बगहा में असामाजिक तत्वों का अड्डा बना बीआरसी विद्यालय का परिसर
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बगहा में असामाजिक तत्वों का अड्डा बना बीआरसी विद्यालय का परिसर

बगहा 2 प्रखंड के शास्त्रीनगर स्थित 3 वार्डों को मिलाकर यह बुनियादी विद्यालय 21 वर्ष पूर्व खोला गया था, ताकि हजारों की आबादी वाले इस इलाके में प्राथमिक व मध्य विद्यालय तक समग्र शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को मौलिक अधिकार प्राप्त हो सके. 

बगहा में असामाजिक तत्वों का अड्डा बना बीआरसी विद्यालय का परिसर

बगहाः सरकार चाहें शिक्षा की गुणवत्ता और इसमें सुधार के लाख दावे क्यों न कर लें, लेकिन आज भी बिहार के सरकारी स्कूलों में संसाधनों और सुविधाओं के घोर अभाव हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज भी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की बदहाली न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों के लिए भी अभिशाप बन गया है. दरअसल, पश्चिम चंपारण जिला महात्मा गांधी का कर्मभूमि रहा है जहां आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं जिनमें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. ऐसी ही एक तस्वीर बगहा जिले के शास्त्रीनगर से सामने आई है. जहां विद्यालय में भेड़ बकरी की तरह एक ही क्लास रूम में दर्जनों छात्र छात्राएं बैठने और पढ़ने लिखने को मजबूर हैं. इस बुनियादी विद्यालय में 700 छात्रों के लिए 7 कमरे हैं और 7 ही शिक्षकों के भरोसे शैक्षणिक व्यवस्था है. विद्यालय कैंपस खुला होने के कारण यहां सुबह असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है. जिससे पठन और पाठन में भारी परेशानी होती है.

जर्जर पड़ा है विद्यालय का भवन
बगहा 2 प्रखंड के शास्त्रीनगर स्थित 3 वार्डों को मिलाकर यह बुनियादी विद्यालय 21 वर्ष पूर्व खोला गया था, ताकि हजारों की आबादी वाले इस इलाके में प्राथमिक व मध्य विद्यालय तक समग्र शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को मौलिक अधिकार प्राप्त हो सके. लेकिन देश की आजादी के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्थापित बुनियादी विद्यालय का भवन आज जर्जर होने से इसी जर्जर भवन में दहशत के साये में सैकड़ों छात्रों और शिक्षकों के दिन बमुश्किल गुजर रहे हैं. वहीं बीआरसी भवन कार्यालय बगहा परिसर भी जुआरियों का अड्डा बन गया है.

परिसर में लगा रहता है असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
सरकारी स्कूल से लेकर प्रखंड संसाधन कार्यालय परिसर में बेरोजगार युवाओं की टोली तास की पत्तियां बांटते और जुआ खेलते है. इससे विद्यालय का केवल माहौल खराब हो रहा है बल्कि इससे हमारी नई पीढ़ियों पर बुरा प्रभाव पड़ने की प्रबल संभावना है क्योंकि इन जुआरियों के पास कुछ बच्चे भी नजर आते हैं. इधर बुनियादी विद्यालय शास्त्रीनगर में नामांकित छात्रों के अनुपात में भवन और शिक्षक नहीं होने से पठन पाठन में परेशानी तो बढ़ ही गई है सत्र पूरा नहीं होने की भी चिंता सता रही है दूसरी ओर संसाधनों का अभाव ऐसा है कि अब शिक्षक भी नए छात्रों को नामांकन नहीं लेने के साथ उसी कक्षा में यह साल गुजारने की सलाह दे रहे हैं. 

बुनियादी सुविधाओं से नदारद है छात्र 
बता दें कि बुनियादी विद्यालय में बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं. महात्मा गांधी की कर्मभूमि चम्पारण के बगहा 2 प्रखंड अंतर्गत बुनियादी विद्यालय आज बदहाल है. यह वहीं बुनियादी विद्यालय है जिसकी कल्पना और स्थापना बुनियादी ढांचे को संवारने के लिए कभी बापू ने किया था. वैसे तो चम्पारण में ऐसे और भी बुनियादी विद्यालय हैं जिनमें एक भितिहरवा आश्रम गौनाहा तो एक आदिवासी बहुल हरनाटांड़ में अवस्थित है. हालांकि शिक्षक विनोद उपाध्याय ने इसके लिए कई बार शिक्षा विभाग को पत्राचार भी किये जाने की जानकारी दी है. बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों ने इसकी अब तक कोई सुधि नहीं ली है.

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