य में जल्द ही कैबिनेट विस्तार की अटकलें लगाई जा रही हैं. एक दिन पहले सोमवार शाम को भाजपा के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे और कैबिनेट विस्तार पर चर्चा की थी. भाजपा ने इस बार फिर अपने डिप्टी सीएम चेंज कर दिया है. 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने सुशील कुमार मोदी के स्थान पर दो डिप्टी सीएम बनाए थे. एक तारकिशोर प्रसाद और दूसरी रेणु देवी. इस बार भाजपा ने इन दोनों के बदले सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया गया है. ये दोनों नेता नीतीश कुमार पर ज्यादा हमलावर रहे हैं. इसलिए बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार पर नकेल कसने के लिए भी इन दोनों को मौका दिया गया हो.
खैर, कैबिनेट विस्तार जब भी होगा तब भाजपा के इन चेहरों को मौका मिल सकता है. इनमें अव्वल हैं सैयद शाहनवाज हुसैन. पिछली बार की सरकार में ये बिहार के उद्योग मंत्री थे और बेहतरीन काम किया था. इनके कार्यकाल की देन है कि आज बिहार में 17 एथेनॉल प्लांट लग चुके हैं. खुद सैयद शाहनवाज हुसैन ने एक टीवी डिबेट में अपनी उपलब्धियां गिनाई थीं. शाहनवाज हुसैन बिहार भाजपा में एकमात्र मुस्लिम चेहरे के रूप में स्थापित हैं.
भाजपा से दलित चेहरे के रूप में जनक चमार को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले हरि साहनी को भी मंत्री पद दिया जा सकता है. राजपूत चेहरे के रूप में नीरज बबलू और निवेदिता सिंह को मौका मिल सकता है. निवेदिता सिंह को जगह मिलने से भाजपा कोटे से महिला प्रतिनिधित्व भी हो सकता है.
वहीं ब्राह्मण चेहरे के रूप में नीतीश मिश्रा और आलोक रंजन झा को जगह दी जा सकती है तो नितिन नवीन कायस्थ चेहरे के रूप में नीतीश कुमार की सरकार में अपनी जगह बना सकते हैं. पिछली सरकार में डिप्टी सीएम रहे तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को हो सकता है इस बार मंत्रिमंडल में जिम्मेदारी न मिल पाए.
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नीतीश कुमार ने अप्रत्याशित रूप से शपथ ग्रहण के दौरान संजय झा और अशोक चौधरी को मंत्री नहीं बनाया. ये दोनों नेता नीतीश कुमार के खासमखास माने जाते हैं और माना जाता है कि भाजपा से डील में संजय झा ने बड़ी भूमिका निभाई थी. नीतीश कुमार का प्रस्ताव लेकर संजय झा ही सबसे पहले भाजपा नेताओं के पास पहुंचे थे.