कौन हैं डा. मोहम्मद जावेद, जिन्होंने भाजपा के सामने नीतीश कुमार को बना दिया 'छोटा भाई'
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कौन हैं डा. मोहम्मद जावेद, जिन्होंने भाजपा के सामने नीतीश कुमार को बना दिया 'छोटा भाई'

Seat Sharing Final in Bihar NDA : प्रचंड मोदी लहर में और ऐसे समय में जब बिहार में एनडीए सभी 40 सीटों पर टक्कर में थी तो जेडीयू एक सीट गंवा बैठी. वो सीट थी किशनगंज. सीमांचल में पड़ने वाले इस सीट ने आज जेडीयू को छोटे भाई की पोजिशन में ला खड़ा किया है. अगर 2019 में जेडीयू भी सभी सीटें जीत लेती तो क्या आज की तारीख में वह छोटे भाई की पोजिशन को स्वीकार कर सकती थी.

कौन हैं डा. मोहम्मद जावेद, जिन्होंने भाजपा के सामने नीतीश कुमार को बना दिया छोटा भाई

Mp Dr. Mohammad Javed: बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग फाइनल हो गई है. दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में सहयोगी दलों की मौजूदगी में भाजपा महासचिव और बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े ने बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग की घोषणा की. सीट शेयरिंग के अनुसार, भाजपा बिहार में अब बड़े भाई की भूमिका में आ गई है. पिछले दिनों जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने भी भाजपा को बड़ा भाई बताया था. इससे लगता है कि बिहार भाजपा की पोजिशन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के सामने बदल गई है. पहले नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को बड़े भाई का तमगा हासिल था और भाजपा छोटे भाई की हैसियत से गठबंधन में काम करती थी. अब यह उल्टा हो गया है. अब समझने वाली बात यह है कि आखिरकार जेडीयू बिहार में छोटे भाई की भूमिका में कैसे आ गई. इसके लिए आपको पिछले लोकसभा चुनाव परिणामों पर नजर दौड़ानी होगी. 

2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू 17—17 सीटों पर मैदान में उतरे थे, लेकिन जब परिणाम आया तो भाजपा का स्ट्राइक रेट 100 प्रतिशत रहा और जेडीयू अपनी एक सीट गंवा बैठी थी. प्रचंड मोदी लहर में और ऐसे समय में जब बिहार में एनडीए सभी 40 सीटों पर टक्कर में थी तो जेडीयू एक सीट गंवा बैठी. वो सीट थी किशनगंज. सीमांचल में पड़ने वाले इस सीट ने आज जेडीयू को छोटे भाई की पोजिशन में ला खड़ा किया है. अगर 2019 में जेडीयू भी सभी सीटें जीत लेती तो क्या आज की तारीख में वह छोटे भाई की पोजिशन को स्वीकार कर सकती थी. जवाब होगा— हरगिज नहीं. किशनगंज सीट पर डॉ. मोहम्मद जावेद ने जेडीयू प्रत्याशी को मात दे दी थी. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कौन हैं डॉ. मोहम्मद जावेद जिन्होंने किशनगंज में पीएम मोदी और सीएम नीतीश के विजय रथ को रोक दिया था.

किशनगंज सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मोहम्मद जावेद को 3,67,017 यानी 33.32 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. वहीं जेडीयू के सैयद महमूद अशरफ को 3,32,551 यानी 30.19 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इस तरह डॉ. जावेद ने सैयद अशरफ को 34,466 वोटों से हराया था.

डॉ. मोहम्मद जावेद कौन हैं

डॉ. मोहम्मद जावेद 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से किशनगंज में उम्मीदवार बनाए गए थे. जावेद का सफर इतना आसान नहीं था और उन्हें पूरे बिहार की तरह किशनगंज में भी प्रचंड मोदी लहर से रूबरू होना पड़ा होगा, लेकिन फिर भी वे लड़े और जीते भी. एकमात्र सीट पर जीत हासिल करने के कारण डॉ. मोहम्मद जावेद की हैसियत बिहार कांग्रेस के नेताओं में बढ़ गई है. बिहार के सीमांचल के अलावा उत्तर प्रदेश के कई मुस्लिम बहुल जिलों में राहुल गांधी ने डा. मोहम्मद जावेद को कई जिम्मेदारियां दी थीं. बताया जा रहा है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने डा. मोहम्मद जावेद को प्रत्याशी बनाया था पर आखिरी वक्त पर जावेद ने टिकट मौलाना इसरारुल हक कासिमी को दे दिया था. 
 
जावेद के पिता रहे थे किशनगंज के विधायक
पेशे से डॉक्टर डॉ. जावेद के पिता भी किशनगंज के विधायक रह चुके हैं. खुद डॉ. मोहम्मद जावेद किशनगंज से लगातार 4 बार विधायक चुने जाते रहे हैं. किशनगंज के स्थानीय निवासी होने के कारण जावेद को इसका बहुत फायदा हुआ. अगर इस बार भी कांग्रेस जावेद को टिकट देती है तो लोकसभा चुनाव में उनकी टक्कर एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान से होगा. अभी जेडीयू ने इस सीट के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं की है. 

बता दें कि किशनगंज सीट बिहार की अल्पसंख्यक बहुल सीटों में से एक है. माना जाता है कि यहां 85 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं और भाजपा या एनडीए की दाल यहां बमुश्किल गल सकेगी. एआईएमआईएम के आने से इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.

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